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2050 तक दुनिया की आबादी दस अरब को पार कर जाएगी. ऐसे में खाने की आदतें ना बदलीं तो खाना उगाना ही मुश्किल हो जाएगा. इसलिए जरूरी है कि खाने के ऐसे विकल्पों को चुना जाए जो सेहत के लिए भी अच्छे हैं और पर्यावरण के लिए भी.
सर्दी का मौसम आते ही पेड़ों का इंतजार शुरू हो जाता है. ठंडे इलाके में उगने वाले कई पेड़ अपनी पत्तियां गिरा देते हैं. और ऊर्जा बचाते हुए चुपचाप वसंत का इंतजार करने लगते हैं.
आजकल गेमिंग अरबों डॉलर का उद्योग है. इसमें मिलने वाले पैसे और शोहरत से कई युवाओं की जिंदगी बदल रही है. लेकिन किस कीमत पर? हमेशा इसमें इतना मजा नहीं आता, जितना ऊपर से दिखता है. गेमिंग के शौकीन क्या झेल रहे हैं, देखिए.
कोरोना वायरस महामारी के दौरान जर्मनी में लोग 10 लाख और पालतू जानवर घर ले आए. इससे देश में पालतू जानवरों की कुल संख्या 3.5 करोड़ हो गई. इंसान के इन साथियों पर महामारी के दौरान खर्च हुए 400 अरब से भी ज्यादा रुपये.
हमारी धरती पर करीब आठ अरब लोग रहते हैं. हम जो कुछ भी करते हैं उसका बहुत बड़ा असर होता है. एक तरफ हम ऐसी कारें चलाते हैं जो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करती हैं और ऐसे स्रोतों से उर्जा लेते हैं जो कभी ना कभी खत्म हो जाएंगी. दूसरी तरफ हम कार्बन फुटप्रिंट घटाने पर काम कर रहे हैं और अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं. इस एपिसोड में हम धरती पर इंसानों के अच्छे बुरे असर की चर्चा करेंगे.
सऊदी अरब को महिलाओं के दृष्टिकोण से एक पिछड़ा देश माना जाता है. यहां महिलाओं के अधिकार पुरुषों की तुलना में कम हैं. जानिए सऊदी अरब में किन-किन सालों में ऐसे बड़े बदलाव हुए जो महिलाओं को बराबरी देते हैं.
10 साल पहले अरब वसंत ने ट्यूनीशिया के बाद मिस्र में होस्नी मुबारक को अपना शिकार बनाया. एक महीने के भीतर दूसरी तानाशाही सरकार के गिरने से दुनिया में हलचल मच गई, ऐसा लगा जैसे अब पूरा अरब जगत लोकतंत्र के रास्ते पर चल पड़ेगा. हालांकि इस उम्मीद को ध्वस्त होने में ज्यादा देर नहीं लगी. मिस्र से मुबारक जरूर गए लेकिन तानाशाही नहीं.
मिस्र में अरब वसंत की क्रांति के 10 साल बाद क्रांति के अगुआ और प्रदर्शनों का चेहरा रहे ज्यादातर लोगों का या तो भ्रम टूट चुका है या फिर वो जेल में हैं.
पाकिस्तान अरब देशों को होने वाले बाजों की तस्करी का बड़ा ठिकाना है. नायाब परिंदों को पकड़कर अरब शेखों के हवाले किया जा रहा है और लाखों वसूले जा रहे हैं. इससे बाजों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.
2011 में आज ही के दिन 21वीं सदी की सबसे बड़ी क्रांति का पहला निर्णायक मोड़ आया जब दशकों से ट्यूनीशिया की सत्ता पर काबिज बेन अली को देश छोड़ कर भागना पड़ा. इस घटना ने ना सिर्फ उत्तर अफ्रीका बल्कि पूरे अरब जगत के लिए बदलाव की ऐसी आंधी चलाई जिसमें बड़े बड़े तानाशाह धराशायी हो गए
फ्रांस के राष्ट्रपति के इस्लाम पर दिए बयान की अरब देशों के साथ कई एशियाई देशों में कड़ी आलोचना की जा रही है. बड़ी संख्या में मुस्लाम उनके बयान की निंदा कर रहे हैं. अब फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है.
ऊदी अरब ने ऊंटों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल बनाया है. ये अस्पताल ना सिर्फ उनकी गंभीर बीमारियों का इलाज करेगा बल्कि उनके प्रजनन के तौर तरीकों को भी बेहतर बनाएगा. अस्पताल शुरू होने से इलाके के लोग बेहद खुश हैं.
संयुक्त अरब अमीरात समेत ज्यादातर अरब देशों ने इस्राएल को मान्यता नहीं दी और ना ही उसके साथ सामान्य रिश्ते बहाल किए क्योंकि वो इसे फलस्तीन राष्ट्र के गठन में सबसे बड़ी रुकावट मानते हैं. अब संयुक्त अरब अमीरात ने इस्राएल के साथ रिश्ता जोड़ा है तो यह सवाल उठ रहा है कि क्या कुछ और देश उसकी राह पर चलेंगे. अरब इस्राएल के बीच शांति की बहुत सी कोशिशें हो चुकी हैं.
इस्राएल के साथ संयुक्त अरब अमीरात के राजनयिक संबंध कायम होने पर मुस्लिम दुनिया में हंगामा हो रहा है. लेकिन इससे पहले भी कई मुस्लिम देशों के संबंध इस्राएल के साथ रहे हैं. इन्हीं पर एक नजर.
यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात. कई बार सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को लेकर कंफ्यूजन हो जाता है. लेकिन ये दोनों अलग अलग देश हैं. जानते हैं संयुक्त अरब अमीरात के बारे में.
तिब्बत को दुनिया के बहुत सारे लोग दलाई लामा की वजह से जानते हैं. बीते दशकों में दुनिया के कोने कोने में दलाई लामा ने शांति और तिब्बत की बात पहुंचाई है. 85 वसंत देख चुके दलाई लामा के स्वास्थ्य को लेकर तिब्बती लोग चिंता में हैं. उन्हें डर है कि दलाई लामा के बाद चीन अपने किसी वफादार को उनका सरपरस्त ना बना दे.
सऊदी अरब ने फैसला किया है कि इस बार विदेशों से श्रद्धालुओं को हज के लिए नहीं आने दिया जाएगा. आधुनिक इतिहास में पहली बार दुनिया भर के मुसलमानों को हज करने से रोका जा रहा है. कोरोना महामारी के कारण सऊदी अरब में रहने वाले लोगों को ही सीमित संख्या में हज की अनुमति होगी.
1.3 अरब आबादी वाले देश भारत में इस वक्त ना सिर्फ कोरोना वायरस को लेकर दहशत का माहौल है बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग समस्या आई हुई है. कोरोना के बाद अम्फान और अब टिड्डियों के हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है.
साल 2019 में दुनिया भर का सैन्य खर्च 1,900 अरब डॉलर रहा. कुल मिला कर पूरी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च करने में 2019 में जितनी वृद्धि की, वो पिछले एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी.
गंगा और यमुना नदी का जो पानी अरबों रुपये की परियोजनाओं में भी साफ नहीं हो सका वह लॉकडाउन में बिना कुछ किए हो गया. ना सिर्फ यहां का पानी बेहतर हुआ है बल्कि हवा भी साफ हो गई है और जीव जंतुओं की खुशी का ठिकाना नहीं है.