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फिजिक्स और केमिस्ट्री - विज्ञान के दो क्षेत्रों में इन्हें नोबेल पुरस्कार मिले लेकिन अपने प्रयोग करने के लिए इनके पास कभी कोई लैब नहीं थी. एक टूटे फूटे स्टोर रूम को इन्होंने प्रयोगशाला में बदल डाला और वहीं खतरनाक रेडियोधर्मी तत्वों की खोज भी की. सुनिए मैरी क्यूरी की पूरी कहानी ईशा के साथ. वीडियो पर जाएं
नासा का नया रॉकेट चांद की यात्रा पर जाने के लिये लॉन्च पैड पर पहुंच गया है. इसी महीने इसे चांद के सफर पर रवाना होना है. गैलरी पर जाएं
ईको इंडिया के इस एपिसोड में देखिए, अहमदाबाद में लोगों को गर्मी से राहत दिलाने की एक योजना जो जलवायु के मुताबिक ढलने की कोशिशों में बड़ी मदद कर सकती है. इसके अलावा मौसम के पूर्वानुमानों के ज्यादा सटीक होने से किस तरह प्राकृतिक हादसों में जान-माल का नुकसान घटाया जा सकता है और कश्मीर में एक बुजुर्ग की झीलों को साफ करने की मुहिम. वीडियो पर जाएं
करोड़ों साल पहले महासागरों में ऐसी शार्क थीं जो बड़े आकार की व्हेल को भी चार पांच निवालों में चट कर जाती थीं. आज की शार्क अपने प्राचीन भाई बहनों की तुलना में कुछ भी नहीं है. गैलरी पर जाएं
जर्मनी में कई हफ्तों से बारिश के ना होने की वजह से राइन, ओडर, स्प्री और अन्य नदियों में जलस्तर इतना नीचे चला गया है जितना पहले कभी नहीं गया. लेकिन कुछ चौंकाने वाली बातें भी सामने आ रही हैं. गैलरी पर जाएं
वायु प्रदूषण भारत में बहुत बड़ी समस्या है. अनुमान है कि 2017 में वायु प्रदूषण से करीब 12 लाख लोगों की जान गई. अब दिल्ली में कम कीमत के सेंसर लगाकर प्रदूषण मापने की व्यवस्था को मजबूत बनाया जा रहा है. वीडियो पर जाएं
जर्मनी तेजी से अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है. लेकिन इसकी कीमत है हरियाली. अब बहस हो रही है कि क्या पेडों के जंगल की जगह सोलर पैनल का जंगल बसाना, जैव-विविधता के लिए सही है? वीडियो पर जाएं
16 साल की मधुबाला कई साल से दांत के दर्द के साथ जी रही थी. आखिरकार 17 अगस्त को उसे इसे दर्द से मुक्ति मिली जब एक अनोखी विधि से उसका इलाज किया गया. गैलरी पर जाएं
करोड़ों साल पहले महासागरों में ऐसी शार्क थीं जो बड़े आकार की व्हेल को भी चार पांच निवालों में चट कर जाती थीं. आज की शार्क अपने प्राचीन भाई बहनों की तुलना में कुछ भी नहीं है.
जर्मनी में कई हफ्तों से बारिश के ना होने की वजह से राइन, ओडर, स्प्री और अन्य नदियों में जलस्तर इतना नीचे चला गया है जितना पहले कभी नहीं गया. लेकिन कुछ चौंकाने वाली बातें भी सामने आ रही हैं.
वायु प्रदूषण भारत में बहुत बड़ी समस्या है. अनुमान है कि 2017 में वायु प्रदूषण से करीब 12 लाख लोगों की जान गई. अब दिल्ली में कम कीमत के सेंसर लगाकर प्रदूषण मापने की व्यवस्था को मजबूत बनाया जा रहा है.
जर्मनी तेजी से अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है. लेकिन इसकी कीमत है हरियाली. अब बहस हो रही है कि क्या पेडों के जंगल की जगह सोलर पैनल का जंगल बसाना, जैव-विविधता के लिए सही है?
16 साल की मधुबाला कई साल से दांत के दर्द के साथ जी रही थी. आखिरकार 17 अगस्त को उसे इसे दर्द से मुक्ति मिली जब एक अनोखी विधि से उसका इलाज किया गया.
दक्षिणी इराक में अदन के बागों का प्राचीन इलाका सूखे की मार सह कर तबाही के दिन देख रहा है. आग बरसाता सूरज, नजरें फेर चुके बादल और नदियों के घटते पानी ने इलाके की सारी हरियाली छीन ली है.
जर्मनी के उत्तर सागर में सबसे बड़ा द्वीप जुइल्ट पर्यटकों को खूब लुभाता है. यहां आप तट पर घूम सकते हैं, बाइक चला सकते हैं, सर्फिंग कर सकते हैं. साथ ही, इस द्वीप पर एक वैश्विक धरोहर स्थल भी है.
जलवायु परिवर्तन की मार यूं तो पूरी दुनिया पर पड़ रही है, लेकिन युगांडा में इससे निपटने के लिए जो तरीके आजमाए जा रहे हैं, उनसे शायद हर कोई वाकिफ न हो. यहां जमीन को कटने से बचाने के लिए बांस उगाए जा रहे हैं, जिसका लोगों को आर्थिक फायदा भी हो रहा है.
इंडोनेशिया में तेल, साबुन और शैंपू जैसी रोजमर्रा की चीजों को सीधा ग्राहकों तक पहुंचाया जा रहा है. इससे प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी आई है. सारा काम ऐप और वॉट्सऐप के जरिये चलाया जा रहा है.
कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को बे एरिया मेट्रो स्टेशन पर इन दिनों एक नया स्टेशन "गार्ड" तैनात किया गया है. ये गार्ड बिना टिकट यात्रा करने वालों को पकड़ने के लिए नहीं है. तस्वीरों में जानिए असली वजह.
अपने डंक और जहर के लिये कुख्यात बिच्छू को दुनिया के कई देशों में पाला जाता है. इनके जहर से बनी दवायें कई बीमारियों के इलाज में कारगर हैं. एक लीटर बिच्छू के जहर की कीमत है एक करोड़ अमेरिकी डॉलर.
बीते एक साल के आंकड़े देखने भर से पता चलता है कि लोकतंत्र के पक्के पक्षधर और यूरोप की औद्योगिक महाशक्ति जर्मनी के समाज में आज भी तरह तरह के भेदभाव फैले हैं. इसे विस्तार से जानिए.
जर्मनी और पोलैंड की सीमा पर ओडर नदी के किनारे एकदम लाखों मरी हुई मछलियों से अट गए हैं. टनों मछलियां अचानक कैसे मर गईं, यह बात ना तो अधिकारियों को समझ आ रही है और ना ही स्थानीय लोगों को.
भारत के शहरों में आबादी बढ़ रही है. इससे शहरी संसाधनों पर बोझ भी बढ़ रहा है. एक कंपनी शहरी फार्म बनाकर स्थानीय लोगों और पर्यावरण के लिए कुछ बेहतर करने की कोशिश कर रही है.
कैसा हो, अगर कोई इमारत अपने इस्तेमाल भर की बिजली खुद ही पैदा कर ले. वह भी कोई प्रदूषण फैलाए बिना. नीदरलैंडस की राजधानी एम्सटर्डम में ऐसी ही एक इमारत है. देखिए यह कैसे काम करती है.
यह कमाल रचा है स्विट्जरलैंड के कलाकार फ्रांस्वा मोंथो ने. अपने सालाना प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने नदी के किनारे मिट्टी का यह महल बनाया है. देखिए...