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हम बचपन से औरतों को ही टीचर और नर्स की भूमिका में देखते आए हैं. ऐसे में अकसर इन्हें महिलाओं से जुड़ा पेशा ही माना जाता है. लेकिन एक सदी पहले तक ऐसा नहीं था. सौ साल पहले के भारत में जब सावित्री बाई फुले ने पहली बार टीचर बनने की कोशिश की थी तो इसका इनाम उन्हें यह मिला था कि परिवार ने उन्हें घर से ही निकाल दिया था. यह कहानी है उस महिला की जिसने भारत के समाज में लड़कियों को अपनी जगह बनानी सिखाई.
कौशल पंवार दलित हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी में संस्कृत पढ़ाती हैं. दलित होने के नाते अब भी उन्हें अपनी क्लास में असहज स्थिति का सामना करना पड़ जाता है.
पंजाब की गिन्नी माही उभरती हुई गायिका हैं. लेकिन उनके गीत खास हैं जो भारत में जातिवाद पर चोट करते हैं और दलितों के हक की आवाज उठाते हैं.
भारतीय संविधान में जाति के आधार पर किसी तरह का भेदभाव बरतने पर रोक है. जाति व्यवस्था को अब तक मिटाया तो नहीं जा सका है लेकिन छुआछूत को लेकर कई गलत परंपराएं जरूर टूटती जा रही हैं, सिंहस्थ कुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में भी.
माइकल ब्राउन का मामला पहला नहीं है, बल्कि अमेरिका में नस्लवादी दंगों का इतिहास रहा है. पिछले 50 साल में हुए सबसे गंभीर जातिवादी दंगों पर एक नजर.