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इनोवेशन यानी कुछ नया रचने के लिए माहौल देने के मामले में भारत का दुनिया में 46वां स्थान है, जो पिछले साल से दो स्थान ऊपर है. लेकिन टॉप 10 देशों में कौन हैं...
दुनिया की अर्थव्यवस्था विकास पर टिकी है लेकिन इस विकास का पर्यावरण पर बुरा असर होता है. पर्यावरण अर्थशास्त्री पवन सुखदेव का मानना है कि हमें प्रकृति की कद्र करनी चाहिए और यह सीखना चाहिए कि कैसे हम कुदरत को साथ लेकर भी एक टिकाऊ अर्थव्यवस्था खड़ी कर सकते हैं.
धरती का भी भला हो और हमारा मुनाफा भी ये दोनों काम अकसर एक साथ नहीं हो पाते हैं. इतिहास दिखाता है कि बड़ी बड़ी कंपनियों को जब भी मुनाफा हुआ है, पर्यावरण को उससे नुकसान होता रहा है. लेकिन धीरे धीरे चीजें बदल रही हैं. निवेशक अब जागरूक हो गए हैं और इस ओर ध्यान दे रहे हैं कि उनका पैसे का इस्तेमाल इकोफ्रेंडली तरीके से हो.
दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पहली बार किसी महामारी का इतना असर हुआ है. अर्थशास्त्री भी पूरी तरह से यह समझ नहीं पा रहे कि इसके नतीजे में आई मंदी दुनिया का क्या हाल करेगी. डीडब्ल्यू टीवी के बेन फाजुलिन और माल्टे रोवर कालमन की रिपोर्ट...
अर्थव्यवस्था से जुड़ी खबरों में कुछ ऐसे शब्द होते हैं जिन्हें समझे बिना कुछ पता नहीं चलता. चलिये समझते हैं इन शब्दों को.
हर साल स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में 10 दिसंबर को रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र, अर्थशास्त्र, साहित्य एवं विश्व शांति के क्षेत्र में इसे दिया जाता है. और जानिए इस पुरस्कार के बारे में.
भारत में अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर हड़कंप मचा है. सरकार में शामिल दलों के अलावा अब तो बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने भी चिंता जाहिर करनी शुरू कर दी है. राजनीति से परे अर्थव्यवस्था की हालत वास्तव में कितनी खराब है? सरकार से आर्थिक मोर्च पर क्या गलती हुई है? गुड़गांव के मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर शैलेंद्र राय से सुनिए...
आर्थिक विकास और मुद्रा संकट की घड़ी में विदेशी मुद्रा भंडार बहुत काम आता है. इसके बूते देशों की साख तय होती है, अंतरराष्ट्रीय कर्ज की अदायगी होती है.
आम बजट महज आम आदमी के लिए ही नहीं बल्कि वित्त मंत्रियों के लिए भी खास होता है. पेश हैं बजट पेश करने वाले वित्त मंत्रियों से जुड़ीं कुछ मजेदार बातें...
ऑटोमेशन तेजी से बढ़ रही है. रोबोट इंटेलिजेंट होता जा रहा है. इस कारण दुनिया भर में नौकरियां रोबोट्स को जा रही हैं. अर्थशास्त्रियों बर्जनर, फ्रे और ऑसबर्न का अनुमान है कि किस देश में कितनी नौकरियां रोबोट को जा सकती हैं.