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मंगल ग्रह जैसी मिट्टी में टमाटर, गाजर उगाने की कोशिश

४ मई २०२४

भविष्य में मंगल ग्रह पर बसने की तैयारी कर रहे इंसानों के लिए वहां अपना खाना उगाना जरूरी होगा. वैज्ञानिक अंतरिक्ष में खेती को सरल और ज्यादा उपज देने वाला बनाने के उपाय ढूंढ रहे हैं.

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मंगल ग्रह के सतह की तस्वीर
मंगल ग्रह की मिट्टी में खेती के तरीके ढूंढ रहे हैं वैज्ञानिकतस्वीर: Arte France

मंगल ग्रह पर भविष्य में जब इंसान अपना बसेरा बनाएगा तो बहुत सी चीजें धरती से ही लेकर जानी पड़ेंगी. हालांकि सबसे पहले वहां जिस चीज की व्यवस्था करनी पड़ेगी वह है खाना. बाकी चीजों की बात अलग है लेकिन अगर खाना वहां रॉकेट से भेजना पड़ा तो वह बहुत महंगा और जोखिम से भरा होगा. इसी बात को ध्यान में रख कर विज्ञानकी मदद से वैज्ञानिक अंतरिक्ष में खेती की संभावनाएं तलाश रहे हैं.

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नीदरलैंड्स के वागेनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च के ग्रीनहाउस रिसर्चरों ने एक तरीका निकाला है. इससे मंगल ग्रह जैसी मिट्टी में फसलों की उपज बढ़ाने में कामयाबी मिली है. इस तरीके में कई फसलें एक साथ उगाई जाती हैं. प्राचीन माया सभ्यता के किसान इसमें काफी कुशल थे. इसे इंटरक्रॉपिंग कहा जाता है.

एक साथ गाजर, मटर, टमाटर

प्रयोगों के दौरान रिसर्चरों ने चेरी टमाटर, मटर और गाजर को एक साथ गमले में उगाया है. समान मिट्टी में इस तरीके से उगाने पर अकेले उगाने की तुलना में टमाटरों की दोगुनी पैदावार हासिल हुई है. फल ज्यादा भी हैं और बड़े भी. टमाटर के पौधे में फूल भी जल्दी आए और वो जल्दी पक कर तैयार हो गए. हर पौधे में ज्यादा टमाटर निकले और पौधे का तना भी ज्यादा मोटा तैयार हुआ. हालांकि इंटक्रॉपिंग से मटर और गाजर की पैदावार में बढ़त नहीं दिखी है. 

ग्रीनहाउस में टमाटर, मटर और गाजर की फसल के साथ वैज्ञानिक
इंटरक्रॉपिंग तरीके से खेती में कई फसलों को एक साथ उगाया जाता हैतस्वीर: Rebeca Goncalves/Handout via REUTERS

जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट की प्रमुख लेखक रेबेका गोंजाल्विस का कहना है, "यह रिसर्च पहली बार हो रही है, जिसमें अंतरिक्ष में खेती में इंटरक्रॉपिंग की तकनीक पहली बार इस्तेमाल की गई है, तो हम सचमुच नहीं जानते थे कि क्या उम्मीद करें."

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टमाटर की फसल से उत्साहित गोंजाल्विस ने कहा, "तीन में से एक प्रजाति के लिए यह बहुत कारगर रहा और यह बड़ी खोज है, इसके आधार पर हम रिसर्च को आगे ले जा सकते हैं. अब हमें सिर्फ प्रायोगिक स्थितियों में सुधार करना है जब तक कि हम उपयुक्त तंत्र हासिल ना कर लें. यह अलग प्रजातियों, ज्यादा प्रजातियों या फिर प्रजातियों का अलग अनुपात हो सकता है."

मंगल ग्रह जैसी मिट्टी

फसलों को मंगल ग्रह जैसी मिट्टी में उगाया गया. इस मिट्टी में कोई कार्बनिक पदार्थ नहीं हैं. इसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रिसर्चरों ने तैयार किया है. रिसर्चरों ने इसमें फायदेमंद बैक्टीरिया और पोषक तत्व मिलाए हैं. उन्होंने मंगल ग्रह के ग्रीनहाउस का वातावरण तैयार करने के लिए ग्रीनहाउस के भीतर गैस, तापमान और नमी को भी नियंत्रित किया है.

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नासा ने मंगल ग्रह पर मौजूद मिट्टी की नकल तैयार करने की कोशिश की हैतस्वीर: NASA/JPL-Caltech/MSSS

फिल्मों में तो मंगल ग्रह पर इंसानी बस्तियां आम हो गई हैं लेकिन वास्तविकता में वो अभी सिर्फ विज्ञान की परीकथाओं तक ही सीमित है. हालांकि नासा ऐसी क्षमताएं विकसित करने पर काम कर रही है जिनकी जरूरत 2030 के दशक में मंगल ग्रह पर लोगों को भेजने के लिए होगी.

रिसर्च रिपोर्ट के सह लेखक वीगर वामेलिंक वागेनिंगेन में रहने वाले प्लांट इकोलॉजिस्ट हैं. वामेलिंक ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "मंगल ग्रह सचमुच बहुत दूर है. वहां तक जाने में अभी 9 महीने लगते हैं. अगर इंसान की तरह वहां रहना है तो आपको अपना खाना वहां खुद उगाना होगा." वामेलिंक बीएएसई नाम की कंपनी के सीईओ भी हैं, जो चांद और मंगल ग्रह के लिए ग्रीनहाउस का विकास कर रही है. उन्होंने यह भी कहा, "यहां से खाना वहां ले जाना काफी खर्चीला और जोखिम से भरा है. आप मंगल ग्रह पर ऐसी स्थिति में नहीं रह सकते कि खाने को कुछ भी ना हो जैसा कि फिल्म 'द मार्शियन' में हुआ था. हमारा मुख्य उद्देश्य उस जगह पर मौजूद संसाधन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना है." 

कैसे चुनी जाती है फसलें

इंटरक्रॉपिंग में ऐसे पौधों को उगाने की कोशिश होती है जो एक दूसरे को उगने में मदद दे सकें. इससे पानी और पोषक तत्वों जैसे संसाधनों का उचित इस्तेमाल हो पता है. रिसर्चरों का कहना है कि टमाटर के पौधे को इंटरक्रॉपिंग में मटर के पौधे के पास रहने का फायदा मिला हो सकता है. मटर हवा से नाइट्रोजन को खींचने में काफी कुशल होता है. मिट्टी में मिलाए गए बैक्टीरिया की मदद से यह उसको एक प्रमुख पोषक तत्व में बदल देता है.

गोंजाल्विस ने बताया कि गाजर की इंटरक्रॉपिंग के दौरान उपज में काफी कमी आई जबकि मटर की उपज में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ. वामेलिंक का कहना है, "एक साथ उगने वाली फसल का चुनाव कैसे किया जाए यह देखना बहुत जरूरी है क्योंकि टमाटर को मटर से फायदा हुआ लेकिन निश्चित रूप से गाजर को नहीं. यह शायद रोशनी की कमी के कारण हुआ होगा. टमाटर के बड़े पौधे गाजर के पौधों पर भारी पड़ गए और उनके हिस्से की रोशनी भी ले गए."

कुल मिला कर टमाटर, मटर और गाजर के पौधे अच्छी तरह विकसित हुए लेकिन उतना अच्छे से नहीं जितना कि उसी ग्रीनहाउस में पृथ्वी की मिट्टी में. रिसर्चरों ने मंगल की मिट्टी में उगी इन सब्जियों का स्वाद भी अभी नहीं चखा है. इन पर पहले कुछ परीक्षण किए जाएंगे. हालांकि वामेलिंक ने बताया, "हमने पहले उगी सब्जियों को चखा था जिनमें टमाटर भी था. मुझे लगता है कि मंगल ग्रह वाला पृथ्वी वाले की तुलना में ज्यादा मीठा था."

एनआर/एडी (रॉयटर्स)

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