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ईको इंडिया के इस एपिसोड में देखिए असम में मौजूद दुनिया के पहले कार्बन न्यूट्रल चाय बागान- वेस्ट जालिंगा टी एस्टेट में काम कैसे होता है. इसके अलावा मुंबई में मानव-तेंदुआ संघर्ष कम करने की कोशिशों पर होगी बात. साथ ही देखिए मेक्सिको में समुद्री जीव ऑक्टोपस को फार्म में पालने के लिए किया जा रहा शोध. एपिसोड के आखिर में जानिए सूपरफूड- सीवीड के बारे में.
पिछले दो साल लोगों ने घर से काम तो किया लेकिन वीडियो कॉल से जुड़ीं कई चकमा देने वाली तरकीबें भी सीख लीं हैं. एक्सएमएल मीडिया के एक सर्वे में जूम कॉल के बारे में कई दिलचस्प बातें सामने आईं.
बिहार देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक है. यहां 'गोइंग टू स्कूल' नाम का प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है, जिसका मकसद छात्रों को स्कूल में रोके रखना है. इस अभियान के तहत छात्रों को अपना कोई टिकाऊ कारोबार शुरू करना भी सिखाया जाता है. इस एपिसोड में नजर डालेंगे सस्टेनेबलिटी से जुड़े कुछ प्रयासों पर.
क्वांटम कंप्यूटर उन आम कंप्यूटर्स से बिल्कुल अलग है, जिन्हें हम अपने आसपास देखते हैं. बड़ी बड़ी कंपनियों में क्वांटम रेस छिड़ी है. लेकिन आम लोगों को इससे क्या फर्क पड़ेगा, आइए जानते हैं.
ईको इंडिया के इस एपिसोड में देखिए महाराष्ट्र में मल्टी-लेयर प्लास्टिक को रिसाइकिल करने का बेहतर तरीका जो महिलाओं के लिए आजीविका का साधन भी बना है. इसके अलावा जानिए घाना में बनाई जा रहीं प्लास्टिक ईंटों के बारे में. साथ ही देखिए, कैसे कुछ "नदी योद्धा" बाली की नदियों को साफ कर रहे हैं.
बिटकॉइन, इथीरियम, डॉजकॉइन और ऐसी ही कोई चार हजार किस्म की डिजिटल करेंसी इस समय चलन में है. इन सब वर्चुअल करेंसी को क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं. रूपये या यूरो जैसी आम करेंसी को कोई ना कोई संस्था कंट्रोल करती है. जैसे भारत में भारतीय रिजर्व बैंक, जो नोट छापती है और उसका हिसाब-किताब रखती है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी को कोई संस्था कंट्रोल नहीं करती. आइए समझते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करती है.
दुनियाभर में हर साल करीब दो अरब टन कूड़ा निकलता है. इसमें काफी कुछ तो खाने की पैकिंग होती है लेकिन ऐसी चीजें भी मिलीं जिन्हें खरीदने के छह महीने के अंदर ही फेंक दिया गया. जीरो-वेस्ट आंदोलन के तहत चीजों के कम या बार-बार इस्तेमाल पर जोर दिया जाता है, जिससे प्रकृति का संरक्षण हो और प्रदूषण भी कम हो. भारत में भी दिखी इस पहल की एक झलक.
आधुनिक जीवन में गाड़ियों की बहुत बड़ी भूमिका है. हम कारों पर इतने निर्भर हैं कि हमारे शहर इनसे भरे पड़े हैं. लेकिन कारें सड़कों को जाम करती हैं, ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं और ध्वनि प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं. इस ए़पिसोड में डालेंगे नजर यातायात के कुछ टिकाऊ विकल्पों पर.
उत्पादन, यातयात और ऊर्जा का इस्तेमाल पर्यावरण और उसके ईको सिस्टम पर गहरा असर डालते हैं. हमारे द्वारा इस्तेमाल की जा रही ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा अब भी जीवश्म ईंधन से आता है. और आने वाले समय में ऊर्जा की मांग और भी बढ़ेगी. हानिकारक में "ग्रीनहाउस गैसों" के उत्सर्जन में कमी कैसे लाई जाए? समय से निपटने के क्या हल है? इसी पर करेंगे चर्चा इस एपिसोड में.
दुनिया के ज्यादातर स्मार्टफोन्स एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं. आइए देखते हैं कि एंड्रॉइड इस मुकाम तक पहुंचा कैसे और आपके-हमारे लिए इसके क्या फायदे या नुकसान हैं.
लगातार बढ़ते ही जा रहे उत्पादन, खपत और संसाधनों के बेशुमार दोहन ने पर्यावरण के सामने संकट खड़ा कर दिया है. तो हम अपने समाज की जरूरतों, हमारी अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे बनाएं? इसी का जवाब खोजने की कोशिश करेंगे ईको इंडिया के इस एपिसोड में.
पैसों के मामूली लेनदेन से लूट बॉक्स तक, गेमिंग इंडस्ट्री ने गेम के शौकीनों की जेब हल्की करने के एक से बढ़कर एक तरीके ढूंढ निकाले हैं. देखिए कैसे गेमिंग कंपनियां लोगों को डिजिटल चीजों पर असली पैसे खर्च करने पर मजबूर कर देती हैं.
भविष्य में जंग शायद पानी के लिए ही लड़ी जाएगी. पानी धरती पर जीवन की बुनियादी जरूरत है, जो जलवायु परिवर्तन और बढ़ती आबादी के कारण दुर्लभ होता जा रहा है. इस एपिसोड में देखिए इस समस्या की वजह और उसके हल.
दुनिया के ज्यादातर लोग शहरों में रहना चाहते हैं. ज्यादा सुविधाएं, बढ़िया आमदनी और शिक्षा के बेहतर विकल्प सबको शहरी जीवन की ओर खींच लाते हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि साल 2050 तक धरती की 75% आबादी शहरों में रहा करेगी. इसके लिए क्या हमारे शहर तैयार हैं? ऐसे क्या उपाय हैं जिनसे भविष्य के शहरों का पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा? आज के एपिसोड में इसी पर करेंगे बात.
आधुनिक मानव जमीन के इस्तेमाल के तरीके बदलते जा रहे हैं. फिर चाहे जंगल जलाकर खेती लायक जमीन तैयार करनी हो या घास के मैदानों में सेंध लगाकर शहरों का विस्तार करना. धरती पर मौजूद हर तरह की जमीन की अपनी भूमिका है. जंगल, रेगिस्तान, वेटलेंड ये सभी ईकोसिस्टम में संतुलन बनाते हैं.
जर्मन राजधानी बर्लिन में एक एग्जीबिशन चल रही है: जीनियस, जिसमें एक जीनियस को पेश किया गया है. यहां आप डिजिटल तरीके से लियोनार्दो दा विंची की कला और उनकी सोच को महसूस कर सकते हैं.
यूरोपीय देश डिजिटल यूरो लाने की तैयारी कर ही रहे हैं कि चीन ने डिजिटल युआन इस्तेमाल करना शुरू भी कर दिया है. डिजिटल मुद्रा की रेस में आगे निकल रहे चीन को इसका कितना फायदा होगा, चलिए जानते हैं.
सामान से भरी सुपरमार्केट की रैक की अहमियत ज्यादातर लोग नहीं समझते. दुनिया भर में भुखमरी खत्म करने के संकल्पों के बावजूद कुपोषित लोगों की तादाद बढ़ रही है. दुनिया की तीस प्रतिशत से ज्यादा आबादी खाद्य असुरक्षा से प्रभावित है. आज हम जानेंगे, इससे निपटने के लिए हो रहे कुछ स्थानीय प्रयासों के बारे में.
भारत और पाकिस्तान के बीच सियासी मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि बासमती चावल को लेकर भी रस्साकशी हो रही है. पाकिस्तानी किसानों का कहना है कि उनके चावल को भारत के नाम से विदेशों में बेचा जा रहा है. ऐसा सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं हो रहा है. यूरोप में भी ऐसी मिसालें देखने को मिलती हैं.
आज दुनिया में रहने वाले आधे से ज्यादा लोग शहरों में रहते हैं. ये शहर कई तरह के दबाव झेल रहे हैं. बढ़ती आबादी के लिए बुनियादी ढांचा बनाने की चुनौती से लेकर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते जोखिम तक. ईको इंडिया के इस एपिसोड में देखिए तेजी से बदलते शहरों में उभरते कुछ नए तरह के समाधान.