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मशीनें, रोबोट और तकनीक की पूरी दुनिया में रोज तरक्की होती है. रोबोटों में और ज्यादा कृत्रिम बुद्धि डालते डालते कहीं इंसान उसे अपने से भी होशियार ना बना दे. आइए जानते हैं कि सोचने और भावनाओं का इजहार करने वाले रोबोट बनाने का सपना कब सच होने जा रहा है?
इस पृथ्वी को हम इंसान अपना घर कहते हैं. लेकिन हम इसे जितना लूट रहे हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. अर्थ ओवर शूट डे इसी की तरफ इशारा करता है. इसके तहत यह हिसाब लगाया जाता है कि किसी देश को जितने संसाधन आम तौर पर एक साल में खर्च करने चाहिए, वह उन्हें कितना जल्दी खत्म कर लेता है.
कश्मीर घाटी बहुत से जहरीले सांपों और एशियाई काले भालू का घर है. लेकिन जंगल लगातार सिमट रहे हैं और जानवरों का इंसानों के साथ टकराव बढ़ रहा है. अब कुछ लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं.
जलवायु परिवर्तन और बुनियादी ढांच की बड़ी परियोजनाओं ने हिमालयी इलाकों में पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है. इसका नतीजा यहां के आम लोग भुगत कर रहे हैं. वहां अचानक बाढ़ आने और लोगों के विस्थापन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
जेम्स वेब टेलीस्कोप की भेजीं तस्वीरें इंसान को ब्रह्मांड में वहां ले जाती हैं, जहां अब तक इंसान की नजर नहीं पहुंची थी. इन तस्वीरों को देखना समय में अरबों साल पीछे जाना है.
स्पेन का एक प्राचीन गांव, जो सालों पहले पानी में डूब गया था, अब दोबारा जिंदा हो गया है. कुछ लोग गांव के लौट आने से बहुत खुश हैं क्योंकि यहां से उनकी कुछ पुरानी यादें जुड़ी हैं. बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहां आ रहे हैं. लेकिन इस गांव के फिर से उभर आने की वजह निराश करने वाली है और इसके लिए हम इंसान ही जिम्मेदार हैं.
मिलिए अकेले एक पूरा जंगल उगा देने वाले शख्स से, जो बताता है कि कैसे छोटी-छोटी चीजों से प्रकृति को बचाया जा सकता है.
क्या आपको पता है कि हमें सांस लेने के लिए जितनी ऑक्सीजन महासागरों से मिलती है, उतनी किसी से नहीं मिलती. पेड़ों और वनों से भी नहीं. लेकिन बदले में हम महासागरों के क्या कर रहे हैं? हम उन्हें बीमार कर रहे हैं.
इस प्रकृति के लिए हर जीव जरूरी है. लेकिन बहुत से इंसान इस बात को नहीं समझते हैं. इंसानों की वजह से बहुत से जीवों के बसेरे उड़ रहे हैं और वे खत्म हो रहे हैं. अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में एक पोर्ट कछुओं के लिए मुसीबत बन रहा है.
भिवाड़ी को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर माना गया है. इस प्रदूषण की जिम्मेदार है एक खास चीज, जो इंसान के बाल से भी पतली होती है. इसकी वजह से भिवाड़ी के लोगों, खासकर बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.
बाल्टिक सागर का तल किसी टाइम बम से कम नहीं है. पोलैंड की जलसीमा में दूसरे विश्व युद्ध के समय के हजारों जहाजों का मलबा और बहुत से विस्फोटक दफन हैं. इन्हें आज तक नहीं हटाया गया. ये इंसानों और पर्यावरण, दोनों के लिए खतरा हैं.
महानगरी मुंबई तेंदुओं का भी घर है. दुनिया के सबसे सघन शहरों में से एक मुंबई से, मानव-तेंदुआ टकराव की खबरें आती रही हैं. एक स्थानीय अभियान इंसान और तेंदुओं के सह-अस्तित्व के लिए काम कर रहा है. छोटे बच्चों को सिखाया जा रहा है कि तेंदुए की क्या अहमियत है और उसका बचाव कैसे किया जा सकता है.
जानवर और पेड़ पौधों की प्रताजियां बहुत तेजी से गायब हो रही हैं. प्रदूषण और जीव जंतुओं के खत्म होते बसेरे इस पृथ्वी की जैव विविधता को बड़ी तबाही की तरफ ले जा रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि हम इंसानों ने खुद को इस पृथ्वी का हिस्सा मानने की बजाय इसका मालिक समझ लिया है.
तपती गर्मी में इंसानों के साथ साथ पक्षी भी परेशान है और पानी की कमी के चलते जमीन पर गिर रहे हैं. अहमदाबाद का एक अस्पताल ऐसे पक्षियों को बचा रहा है, उनकी देखभाल कर रहा है.
कैसा महसूस होगा मंगल पर रहना, धरती पर चल रहे ऐसे प्रयोगों पर एक नजर मंथन के इस एपिसोड में. लाल ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाने वाले से लेकर उसकी जमीन पर उतर कर चलने वाले रोवर तक भेजे गए. लेकिन एक दिन वहीं इंसानी बस्तियां हों इसके लिए अभी से धरती पर ही मंगल जैसे माहौल में रहने की ट्रेनिंग की जा रही है. इसके अलावा अपने पसंदीदा साइंस शो में देखिए कि कैसी है हमारी आकाशगंगा.
एक दिन में 24 घंटे होते हैं और हर घंटे में 60 मिनट. ये बात इंसान को कब और कैसे पता चली?
विज्ञान ने यूं तो हम इंसानों को बहुत सारी अनोखी चीजें दी हैं, लेकिन आज आपको एक ऐसा वाद्य यंत्र दिखाते हैं, जिसे बजाने के लिए आपको बस हवा में हाथ घुमाने होते हैं.
पेड़ पशु-पक्षियों को आश्रय देते हैं, जमीन को उर्वर बनाए रखते हैं और ग्रीनहाऊस गैसों को सोखकर जलवायु संकट से हमें बचाते हैं. दुनिया भर की अलग-अलग संस्कृतियों में पेड़ों को पावन माना गया है. देखिए, कहां-कैसा है यह रिश्ता.
कहीं अमीरों के लिए आलीशान कोठियां बन रही थीं, तो कहीं कामगारों की बस्तियां पनप रहीं थीं. दुनिया के कुछ ऐसे इलाके आज वीरान पड़े हैं.
हम इंसानों के केवल चेहरे में ही बयालीस अलग अलग मांसपेशियां होती हैं. इनके अलग अलग कॉम्बिनेशन हमारे चेहरे पर अलग अलग भाव के रूप में दिखते हैं. लेकिन दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो इन बयालीस मसल्स में से हर एक को हिला सकते हैं. साइंस के खास शो मंथन में देखिए मांसपेशियों की खास एक्सरसाइज. इस एपिसोड में जानिए कि सुपरमैसिव ब्लैक होल पर कैसे नजर रखेगा जेम्स वेब दूरबीन.