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मर गए छह बड़े और बुजुर्ग तारे

९ जून २०११

अंतरिक्ष में छह बड़े धमाके हुए हैं. पृथ्वी से लाखों करोड़ों किलोमीटर दूर पुराने बड़े तारे इस विस्फोट के बाद खत्म हो गए हैं. वैज्ञानिक धमाकों को नई तरह का सुपरनोवा कह रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने बुधवार को छह बार अत्यधिक चमकने वाली रोशनी देखी. कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रॉबर्ट क्यूम्बी के मुताबिक, "पुराने वाकयों के आधार पर इस घटना को समझा नहीं जा सकता." फ्लैश की तरह अचानक पैदा हुई ये रोशनी सुपरनोवा है.

सुपरनोवा तारे में होने वाले विस्फोट की प्रक्रिया को कहा जाता है. पुराने पड़ चुके बड़े तारे जब ऊर्जा विहीन हो जाते हैं तो उनका केंद्र ढह जाता है जिससे तारे में जबदस्त विस्फोट होता है. विस्फोट के साथ अपार रोशनी निकलती है और न्यूट्रॉन स्टार या ब्लैक होल बनते हैं.

Supernova - Panoramabild
हबल स्पेस टेलीस्कोप से ली गई सुपरनोवा की तस्वीरतस्वीर: AP

विज्ञान जगत की ब्रिटिश पत्रिका नेचर में छपी रिपोर्ट में क्यूम्बी की टीम ने छह सुपरनोवाओं के बारे में कई और जानकारियां दी हैं. टीम के मुताबिक नए सुपरनोवा अत्यधिक गर्म हैं. अनुमान है कि इनका तापमान 20,000 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो सकता है. इनके धमाके से पैदा हुई ध्वनि तरंगें अंतरिक्ष में 10,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से फैल रही हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक सुपरनोवा को बुझने में 50 दिन का समय लग सकता है. टीम का कहना है, "ये नए सुपरनोवा काफी दिलचस्प हैं. ये अन्य सुपरनोवाओं से 10 गुना ज्यादा चमकीले हैं. इनसे हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में और आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. हम ब्रह्मांड की उत्पत्ति के पहले 10 फीसदी समय में तक जा सकते हैं."

2005 में क्यूम्बी की टीम ने SN2005ap नाम के एक सुपरनोवा का पता लगाया. उस सुपरनोवा की रोशनी सूर्य के प्रकाश से 100 अरब गुना ज्यादा थी. इसी दौरान अंतरिक्ष दूरबीन हबल स्पेस टेलीस्कोप ने भी SCP 06F6 सुपरनोवा की पता लगाया. SCP 06F6 सुपरनोवा अपने पीछे रासायनिक संरचना की एक पूंछ छोड़ गया. इस बीच चार ऐसे सुपरनोवा सामने आए जिनमें कम मात्रा में हाइड्रोजन गैस है. हाइड्रोजन की आग और रेडियोएक्टिव क्रियाओं की वजह से सुपरनोवा में विस्मयकारी चमक होती है.

रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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