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इराक में सद्दाम हुसैन के शासन के दौरान मारे गए लोगों के शवों को सामूहिक कब्रों से निकालने का काम चल रहा है. अधिकारियों ने सामूहिक कब्रों से अब तक 15 लोगों के अवशेष निकाले हैं. माना जाता है कि ऐसी और कब्रें हो सकती हैं.
पर्यटकों के लिए मोसुल शहर इराक का नगीना हुआ करता था. फिर युद्ध ने सब बर्बाद कर दिया. अब लोग उस बर्बादी को देखने आ रहे हैं.
इराक में 2011 में पहला सिनेमाघर खुला था, युद्ध के बाद. अब भी सिनेमा सबकी पहुंच में नहीं है. ऐसे में मोहम्मद दाखिल श्याद जरूरी हो जाते हैं, जिनके घर में सिनेमा है.
इराक में बोरेजगारी का बुरा हाल है. बहुत से पढ़े लिखे युवा काम नहीं खोज पाते हैं. इनमें से कुछ युवाओं को हौसला मिला एक अनोखे खेल से. देखिए, कैसे यह खेल बेरोजगार युवाओं का सहारा बन गया है.
कहीं देशों के बीच की सीमा तो कहीं नदियों के पानी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहे हैं. जानिए ऐसे देशों के बारे में जहां जलवायु परिवर्तन के कारण पानी पर संकट और गहरा गया है और उसे लेकर हो रही हिंसा में जानें जा रही हैं.
इराक जितना अपने तेल के कुओं के लिए विख्यात है उतना ही अपने इतिहास के लिए. जंगों के दौर में करीब 3 दशकों तक पुरातात्विक खोजी दल यहां से दूर ही रहे. लेकिन अब एक बार फिर उनकी आमदरफ्त तेज हो गई है.
इराक की बुशरा अब्दुल जाहरा अपने जुनून और आस्था को एक साथ जी रही हैं. देखिए उनकी जिंदगी के कुछ पल...
हजारों साल पहले जिस भूमि पर इंसान ने पहिया बनाकर क्रांति कर दी, जहां लेखनी का आविष्कार हुआ, वही जमीन अब बूंद बूंद के लिए तरस रही है. मेसोपोटामिया की सभ्यता का अहम केंद्र रहा इलाका, देशों की राजनीति में बर्बाद हो रहा है.
तीन देशों तुर्की, सीरिया और इराक में बहने वाली फरात नदी ने कभी मैसोपोटामिया की सभ्यता को पोसा था. आज भी यह नदी एक बड़े भूभाग की प्यास बुझाती है. लेकिन इलाके की राजनीति ने आज से मोहरा बना दिया है और इस पर निर्भर लोग पानी को मोहताज हो गए हैं.
सीरिया के बाद तुर्की ने ईरान से लगी सीमा पर भी कंक्रीट की दीवार खड़ी कर दी है. तुर्की आतंरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए ईरान, सीरिया और इराक की सीमा पर ऐसी दीवारें खड़ी कर रहा है.
अरब जगत का नाम मध्य पूर्व से जुड़ी खबरों में आपने अकसर सुना होगा. लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस अरब दुनिया में कौन से देश शामिल हैं. चलिए जानते हैं.
लोगों ने इन खूबसूरत इमारतों और मूर्तियों को सालों तक बनाया. और आतंकवादियों ने इन्हें पल भर में मिट्टी में मिला दिया. एक नजर दुनिया की उन नायाब धरोहरों पर जिनका हाल देख कर दिल दुखता है.
तुर्की और सीरिया की सीमा पर बीते साल तुर्की की सेना के अभियान ने हजारों कुर्दों को बेघर कर दिया. इस्लामिक स्टेट से जंग में दुनिया को जीत उनकी वजह से मिली लेकिन जंग खत्म होने के बाद उनके हिस्से में तकलीफ और आंसुओं के सिवा कुछ नहीं आया.
बगदाद में 1917 की उस्मानियाई दौर की जनगणना के मुताबिक 40 फीसदी यहूदी रहते थे. 1948 में इस्राएल के अस्तित्व में आने के बाद क्षेत्रीय तनाव चरम पर पहुंच गया. गैरयहूदीवाद के खिलाफ अभियान रुक गए और इराक के ज्यादातर यहूदियों को वहां से भागना पड़ा.
नई अमेरिकी एडवाइजरी में केवल कोरोना ही नहीं, अपराध और आतंकवाद के कारण भी भारत को कहीं ज्यादा खतरनाक बताया गया है. होटल कारोबारियों का मानना है कि भारत को सीरिया, इराक और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ रखना ठीक नहीं है.
इराक में बीते दिनों में कई सरकार-विरोधी प्रदर्शनकारी और एक्टिविस्ट मारे गए हैं. पिछले महीने बगदाद में प्रदर्शनों के बाद, अब बसरा में भारी आगजनी हुई है.
उन्होंने आईएस आतंकवादियों की अकथनीय यातना बर्दाश्त की. उनके मर्दों की हत्या की गई, बच्चों के साथ बलात्कार किया गया और बचपन में ही शादी करने के लिए मजबूर किया गया. इराक के यजीदियों को छह साल बाद भी न्याय नहीं मिला है.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनेई अमेरिका के हमले में मारे गए कासिम सुलेमानी की मौत से बहुत आहत हैं. अपनी कठोरता के लिए विख्यात खमेनेई को रोते देखना सबको हैरान कर रहा है. बहुत से लोग इसे खमेनेई के लिए राजनीति से अलग निजी नुकसान मान रहे हैं.
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में 2019 के दौरान करोड़ों लोग सड़कों पर उतरे. कहीं उन्होंने लोकतंत्र के लिए नारे बुलंद किए तो कहीं धार्मिक आधार पर भेदभाव का विरोध किया. कोई अपनी सरकार से नाखुश था तो किसी को भविष्य की चिंता थी.
तथाकथित इस्लामिक स्टेट के लिए अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में उसके मुखिया अबु बक्र अल बगदादी की मौत एक बड़ा झटका है. लेकिन अब भी कई देशों में यह गुट एक बड़ा खतरा बना हुआ है. एक नजर इन्हीं देशों पर.