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शीत युद्ध के समय 28 सालों तक बर्लिन की दीवार ने पश्चिमी और पूर्वी बर्लिन को विभाजित रखा. दीवार तो 1990 में गिरा दी गई लेकिन इसके इतिहास को जिंदा रखने के लिए 160 किलोमीटर का एक ट्रेल आज भी मौजूद है.
क्या आप जानते हैं कि जर्मनी में बीयर के 5,500 से भी ज्यादा ब्रांड हैं और हर हफ्ते बाजार में एक नई बीयर आती है? पेश हैं ऐसे ही कुछ और रोचक तथ्य जर्मनी के बीयर प्रेम के बारे में.
कई देशों में आज सुपर हाइवे या एक्सप्रेस वे बन रहे हैं. जर्मनी में इस काम की शुरुआत 90 साल पहले हुई. आज जर्मनी के ऑटोबान को नो स्पीड लिमिट के लिए जाना जाता है. बहुत से लोगों में यह भ्रम है कि ऑटोबान हिटलर ने शुरू किया.
चांद पर इमारतें बनाने के लिए धरती से निर्माण सामग्री ले जाना बहुत महंगा पड़ेगा. ऐसे में वहीं पर मौजूद चीजों, जैसे चंद्रमा की धूल से खास तरह की ईंटें बनाने का आइडिया है. जर्मनी में ज्वालामुखी से निकली राख पर ऐसे प्रयोग हो रहे हैं. लेकिन क्या धरती पर काम करने वाली प्रक्रिया चांद पर भी कामयाब हो सकेगी? मंथन में इस एपिसोड में विस्तार से देखिए.
कहर बरपाती जंगल की आग और विनाशकारी सूखा. दुनिया के कई देश सालों से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जूझ रहे हैं. लेकिन वे इलाके भी अब तेज़ी से चपेट में आन लगे हैं जो मौसम की मार के लिए नहीं जाने जाते थे.
जर्मनी में चांसलर के भी सालाना छुट्टी लेने की परंपरा है. जो काम करता है उसे आराम भी चाहिए, इसलिए राजनीतिज्ञों के छुट्टी लेने को बुरा नहीं माना जाता. तो कौन से हैं चांसलरों के मनपसंद ठिकाने?
किसी गाड़ी में बार-बार ब्रेक ललगाने से ब्रेक पैड और डिस्क जल्दी घिस जाते हैं. इससे प्रदूषण करनेवाला पार्टिकुलेट मैटर भी निकलता है. अब तक अनसुलझी इस समस्या का समाधान अब दो जर्मन इंजीनियरों ने खोजा है.
भारत में तो भूजल स्तर तेजी से घट ही रहा है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन का इलाका भी सूखे की मार झेल रहा है. देखिए यहां जमीन के अंदर पानी कितना कम होता जा रहा है.
कोरोना वायरस महामारी के दो सालों के बाद समुद्री पर्यटन फिर से चलन में लौट कर आ रहा है. कुछ लोगों के लिए ये घूमने फिरने का सबसे तनाव मुक्त साधन है, लेकिन इसके कई प्रखर आलोचक भी हैं.
कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के कारण आई आर्थिक परेशानियों का सामना जर्मनी कैसे कर रहा है. और उसमें देश के राजनीतिज्ञ क्या योगदान दे रहे हैं, जानिए.
म्यूनिख का केंद्रीय चौक, मरीनप्लात्स, शहर के सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में से एक है. फिर भी अभी यहां कुछ ऐसे राज हैं, जिसे वहां के स्थानीय लोग भी नहीं जानते हैं. इनके बारे में बताने के लिए हम आपको वहां के टूर पर ले जा रहे हैं.
डॉयचे वेले से बातचीत में जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक के कहा कि रूस के तजुर्बे के बाद जर्मनी अब सुनिश्चित करेगा कि चीन या किसी और देश पर निर्भरता इतनी ना बढ़ जाए कि हालात ब्लैकमेल तक पहुंच जाएं.
इमारतें बनाने से लेकर कांच बनाने तक, बालू न जाने कहां-कहां इस्तेमाल होती है. लेकिन, धरती पर बालू की मात्रा तो सीमित ही है. तो इस समस्या से निपटने का एक तरीका सुझा रही है जर्मनी की एक कंपनी, जो बालू को सस्टेनेबल तरीके से इस्तेमाल करने के तरीके खोज रही है.
यूरोप में भीषण गर्मी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. आमतौर पर ठंडे रहने वाले इन देशों में लोगों को काफी मुश्किल पेश आ रही है क्योंकि उनके पास गर्मी से लड़ने के बहुत कम ही उपाय मौजूद हैं. जो हैं वो भी सबके लिए नहीं.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के डर से बनाए गए बंकर अब बेचे जा रहे हैं. कुछ खरीदारों ने तो इनमें होटल तक बना दिया है.
बर्लिन में भविष्य में रूसी गैस की आपूर्ति ठप हो जाने को लेकर तैयार रहने के लिए एक विशालकाय थर्मस बनाया जा रहा है. इसी की मदद से सर्दियों में शहर के घरों को गर्म रखने की योजना है.
दुनिया सुंदर रेलवे रूटों से भरी हुई है. अगर फुर्सत हो तो इनका मजा लिया जाना चाहिए. एक नजर यूरोप के सबसे खूबसूरत ट्रेन रूटों पर.
जर्मनी की वह कंपनी, जो भारत में गंगा को साफ करने में जुटी है.
जर्मनी साइंस और टेक्नोलजी के मामले में दुनिया भर में मिसाल है. जर्मनी का हुम्बोल्ट फाउंडेशन भारत समेत दुनिया भर के रिसर्चरों को यहां आकर काम करने का मौका देता है.
भारत की तरह गर्मी इस बार यूरोप में भी रिकॉर्ड तोड़ रही है. नदियों में पानी घट गया है, खेत सूख रहे हैं और जंगल जल रहे हैं. यूरोप के लिए सुहाना रहने वाले गर्मियों का मौसम उस पर बहुत भारी पड़ रहा है.