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संरक्षणविदों का एक समूह पर्यावरणीय डीएनए के इस्तेमाल से लाइबेरिया के जंगलों में जानवरों को ट्रैक कर रहा है, ताकि जैव-विविधता की समझ बढ़े और पर्यावरण की बेहतर देखभाल हो पाए.
जानवर और पेड़ पौधों की प्रताजियां बहुत तेजी से गायब हो रही हैं. प्रदूषण और जीव जंतुओं के खत्म होते बसेरे इस पृथ्वी की जैव विविधता को बड़ी तबाही की तरफ ले जा रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि हम इंसानों ने खुद को इस पृथ्वी का हिस्सा मानने की बजाय इसका मालिक समझ लिया है.
भारत में होली के इतने रंग और रूप हैं कि यह त्योहार संस्कृतियों की विविधता का अनूठा प्रतीक है. देखिए, कहां कैसी होली मनाई जाती है...
गांव देहातों की महिलाओं को अपने समुदायों और स्थानीय संसाधनों की गहरी समझ होती है, जिससे उन्हें उनके पर्यावरण में हो रहे बदलावों के आसान हल खोजने में मदद मिलती है. दक्षिण भारत की एक महिला ने पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल करते हुए जैव विविधता बचाने की मुहिम छेड़ी है.
वे जंगलों, समुद्र-तटों, घास के मैदानों और रेगिस्तानों के रखवाले हैं. मूल-निवासी सदियों से अपनी ज़मीन की हिफ़ाज़त कर रहे हैं और धरती की जैव-विविधता को बचा रहे हैं. अक्सर हाशिये पर रहने वाले ये लोग पृथ्वी और उसके घटते हुए संसाधनो की देख-रेख में अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस एपिसोड में मिलते हैं ऐसे ही कुछ लोगों से.
जैव-विविधता को बचाने की कई कोशिशें हो रही हैं. इसके बावजूद बहुत सी प्रजातियों को बचाया नहीं जा सकेगा. अगर हम कहें कि विकास की प्राकृतिक प्रक्रिया की भी इसमें भूमिका है, तो भी जिस तेजी से ये हो रहा है वो चिंताजनक है. क्या वैज्ञानिकों के पास समस्या का समाधान हो सकता है, आइए देखते हैं.
सीवीड को सुपरफूड माना जाता है, साथ ही यह जैव ईंधन, जैव उर्वरक और अन्य कारोबारी उत्पादों का भी स्रोत है. भारतीय राज्य तमिलनाडु में समुद्री शैवाल की खेती ने हजारों नौकरियां पैदा की हैं और ग्रामीण समुदायों में महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद की है.
खेल कभी भी सिर्फ खेल नहीं होते और कारोलिन बाख यह मझती हैं. उन्होंने जर्मनी में ईको फ्रेंडली प्लेइंग कार्ड्स बनाए हैं जिनका मकसद समाज की बेहतरी के लिए विविधता को दिखाना और समानता को बढ़ावा देना है.
ब्रिटेन के कुछ लोगों ने अब अपने घर के बगीचों को संवारना छोड़ दिया है. उनका मानना है कि कुदरत को कुदरती तरीके से जीने देना चाहिए. तभी जैव विविधता को बचाया जा सकता है. इस काम में ये लोग सूअरों की मदद भी ले रहे हैं.
गुड़गांव शहर देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट हब में से एक है. लेकिन आधुनिकीकरण की इस चमक के बीच एक जैव विविधता का हॉटस्पॉट भी इस फैलते हुए शहर से घिरा हुआ है. हालांकि फिलहाल तो यह खुद को जीवित रखने के लिए लड़ रहा है.
नन्धौर वन्यजीव अभयारण्य चीन और नेपाल से लगे भारत के उत्तरी प्रांत उत्तराखंड में स्थित है. जैविक प्रजातियों से भरपूर ये अभयारण्य तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है, जो भारत में उत्तराखंड से लेकर नेपाल तक फैला हुआ है.
पिछले सालों में धरती की जैव विविधता में बहुत कमी आई है. वैज्ञानिक और तकनीक के जानकार इसे बचाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. वर्चुअल रिएलिटी की मदद से लोगों को यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि वे क्या खोने जा रहे हैं.
गोवा में एक युवा वैज्ञानिक अपने गांव का जैव विविधता रजिस्टर बना रही है, ताकि वह और उसका समुदाय उस प्राकृतिक संपदा को पहचान सकें और बचा सके जो उन्हें मिली है.
भारत में हर मामले में विविधता देखने को मिलती है. कोई राज्य अमीर है तो कोई गरीब. कहीं सबसे ज्यादा लोग कृषि पर निर्भर हैं तो कहीं उद्योग पर. एक नजर देश के प्रमुख अमीर राज्यों और वहां की अर्थव्यवस्था पर.
लंबे और नुकीले, चपटे या फिर अटपटे और कभी कभी दानवों की तरह बड़े, पशुओं के मुंह में जितनी विविधता है उतनी इंसानों में कहां. यहां देखिए कुछ दिलचस्प मुखाकृतियों को.
बहुत से लोग सांपों से डरते हैं लेकिन कुछ उनसे मोहब्बत भी करते हैं. कुछ भी हो, सांप दिलचस्प भी हैं और विविधताओं से भरपूर भी. कुछ सांपों तो उड़ भी सकते हैं. जानिए सांपों के बारे में हैरतअंगेज बातें.
जितनी विविध पृथ्वी है, उतना ही विविध ब्रह्मांड भी है. वहां कई खूबियों वाले ग्रह हैं. कोई हीरों से भरा है तो कोई धधकता गोला सा है. एक नजर ऐसे ग्रहों पर.
ऊर्जा की लगातार बढ़ रही जरूरत पूरा करने के लिए जितना ज्यादा अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल हो अच्छा है. हमारे आसपास मौजूद पेड़ पौधे ऐसे में बड़े काम के हैं. जानिए ऐसे पेड़-पौधों के बारे में.
भारत में इतनी विविधता है कि एक ही घर में आपको अलग अलग भाषाओं, अलग अलग संस्कृतियों वाले लोग भी मिल जाएंगे. लेकिन यहां पश्चिमी देशों में ऐसा कम ही देखने को मिलता है. आइए मिलवाते हैं आपको ऐसे परिवार से जहां पति जर्मन हैं और पत्नी चीनी..
जर्मन भाषा के सबसे बड़े लेखक और कवि माने जाने वाले योहान वोल्फगांग फॉन गोएथे का थिएटर से लेकर विज्ञान तक में दखल था. उनके व्यक्तित्व के तमाम पहलुओं पर एक नजर.