हम आपके लिए अपने कंटेंट को बेहतर बनाने के लिए कूकीज का इस्तेमाल करते हैं. अधिक जानकारी डाटा सुरक्षा पेज पर उपलब्ध है.
मंथन के इस एसिपोड में देखिए खर पतवार को मारने से लेकर बम को डिफ्यूज करने तक में कारगर लेजर लाइट, हाथी और इंसान का आमना सामना होने से बचाने वाला वॉर्निंग सिस्टम और अनछुई हिमशिलाओं की खूबसूरती को अपनी कला में कैद करने वाले एक स्विस कलाकार से मुलाकात.
मंथन के इस एपिसोड में देखिए फूल और उसका परागण कराने वाले कीड़ों के आकर्षण का विज्ञान, मछली पकड़ने वाले अवैध जालों में फंस कर दम तोड़ते एल्बेट्रॉस पक्षी और दूर दूर तक फैले लैवेंडर के फूलों के बागीचे में फोटो सफारी का मजा.
सबसे बड़ी अंतरिक्ष दूरबीन लगाने के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चिली के अटाकामा रेगिस्तान को ही क्यों चुना? कई देशों के मंगल अभियान शुरू करने की वजह क्या है? और कैसे बड़े बड़े कूड़ेदानों से निपट रहा है दक्षिण अफ्रीका. जानिए मंथन के इस एपिसोड में.
चिली के अटाकामा रेगिस्तान की परिस्थितियां बिल्कुल मंगल ग्रह जैसी ही हैं. समुद्र तल से 2,600 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह जगह तारों को देखने के लिए बिल्कुल आदर्श है. और इसीलिए यूरोपीयन सदर्न ऑब्जरवेट्री यहां दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप बना रही है. यहां से जो तस्वीरें मिलेंगी उन्हें देख कर आप समझ ही नहीं पाएंगे कि किसी स्टार वॉर्स मूवी का एनीमेशन देख रहे हैं या फिर हकीकत.
मंगल ग्रह को लेकर दुनिया के कई देशों ने अपनी रिसर्च तेज कर दी है. फिलहाल वहां इंसान नहीं हैं लेकिन इस तरह के कई रोबोट वहां पहुंचाने की तैयारी चल रही है जो मार्स पर घूम घूम कर धरती तक जानकारी भेजेंगे. आइए जानते हैं कि ये रिसर्च कहां तक पहुंची है.
कूड़ा इधर उधर ना फेंके. ये आप हर रोज टीवी और रेडियो पर सुनते हैं. अखबारों में विज्ञापन आते हैं. लेकिन बावजूद इसके लोग कूड़ा फेंकने से बाज नहीं आते हैं. दक्षिण अफ्रीका में भी यही हाल है. यहां बच्चों के खेलने के लिए बने मैदान भी कूड़े से भर गए हैं. और फिर भी बच्चे इनमें खेल रहे हैं और बीमार हो रहे हैं. हालांकि कुछ लोग इसका समाधान भी निकाल रहे हैं.
स्विस घड़ियां दुनिया भर में अपनी बेहतरीन क्वॉलिटी के लिए जानी जाती हैं. आज भी स्विट्जरलैंड में कारीगर हाथ से घड़ी का एक एक पुर्ज़ा जोड़ते हैं जिसमें कई बार पूरा पूरा साल भी लग जाता है. ऐसी ही परफेक्शन से वहां एक आर्टिस्ट ऐसी मशीन बना रहे हैं जो बिना किसी बिजली के, बिना बैटरी के घंटों काम करती हैं.
मंथन के इस एपिसोड में देखिए कितनी तेजी से हो रहा है हमारे ब्रह्माण्ड का विस्तार और भंवरों को रिझाने के लिए कौन कौन से पैंतरे अपनाते हैं फूल? और जानिए होटलों की लॉबी में लगे हुए बड़े बड़े कांच के शो पीस आखिर बनाए कैसे जाते हैं?
कोरोना काल में चेचक से कैसे सबक लिया जा सकता है और ओडिशा में कैसे कछुओं को बचाने की मुहीम चल रही है, जानिए मंथन के इस एपिसोड में.
मंथन के इस एसिपोड में देखिए स्मार्टफोन रेडिएशन के बारे में क्या कहते हैं चूहों पर हुए टेस्ट, कैसे तूफानों का पीछा करते हैं पेशेवर फोटोग्राफर और ले चलेंगे आपको मिनी यूरोप में, एक ऐसा पार्क जहां पूरे यूरोप की सैर मुमकिन है.
स्मार्टफोन का हमारे दिमाग पर क्या असर होता है, ये पता करने के लिए भी आजकल स्मार्टफोन ऐप्स का ही इस्तेमाल हो रहा है. और तो और तकनीक यहां तक पहुंच है कि स्मार्टफोन के सॉफ्टवेयर की तरह दिमाग के अपग्रेड की भी बात चल रही है. ऐसा हुआ तो जल्द ही हमारे ईर्दगिर्द साइबोर्ग घूमते दिखा करेंगे.
दिन भर में आपको कितने मिनट के लिए स्मार्टफोन से फुर्सत मिलती है? दिन तो छोड़िए, रात में भी फोन आपके बगल में ही पड़ा रहता है. कोई कहता है कि इससे कैंसर होता है, तो कोई कहता है कि हार्ट अटैक. लेकिन रिसर्च क्या कहती है? आइए, जानें.
गुलाबी रंग के ये खूबसूरत पक्षी हैं फ्लेमिंगो.. मुंबई की शान. बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी का कहना है कि इस साल लॉकडाउन के कारण इनकी तादाद शायद 25 फीसदी तक बढ़ जाएगी. लॉकडाउन के दौरान बीच खाली पड़े थे तो फ्लेमिंगो को डिस्टर्ब करने वाला भी कोई नहीं था. रिसर्चर पता लगाना चाह रहे हैं कि फ्लेमिंगो को आखिर मुंबई इतना पसंद क्यों है.
प्रकृति के करीब पहुंचना हमारे लिए कितना जरूरी है.. लॉकडाउन ने ये तो हमें समझा ही दिया है. सुबह या शाम को घर से बाहर निकल कर पार्क में कुछ देर बैठना हमें सुकून देता है.अगर घर में कुछ चीजें हों जो हमें कुदरत से बांधे रखें तो ये सुकून बना रह सकता है. फिर चाहे वो पेड़ पौधे हों या फिर इस तरह के लैंप. ना ये प्लास्टिक से बना है ना कपड़े से. ये खूबसूरत झूमर पंखों से बना है.
कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिन देशों की खूब तारीफ हुई उनमें से एक है दक्षिण कोरिया. जून में जब वहां स्कूल शुरू हुए तो बच्चों को एक दूसरे से दूर रखने के लिए क्लासरूम में हर बेंच के सामने इस तरह का स्क्रीन लगाई गईं. इन अच्छे इंतजामों का ही नतीजा है कि वहां कोरोना के कारण अब तक मरने वालों की संख्या 300 के आसपास ही रही.
मंथन के इस एपिसोड में स्पेस टेलीस्कोप हबल के 30 सालों के सफर पर एक नजर, जलवायु परिवर्तन के असर से जूझते सिएरा लियोन के मछुआरे और ड्रोन कैमरे से प्रकृति की खूबसूरती कैद करने में माहिर स्विस फोटोग्राफर से मुलाकात.
जलवायु परिवर्तन लगातार हमारे समय की कड़वी सच्चाई बनता जा रहा है. इसीलिए कला की दुनिया में भी इससे निपटने पर जोर दिया जाने लगा है. इसी का नतीजा है कि कहीं समुद्री शैवाल से लैंप बन रहे हैं तो कहीं मिट्टी से फर्नीचर.
मंथन के इस एपिसोड में देखिए कि किसी भी बीमारी के लिए वैक्सीन कैसे बनाई जाती है. इसके साथ ही जानेंगे शहरों में बदलते वन्य जीवों के बारे में और बात होगी डायनोसॉरों के हैरान करने वाले ढांचे के बारे में.
लॉकडाउन की वजह से इंसान घरों में बंद हैं, इसका अहसास जानवरों को भी था. कम से कम ज़ू और सैंक्चुरी में रहने वाले जानवरों को तो रूर था क्योंकि उन्हें इंसानों को देखने की आदत है. ये जू और वाइल्ड लाइफ रिज़र्व हमारी खरीदी हुई टिकटों से अपना खर्च निकालते हैं. और इस बीच जब टिकटें नहीं बिकीं तो जानवरों का क्या हुआ, ये देखने के लिए हम पहुंचे साउथ अफ्रीका.
दुनिया भर में जगह जगह कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने पर काम चल रहा है. इतने महीने हो गए हैं लेकिन यह इंतज़ार है कि खत्म ही नहीं हो रहा है. तो आइए जानते हैं कि किसी भी टीके को बनाने में किन किन पैमानों का ध्यान रखा जाता है और इस पूरी प्रक्रिया में कुल कितना वक्त लगता है?