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साल 2050 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी. 2011 की जनगणना के हिसाब से इसमें तीन गुना वृद्धि हो जाएगी. केंद्र सरकार के एक सर्वे में बुजुर्गों की बीमारी पर कई जानकारी सामने आई है.
जब 1982 में यूगांडा के कासेनसेरो में एड्स का पहला मामला सामने आया, तो सबने इसे काला जादू समझा. चार दशक बाद भी यह बीमारी एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
क्या महिलाओं और पुरुषों में बीमारियों का असर अलग अलग होता है. या कुछ ऐसी खास बीमारियां हैं जो सिर्फ पुरुषों को परेशान करती हैं. इस बारे में रिसर्चरों का जवाब "हां" है. लेकिन इसके पीछे का विज्ञान क्या है, देखिए.
भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोविड-19 की वैक्सीन पर काम चल रहा है. अब तक कुछ सफलता जरूर मिली है लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट को ले कर चिंता भी जताई जा रही है.
कूड़ा इधर उधर ना फेंके. ये आप हर रोज टीवी और रेडियो पर सुनते हैं. अखबारों में विज्ञापन आते हैं. लेकिन बावजूद इसके लोग कूड़ा फेंकने से बाज नहीं आते हैं. दक्षिण अफ्रीका में भी यही हाल है. यहां बच्चों के खेलने के लिए बने मैदान भी कूड़े से भर गए हैं. और फिर भी बच्चे इनमें खेल रहे हैं और बीमार हो रहे हैं. हालांकि कुछ लोग इसका समाधान भी निकाल रहे हैं.
बहुत ही छोटे स्तर से शुरू होने वाली कोई बीमारी कैसे महामारी बन जाती है. इसका एक जीता जागता उदाहरण कोरोना वायरस है. लेकिन यह पहला मौका नहीं है कि जब कोई महामारी फैली हो.
पहाड़ों या अति दुर्गम इलाके में जख्मी या बीमार इंसान के सामने आयरनमैन की तरह मेडिकल स्टाफ पहुंच जाए तो कितनी राहत मिलेगी. ये कल्पना नहीं है. ब्रिटेन की एक कंपनी जेट सूट की मदद से इसे टेस्ट कर रही है.
ऊदी अरब ने ऊंटों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल बनाया है. ये अस्पताल ना सिर्फ उनकी गंभीर बीमारियों का इलाज करेगा बल्कि उनके प्रजनन के तौर तरीकों को भी बेहतर बनाएगा. अस्पताल शुरू होने से इलाके के लोग बेहद खुश हैं.
कोरोना महामारी के इस लंबे दौर में अब लोग सोशल डिस्टेंसिंग यानि दूसरों से शारीरिक रूप से दूरी बना कर रखने की अहमियत समझ चुके हैं. लेकिन किस जगह पर कम से कम कितने दूर रहने से आप सुरक्षित रहेंगे, ये जानिए.
मंथन के इस एपिसोड में देखिए कि किसी भी बीमारी के लिए वैक्सीन कैसे बनाई जाती है. इसके साथ ही जानेंगे शहरों में बदलते वन्य जीवों के बारे में और बात होगी डायनोसॉरों के हैरान करने वाले ढांचे के बारे में.
पारंपरिक रूप से घरों में खानपान और कई मर्जों के इलाज तक में घी के इस्तेमाल के साथ बड़े हुए भारतीय लोग भी आज घी को मोटापा और बीमारी देने वाले किसी खलनायक के रूप में देखने लगे हैं. देखिए विज्ञान की नजर से इसमें क्या है.
दुनिया भर में जानवरों की रिहाइश घट रही है और वो इंसानी बस्तियों के करीब आ रहे हैं. जानकार मानते हैं कि इसके नतीजे में कोविड19 जैसी बीमारियों का खतरा आने वाले दिनों में और बढ़ेगा.
कोरोना महामारी के दौर में आपने मेडिकल स्टाफ और पुलिस सेवाओं से जुड़े फ्रंटलाइन वर्करों के योगदान के बारे में तो खूब सुना होगा लेकिन अफ्रीकी देश टोगो में संगीतकार भी इस मोर्चे पर योद्धाओं की तरह लड़ रहे हैं. अपने संगीत के माध्यम से वे बीमारी के बारे में सही जानकारी पहुंचाने और खासकर ग्रामीण इलाकों में जागरुकता फैलाने का काम कर रहे हैं.
कई स्टडीज़ से पता चला है कि हमारी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया जन्म से ही कई बीमारियों के प्रति हमारी संवेदनशीलता पर भी असर डालते हैं. वैज्ञानिक यह साबित कर चुके हैं कि इम्यून सिस्टम का सीधा कनेक्शन असल में आंतों की सेहत से होता है.विज्ञान की मानें तो लगभग 70 फीसदी इम्यून सिस्टम आंत की दीवार के भीतर होता है.
जर्मनी की एक कंपनी ने कोरोना वायरस की पहचान के लिए एक स्मार्टफोन ऐप बनाया है. ऐप के सामने खांसने या छींकने से बीमारी का पता किया जा रहा है. टेस्ट फेज में नतीजे 80 फीसदी सटीक आए हैं.
दांत चमकाने के कोई दिन में चार बार ब्रश करता है तो किसी ने दांतों की फिक्र ही छोड़ दी है. पाकिस्तान के पहाड़ी खैबर जिले में तोर शेखान जनजाति के लोग रहते हैं. एक गंभीर और महंगी बीमारी के चलते वहां सबके दांत काले पीले होते हैं.
लीवर की बीमारी हेपेटाइटिस कई तरह की होती है, जैसे ए, बी, सी, डी और ई. लेकिन क्या इन सब का इलाज संभव है या इनमें से कोई लाइलाज भी है आइए इससे बचने के कुछ तरीके भी जानते हैं.
दांतों को सुबह शाम ब्रश करना सिर्फ सांस की बदबू को रोकने के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि अगर आप ठीक से अपने दांतों को ब्रश करते हैं, तो आप कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बच सकते हैं.
बच्चे के जन्म के बाद पहला साल बहुत अहम होता है. इस दौरान बच्चे की नींद और पोषण दोनों पर ध्यान देना जरूरी है. जानिए, शिशु की सेहत के लिए कुछ जरूरी टिप्स.
गर्मियों में लोग एसी चलाएं तो आपकी उंगलियां फौरन ठंडी हो जाती हैं, सर्दियों में आप हीटर खोजते रहते हैं. अगर आपके साथ ऐसा होता है तो जानिए इसकी वजह.