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अफगानिस्तान में अब ऐसे लोगों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है जो खाद्य असुरक्षा की स्थिति में रहने को मजबूर हैं. दो करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों को तत्काल मदद की जरूरत है. देश की हालत हर रोज खराब हो रही है.
अफगानिस्तान में ड्रग्स के आदी लोगों की लत छुड़ाने और उन्केहें वापस जीवन की पटरी पर लाने के लिए लैला हैदरी बीते 12 सालों से एक कैंप चला रही हैं. काबुल में अपना रेस्तरां खोलने वाली इस पहली महिला की जुबानी सुनिए उसकी कहानी.
अफगानिस्तान में रहने वाले सिख हमेशा से अपने साथ धार्मिक आधार पर भेदभाव होने की शिकायत करते आए हैं. लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद उनके सामने अपना वतन छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.
जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है, अफगानिस्तान के लोग लंबे समय से सबसे भयानक अकालों में से एक का सामना कर रहे हैं. बामियान प्रांत के इन लोगों समेत कई लोगों के पास सबसे बुनियादी चीजों की कमी है.
तालिबान के चंगुल से खुद को बचाकर काबुल से भागा एक परिवार अमेरिका के केंटकी राज्य के एक छोटे से शहर में आ पहुंचा है. देखिए कैसे ये शरणार्थी और यह शहर एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं.
अफगानिस्तान सूखा, भुखमरी और आर्थिक संकट से घिरा हुआ है. देश में अनिश्चितता के माहौल के बीच अफगान पुरुष कुछ पल दंगल के लिए निकाल रहे हैं.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत अपने नागरिकों समेत वहां के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के मिशन पर लगा हुआ है. हर रोज वायुसेना के विमान से सैकड़ों लोग भारत आ रहे हैं. भारत आकर वे राहत की सांस ले रहे हैं.
तालिबान का बदला रूप, ये सिर्फ एक दिखावा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय जैसे ही नजरें फेरेगा वैसे ही तालिबान फिर अपना असली चेहरा दिखाएगा. डीडब्ल्यू के साथ बातचीत में यह दावा, अफगान सरकार में महिला मामलों और गृह मंत्रालय की उप मंत्री रह चुकीं होस्ना जलील ने किया है.
पिछले 20 साल अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा नहीं था. उसके शासन में औरतों की स्थिति बेहद खराब बताई जाती है. क्या बीते 20 साल में महिलाओं के लिए कुछ बदला है?
अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज के निकलने के बाद तालिबान की वापसी के कयास तो पहले से ही लग रहे थे. यह काम महज 22 दिनों में अमेरिकी फौज के देश में रहते हो जाएगा इसकी उम्मीद नहीं थी. तालिबान के लड़ाके इतने संगठित और ताकतवर कैसे हो गए कि 20 सालों से अमेरिका की सरपरस्ती में ट्रेनिंग करने वाली अफगान सेना उनके सामने खड़ी भी नहीं हो सकी.
नाटो सेनाओं के अफगानिस्तान छोड़ देने के बाद, देश के इलाकों पर तालिबान का कब्जा बढ़ता जा रहा है. नाटो सेनाओं के पूर्व स्थानीय सैनिक विशेष रूप से डरे हुए हैं और देश छोड़ कर निकल जाने की कोशिश कर रहे हैं.
फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में मौत हो गई है. अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच हिंसक भिड़ंत में उनकी जान चली गई.
अफगान सीमा से लगे पाकिस्तान के मोहमंद जिले में रहने वाली बसुआलिहा का पति और बेटा आतंकी हमलों में मारे गए थे. आज जब इलाके में तालिबान के लौटने का डर फैलता जा रहा है, 55-वर्षीय बसुआलिहा किसी तरह अपने हालात से लड़ रही हैं.
हजारों अफगान हर साल गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अपने गांव, शहर या देश के बाहर जाया करते हैं. अच्छे इलाज से जान बच भी जाए तो उसके खर्च के कारण कई बार वे सालों के लिए गरीबी और कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. टेलीमेडिसिन के कारण ऐसे लोगों की मुश्किलें कुछ हद तक आसान हुई हैं. बामियान प्रांत के एक अस्पताल में ऐसे रिमोट इलाज का हाल देखने चलिए हमारे साथ.
अफगान लड़कियों के एक समूह ने ऐसा रोबोट बनाया है जो लैंडमाइन और नहीं फटने वाले गोला बारूद के कारण होने वाली मौतों को रोक सकता है. यह रोबोट लैंडमाइन को निष्क्रिय करने वाले लोगों के लिए जोखिम को भी काफी हद तक घटा देता है. अफगानिस्तान में लैंडमाइन के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है.
अमेरिका पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ ही वॉशिंगटन ने तय किया था कि अफगानिस्तान में घुसकर अल कायदा और तालिबान को साफ कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. क्या है अफगान युद्ध का लेखा जोखा.
श्रीलंका और अफगानिस्तान मैच की इन तस्वीरों में देखिए कैसे दोनों टीमों ने अच्छी गेंदबाजी दिखाई और आखिर में श्रीलंका को किसने जिताया. अफगानी टीम ने पहले श्रीलंका को 144-1 से 201 पर समेटा, पर खुद सिर्फ 152 रन बना सकी.
अफगानिस्तान में लड़कियां वीडियो गेम के जरिए अफीम से लड़ रही हैं. अफगान लड़कियां कंप्यूटर कोडिंग सीख कर ऐसे वीडियो गेम तैयार कर रही हैं, जिनमें प्लेयर अफीम के खेतों का सफाया कर केसर उगाता है.
अफगानिस्तान के एक परिवार ने अपने घर मे जन्मे बच्चे का नाम अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नाम पर डॉनल्ड ट्रंप क्या रख दिया, इस्लामिक कट्टरवादी समूहों की भौंहे तन गई. अफगानिस्तान में कट्टरवादियों ने इस परिवार को धर्म विरोधी कहा है.
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास आई-12 नाम की जगह पर अफगान शरणार्थियों की बस्ती है. वहां रहने वाले कुछ लोगों से डीडब्ल्यू ने पूछा कि क्या वे पाकिस्तान में खुश हैं?