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क्यूबा में हर रोज सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हजारों लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. भोजन की कमी और बढ़ती कीमतों के विरोध में हाल के दिनों में प्रदर्शन और भड़के हैं. देखिए क्यूबा में किस तरह मचा कोहराम.
10 साल पहले अरब वसंत ने ट्यूनीशिया के बाद मिस्र में होस्नी मुबारक को अपना शिकार बनाया. एक महीने के भीतर दूसरी तानाशाही सरकार के गिरने से दुनिया में हलचल मच गई, ऐसा लगा जैसे अब पूरा अरब जगत लोकतंत्र के रास्ते पर चल पड़ेगा. हालांकि इस उम्मीद को ध्वस्त होने में ज्यादा देर नहीं लगी. मिस्र से मुबारक जरूर गए लेकिन तानाशाही नहीं.
आज आउशवित्स-बिर्केनाउ यातना शिविर से लोगों की आजादी की 76वीं वर्षगांठ है. 25 साल पहले इसे होलोकॉस्ट स्मृति दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया. कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस बार स्मृति दिवस ऑनलाइन मन रहा है.
2011 में आज ही के दिन 21वीं सदी की सबसे बड़ी क्रांति का पहला निर्णायक मोड़ आया जब दशकों से ट्यूनीशिया की सत्ता पर काबिज बेन अली को देश छोड़ कर भागना पड़ा. इस घटना ने ना सिर्फ उत्तर अफ्रीका बल्कि पूरे अरब जगत के लिए बदलाव की ऐसी आंधी चलाई जिसमें बड़े बड़े तानाशाह धराशायी हो गए
सबसे क्रूर नाजी नेताओं में शुमार हाइनरिष हिमलर की एक डायरी सार्वजनिक हुई, जिसमें उसने 1937-38 और 1944-45 यानि दूसरे विश्व युद्ध के पहले और अपने आखिरी दिनों का ब्यौरा दर्ज किया था.
हर चीज को अपने मुताबिक करवाने की सनक, ताकत और अतिमहत्वाकांक्षा का मिश्रण धरती को नर्क बना सकता है. एक नजर ऐसे तानाशाहों पर जिनकी सनक ने लाखों लोगों की जान ली.
बर्लिन की दीवार गिरने के पहले दुनिया की एक तिहाई आबादी साम्यवादी देशों में रह रही थी. पूर्वी हिस्से के पतन के बाद दुनिया भर में पुनर्वास का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें जर्मनी की खास भूमिका है. .
जिस शानदार शिप को कभी इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन के लिए तैयार किया गया था, उसे अब होटल बनाने की तैयारी हो रही है. चलिए जानते हैं कि क्या खास है इस शिप में.
चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बतौर राष्ट्रपति दूसरा कार्यकाल मिलने के खिलाफ नई दिल्ली में तिब्बती कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. चीनी दूतावास के सामने उन्होंने तिब्बत की आजादी की मांग की और जिनपिंग को तानाशाह बताया.
अमेरिकी थिंक टैंक पीयू रिसर्च ने दुनिया भर में लोकतांत्रिक व्यवस्था के समर्थन से जुड़ा एक सर्वे जारी किया है. यह सर्वे 38 देशों के तकरीबन 42 हजारों लोगों के बीच किया गया है. एक नजर सर्वे के खास तथ्यों पर.
न तो सेना की ट्रेनिंग थी, न ही राजनीति का अनुभव, इसके बावजूद 18 महीने में एक राजनीतिज्ञ ने जर्मन लोकतंत्र को तानाशाही में बदल दिया.
दुनिया के करीब हर कोने में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की आजादी खतरे में है. लेकिन गैर सरकारी संगठन अपनी चुनौतियों का सामना करने के लिए डिजीटल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कई देशों में पत्रकारों और ब्लॉगरों को नियमित तौर पर डराया, धमकाया और हमलों का निशाना बनाया जा रहा है. प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2015 में 'रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स' की 180 देशों की सूची में इन देशों का रहा सबसे खराब प्रदर्शन.
करीब तीन दशक पहले जर्मन पत्रिका 'डेयर श्टेर्न' ने कुछ ऐसी डायरियां प्रकाशित कीं, जो नाजी तानाशाह अडोल्फ हिटलर की बताई गईं. बाद में पत्रिका के ये दावे गलत साबित हुए और यह कांड जर्मन मीडिया का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुआ.
बर्लिन के होएनशोएनहाउजेन इलाके में जीडीआर की राष्ट्रीय सुरक्षा (स्टाजी) मंत्रालय की केंद्रीय जेल थी. आज यहां पीड़ितों की याद में खड़ा एक स्मारक है. साथ ही यह साम्यवादी तानाशाही के दौरान न्याय व्यवस्था का सबूत है.
दुनिया भर के कार्टूनिस्ट बस चंद लाइनों की मदद से अपने देश में लोकतंत्र की हालत बयां कर देते हैं. ऐसे जगहों पर भी जहां हालात बेहद गंभीर है वो यह साबित कर देते हैं कि हास्य की उनकी समझ गुम नहीं हुई.
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ पांच साल देश से बाहर रहने के बाद बड़ी उम्मीद से चुनाव में हिस्सा लेने पाकिस्तान पहुंचे. शायद उन्हें इस बात का अनुमान नहीं था कि उनकी वापसी उनके लिए परेशानियां खड़ी कर देगी.