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ट्यूनीशिया के किसान सिंचाई की एक पारंपरिक तकनीक की मदद से समंदर किनारे बढ़िया खेती कर लेते हैं. अपने खास स्वाद के कारण यहां उगी सब्जियां बहुत महंगी बिकती हैं. साथ ही, कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं पड़ती है.
एक तरफ भयानक गर्मी से किसानों की उपज घट रही है. ऊपर से सरकार ने निर्यात पर बैन लगा दिया है. सुनिए ऐसे में किसानों को क्या-क्या दिक्कतें पेश आ रही हैं.
गाएं भाड़ी मात्रा में मीथेन छोड़ती हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ग्रीनहाउस गैस है. पर ब्रिटेन के इन किसानों ने एक तरीका निकाला है, जिससे गाएं पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचा रही हैं.
जिम्बाब्वे में सूखा पड़ने की घटनाएं बढ़ रही है. नदी और कुएं भी सूख रहे हैं. यहां एक संस्था किसानों को बारिश का पानी जमा करने के लिए टंकी दे रही है. इससे लोग सूखे की स्थिति में भी बचे रह सकते हैं.
दुनियाभर में हर साल करीब दो अरब टन कूड़ा निकलता है. इसमें काफी कुछ तो खाने की पैकिंग होती है लेकिन ऐसी चीजें भी मिलीं जिन्हें खरीदने के छह महीने के अंदर ही फेंक दिया गया. जीरो-वेस्ट आंदोलन के तहत चीजों के कम या बार-बार इस्तेमाल पर जोर दिया जाता है, जिससे प्रकृति का संरक्षण हो और प्रदूषण भी कम हो. भारत में भी दिखी इस पहल की एक झलक.
दुनियाभर में हर साल करीब दो अरब टन कूड़ा निकलता है. जीरो-वेस्ट आंदोलन के तहत चीजों के कम या बार-बार इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है, जिससे प्रकृति का संरक्षण हो और प्रदूषण भी कम हो.
चार साल की मेहनत और करीब 40 लाख रुपये तो लगे, लेकिन इससे जो तैयार हुआ, उसने सुपारी उगाने वाले किसान गणपति भट की सारी उम्मीदें पूरी कर दीं. इस स्कूटर के जरिए वे पांच सेकंड में 65 फीट ऊंचे पेड़ के शिखर पर पहुंच जाते हैं
भारत के एक किसान ने ट्री-स्कूटर बनाया है. और अब वह इसे बेच भी रहा है. मैंगलुरु के इस किसान का यह कारनामा देखिए, तस्वीरों में पूरी कहानी के साथ.
मालवा को पंजाब के 'कैंसर बेल्ट' के नाम से भी जाना जाता है. हर साल यहां कैंसर के हजारों मामले सामने आते हैं. कैंसर बड़ी संख्या में लोगों की जान भी ले रहा है. इस त्रासदी का सबसे वीभत्स रूप चट्ठेवाला गांव में नजर आता है.
भारत के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. आम लोगों के लिए वित्त मंत्री के पिटारे से क्या-क्या निकला, जानते हैं.
अंडों के छिलकों को आम तौर पर कूड़ा समझा जाता है. लेकिन अफ्रीका देश युगांडा में किसान इनसे टमाटर की अच्छी फसल उगा रहे हैं. इससे टमाटर के पौधे कीड़ों और बीमारियों से बचे रहते हैं और किसानों को बढ़िया टमाटर मिलता है.
भारत और पाकिस्तान के बीच सियासी मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि बासमती चावल को लेकर भी रस्साकशी हो रही है. पाकिस्तानी किसानों का कहना है कि उनके चावल को भारत के नाम से विदेशों में बेचा जा रहा है. ऐसा सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं हो रहा है. यूरोप में भी ऐसी मिसालें देखने को मिलती हैं.
यूरोप में सबसे ज्यादा भेड़िए स्पेन में पाए जाते हैं. यहां उनके शिकार पर प्रतिबंध है. भेड़ियों के संरक्षण पर स्थानीय किसानों को आपत्ति है. उनका कहना है कि भेड़ियों को बचाने से उनके पालतू जानवरों के साथ साथ खुद इंसानों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है.
जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून के अनियमित होते जाने से भारत के किसानों बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश के एक किसान को जर्मनी में तैयार किए गए वर्षा के पूर्वानुमान मॉडल से मदद मिली. इसकी आश्चर्यजनक सटीकता वाली बारिश की भविष्यवाणी ने उनकी बहुत मदद की.
जर्मनी में एक ऑर्गेनिक किसान क्रिस्टोफ ब्रिगेल के पास लगभग सौ गाय हैं. लेकिन वह अपने माता-पिता के मुकाबले कम काम करना चाहते हैं. रोबोट और कंप्यूटर चिप पर आधारित मशीनें उनके काम को आसान बना रही हैं.
राजधानी बीजिंग के पास चीन ने एक विशाल सोलर पार्क बनाया है जिसमें अपार बिजली बनेगी. लेकिन किसानों का कहना है कि इसके लिए उनसे जिस तरह जमीन छीनी गई है, उससे गंभीर सवाल उठते हैं.
ग्लोबल वार्मिंग ने पहाड़ों की प्राकृतिक व्यवस्था को खत्म करना शुरू कर दिया है. इन परिवर्तनों का जल प्रवाह से लेकर कृषि, वन्य जीवन और पर्यटन तक हर चीज पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.
कठौर मौसम के चलते दुनिया भर में किसानों को खेती करने में मुश्किलें आ रही हैं. फसल या तो सूखे के कारण बर्बाद हो जाती है या बाढ़ में डूब जाती है. बढ़ते दाम और बुरी सरकारी नीतियां.. तकलीफ को और बढ़ाती हैं और ये एक दुश्चक्र बन जाता है. ईको इंडिया के इस एपिसोड में जानिए ऐसे पारंपरिक और नए तरीकों के बारे में जो किसानों की जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मदद कर रहे हैं.
भारत में तटीय इलाके चक्रवात, मिट्टी के कटाव और समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण खतरे में हैं. लोग खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं. एक स्टार्ट अप वेटिवर घास के जरिये इसे बदलने में लगा है.
सोमालिया के एक इलाके में किसान अपने पानी के पंप चलाने से लेकर घरों में रोशनी करने तक के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस ऊर्जा के लिए किसान वे अपनी बकरियां बेचने को भी तैयार हैं.