dw.com बीटा पेज पर जाएं. कार्य प्रगति पर है. आपकी राय हमारी मदद कर सकती है.
हम आपके लिए अपने कंटेंट को बेहतर बनाने के लिए कूकीज का इस्तेमाल करते हैं. अधिक जानकारी डाटा सुरक्षा पेज पर उपलब्ध है.
अमेरिका में यूटा की ग्रेट सॉल्ट लेक पश्चिमी गोलार्ध में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है. लेकिन अब यह इस कदर सूख गई है कि झील के तल का दो हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका धूल में तब्दील हो गया है.
कश्मीर का सबसे बड़ा ग्लेशियर, कोलहाई, बेहद तेजी से खिसक रहा है. इसका मतलब है, घाटी में बहुत सारे पानी की आमद. बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए जरूरी है कि दलदली जमीन और झीलों की सफाई की जाए. एक बुजुर्ग लोगों को साथ लेकर झीलों को साफ करने की मुहिम चला रहे हैं.
चिली की पेनुएलस झील कभी ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत थी, लेकिन अब यह लगभग एक शुष्क रेगिस्तान है. लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं, "हे भगवान, हमें थोड़ा पानी दो!"
मणिपुर की लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत में मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है. यह झील हजारों लोगों के लिए जीवन का आधार है. लेकिन अब उनकी रोजीरोटी खतरे में पड़ गई है.
नॉर्वे में इतनी सर्दी पड़ती है कि अकसर झीलें जम जाती हैं. कुछ लोग ऐसी झीलों से बर्फ को काटकर बेचते हैं और बड़ा मुनाफा कमाते हैं. इस बर्फ से बहुत ही मजेदार चीजें बनती हैं.
महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित इलाकों की प्यास बुझाने के लिए 1980 में करोड़ों रुपये की लागत से उजनी बांध बनाया गया. मकसद था सिंचाई और पेयजल पाना. लेकिन आज इस बांध के पीछे बनी झील भारत के बेढंगे विकास का उदाहरण बन चुकी है.
दक्षिणीपूर्व भारत की पुल्लीकट झील के पास एक छोटे से द्वीप इरुक्कम के निवासी जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे हैं. जिसके चलते कई निवासी इलाका छोड़कर भी जा चुके हैं और यह पलायन अब भी जारी है.
कश्मीर में हर साल झुंड में आने वाले हजारों पक्षी सिकुड़ते दलदली इलाको के कारण खतरे में हैं. कुछ स्थानीय लोग इस क्षेत्र की लुप्त होती झीलों को वापस ज़िंदा करने की कोशिश कर रहे हैं. आतिफ़ फयाज़ की रिपोर्ट.
श्रीनगर की डल झील शहर सिर्फ इस शहर की नहीं, बल्कि कश्मीर घाटी की पहचान है. हजारों पर्यटक हर साल इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं. लेकिन आज ये झील बड़े संकट से गुजर रही है. अगर जल्द कुछ नहीं किया गया तो यह झील कचरे के ढेर में तब्दील हो सकती है.
स्थानीय लोगों की जीवनरेखा रही रूस की ऊरगुन झील के जीवन पर ही खतरा मंडराने लगा है. बीतते वक्त के साथ साथ झील भी सिकुड़ती जा रही है. यहां रहने वाले खनन कंपनियों को इसके लिए दोषी मानते हैं, जबकि खनन करने वाले और स्थानीय प्रशासन इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराते हैं.
श्रीनगर में डल झील पर पारंपरिक हाउसबोट दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. लेकिन झील मे इनसे बढ़ रहा प्रदूषण इस विरासत खत्म करने पर आमादा है.
जर्मनी के सबसे पुराने पर्यटन मार्ग की शुरुआत 1927 में हुई थी. गाड़ियों के उस शुरुआती दौर में आल्प्स के दर्रों से हो कर गुजरने का रोमांच था. आज भी आप इस रास्ते पर मनमोहक दृश्य और इमारतें देख सकते हैं.
लेक कोंस्टांस दुनिया भर के लोगों को अपनी तरफ खींचती है. यहां प्रकृति खूबसूरती के साथ साथ इंसानी इतिहास की कुछ अनमोल धरोहरें मौजूद हैं. चलिए, ड्रोन की नजर हम भी इस विशाल खूबसूरत झील के हसीन नजारें देखें.
पाकिस्तान में मंछर झील एक जमाने में अपनी मछलियों, परिंदो, जलीय पौधों और नौकाओं पर बसे गांवों के लिए जानी जाती थी. लेकिन जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण ने आज यहां रहने वाले लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. अब ना तो उतनी मछलियां रहीं और ना उतनी आमदनी. पीने के साफ पानी के भी लाले पड़ गए हैं. देखिए पाकिस्तान के सिंध प्रांत से खास रिपोर्ट.
जर्मनी में महामारी के दौरान कैंपिंग का चलन बढ़ा है. सोशल डिस्टेंसिंग के लिहाज से इस तरह की छुट्टियां ज्यादा सुरक्षित रहती हैं. तो चलिए, आपको दिखाते हैं देश की दस सबसे सुंदर जगहें जहां कैंपिंग होती है.
उजली रेत और नीले साफ पानी वाली तुर्की की एक झील हाल ही में नासा के कारण सुर्खियों में आई. लेकिन प्रसिद्धि बढ़ने के साथ ही इस झील पर जुटने वाली भीड़ भी बढ़ने लगी. अब तो इस झील को बचाने की जरूरत पैदा हो गई है.
भारत के नीति आयोग के मुताबिक देश पानी के अभूतपूर्व संकट का सामना करने जा रहा है. देश के ज्यादातर इलाकों में सिकुड़ती झीलें इसकी गवाही भी दे रही हैं.
अगर पूरा का पूरा गांव, आपकी दुकान और आपका पुराना स्कूल, सब कुछ एक तेजी से बढ़ती झील में समा जाए तो आप क्या करेंगे. DW की एडिथ किमानी केन्या की रिफ्ट वैली में यही पता लगाने गईं, जहां लेक बोगोरिया और लेक बारिंगों तेजी से जमीन को निगलती जा रही हैं.
युवा पीढ़ी को संदेश देने के लिए एक बुजुर्ग दादा ने बर्फीली झील को काटकर हिमचक्र बना दिया. एस्टोनिया का ये हिमचक्र इंटरनेट पर वायरल भी हो गया.
दिल्ली में कुछ जगहों पर जहां कचरे के पहाड़ दिखाई पड़ते हैं, वहीं गुड़गांव की एक सोसाइटी कचरे से बढ़िया खाद बनाने में लगी है. क्या शहरों को ऐसे ही स्मार्ट समाधानों की जरूरत है. इस एपिसोड में जानिए कि कैसे गुलेल के सहारे राजस्थान में एक झील को छांव दी जा रही है.