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कोरोना महामारी और उसके बाद महंगाई की वजह से न्यूयॉर्क में घरों का किराया आसमान छू रहा है. कई स्थानीय लोग हैं, जो अब किराया चुकाने की हालत में ही नहीं हैं. ऐसे में लोगों का घर छोड़ना और बेघर होना बढ़ रहा है.
सीवेज के पानी की जांच से कोरोना समेत कई और संक्रामक रोगों की जल्द पहचान की जा सकती है. ये भी पता लगाया जा सकता है कि वायरस के अलग-अलग वैरिएंट्स कैसे फैलते हैं. मंथन के इस एपिसोड में जानिए कि किस तरह सीवेज की मदद से लक्षण उभरने से पहले ही कोरोना की पहचान की जा सकती है.
ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी सीएसआईआरओ ने दो दशकों में दुनिया के लिए मेगाट्रेंड की सूची बनाई है. अगले बीस सालों में दुनिया कैसा रंग रूप लेगी और किस ओर जायेगी यह इन सात बातों पर दुनिया के रुख से पता चलेगा.
कोरोना वायरस महामारी के दो सालों के बाद समुद्री पर्यटन फिर से चलन में लौट कर आ रहा है. कुछ लोगों के लिए ये घूमने फिरने का सबसे तनाव मुक्त साधन है, लेकिन इसके कई प्रखर आलोचक भी हैं.
कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के कारण आई आर्थिक परेशानियों का सामना जर्मनी कैसे कर रहा है. और उसमें देश के राजनीतिज्ञ क्या योगदान दे रहे हैं, जानिए.
कोरोना महामारी ने जब इंडोनेशिया में दस्तक दी, तो साथ में एक और प्रकोप लाई. गांव की ओर जा रहे लोगों को खेती के लिए जमीन चाहिए थे और उन्हें सिर्फ जंगल दिख रहे थे.
अमेरिकी के राष्ट्रीय थिंक टैंक हिंसा नीति केंद्र (वीपीसी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक महामारी की तरह बढ़ रही है. जाने पहचाने पुरुषों से भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं.
कोरोना महामारी के कारण दो साल तक बंद रहने के बाद स्पेन के पांपलोना में पारंपरिक सांडों की दौड़ फिर शुरू हो गई. इस विवादास्पद त्योहार के दौरान सांड के आगे दौड़ते समय कई लोग घायल हो जाते हैं.
कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद पहली बार सऊदी अरब ने हज के लिए सऊदी से बाहर के मुसलमानों को भी अनुमति दी है. देखिए इस साल के आयोजन से चुनिंदा तस्वीरें.
कोरोना की जांच के लिए टेस्ट किट से ज्यादा कारगर और झटपट तरीका है, सीवेज. अगर सीवेज को टटोला जाए, तो एक बड़े इलाके में संक्रमण के ट्रेंड का जल्द पता लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं, सीवेज की मदद से कई और बीमारियों की भी जल्द शिनाख्त की जा सकती है.
कोविड महामारी का जोर कम होते ही दुनिया में मौत की सजाओं की संख्या बढ़ गई है. पिछले साल 579 लोगों को मौत की सजा दी गई, जिनमें सबसे ज्यादा मरने वाले ईरान के थे.
अमेरिका में कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या दस लाख के पार हो गई है. महामारी के दौरान हजारों बच्चों ने अपने माता-पिता या किसी एक को खो दिया है. ऐसे बच्चे अब अचानक से अकेले पड़ गए हैं.
जर्मनी में लॉन्ग कोविड के मरीजों के इलाज के लिए बिलकुल नई तरह की रिसर्च चल रही है. लॉन्ग कोविड उन लक्षणों को कहा जाता है जो कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों में दिखाई देते हैं. रिसर्चरों ने पता लगाया है कि कोविड 19 के संक्रमण के कारण शरीर में खास तरह के ऑटो एंटीबॉडी बनते हैं जो कि खून के साथ पूरे शरीर में दौड़ने लगते हैं. इसका असर मरीजों की आंखों में साफ दिखता है.
कोरोना वायरस को लेकर कुछ वैज्ञानिक ऐसे उत्पाद बनाने पर भी शोध कर रहे हैं, जिनकी मदद से लोगों को संक्रमण हो ही न. फिनलैंड की एक यूनिवर्सिटी में इसी मकसद से नाक से लिया जाने वाला स्प्रे बनाने पर काम हो रहा है. देखिए यह किस तरह मददगार हो सकता है.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंचे, तो तमाम भारतीयों ने उनका पारंपरिक रूप से स्वागत किया. पीएम मोदी के साथ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और विदेशमंत्री एस. जयशंकर भी बर्लिन आए. दोनों सरकारों के बीच बातचीत के बाद जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और पीएम मोदी ने बयान जारी किए. सुनिए जर्मनी में पीएम मोदी का पूरा बयान.
दक्षिण अमेरिकी अलपाका दिखने में एक साधारण सा जानवर है, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि ये कोरोना से लड़ने में मददगार हो सकता है. एक अजनबी बौद्ध के तोहफे में दिए चार अलपाका जानवर केवल कोरोना ही नहीं, बल्कि दूसरे वायरसों से बचाव का फॉर्म्युला बता सकते हैं.
भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में घूम-घूम कर नाटक करने वाली दर्जनों कंपनियां सक्रिय हैं. लेकिन कोविड ने उनका काम-धंधा चौपट कर दिया था. अब ये कंपनियां फिर सक्रिय हो रही हैं, इस उम्मीद में कि दिन बहुरेंगे.
वैज्ञानिकों को जब इंसानी शरीर के बारे में कुछ जानना होता है, कोई शोध करना होता है या कोई वैक्सीन बनानी होती है, तो वे DNA की शरण में जाते हैं. पर DNA के बाद एक और चीज आई mRNA... अभी कोविड वैक्सीन बनाने के पीछे यही साइंस था... आइए, जानते हैं यह कैसे काम करता है.
यूनेस्को ने भारत में हुई स्कूलबंदी को बच्चों के लिए सबसे नुकसानदेह स्कूलबंदियों में शामिल किया है. बच्चों की पढ़ाई को इससे एक स्थायी नुकसान हो सकता है. लेकिन जानकारों के पास इस नुकसान को कम करने के लिए कुछ सुझाव भी हैं.
2020 के मध्य से लेकर 2021 के मध्य तक अमेरिका के बड़े शहरों में रहने वाले लाखों लोग इन शहरों को छोड़ कर छोटी जगहों पर चले गए. जानिए क्या कहते हैं अमेरिका के सेंसस ब्यूरो के ताजा आंकड़े.