भारत में भरोसा है तो बस सरकार पर
१४ जुलाई २०१७
ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट दुनिया के देशों में आर्थिक सहयोग और विकास के लिए काम करती है. इसी संस्था की बनाई रिपोर्ट कहती है कि भारत उन देशों की कतार में शीर्ष पर है जहां के लोग अपनी सरकार पर भरोसा करते हैं. भारी बहुमत से तीन साल पहले चुन कर आयी नरेंद्र मोदी की सरकार में शामिल लोग इस बात से खुश हो सकते हैं कि लोगों का भरोसा अब भी उनके साथ है.
आर्थिक संकट झेल रहे ग्रीस को इस सूची में सबसे नीचे जगह मिली है. यहां सिर्फ 13 फीसदी लोग ही सरकार पर यकीन करते हैं. फोर्ब्स पत्रिका ने ओईसीडी के हवाले से 15 देशों की सूची छापी है. इसमें ग्रीस के ठीक ऊपर दक्षिण अफ्रीका को जगह मिली है जहां 24 फीसदी लोग सरकार पर यकीन करते हैं.
इस सूची में भारत के बाद नंबर है कनाडा का. वहां जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार है जबकि ठीक एक साल पहले नाकाम तख्तापलट झेलने वाला तुर्की तीसरे नंबर पर है. तुर्की में सरकार की कमान राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान के हाथ में है. कनाडा के 62 फीसदी और तुर्की के 58 फीसदी लोगों ने अपनी सरकार में भरोसा जताया है. सूची के पांच शीर्ष देशों में जर्मनी भी है लेकिन पांचवें नंबर पर उससे पहले है रूस जहां पुतिन की सरकार भी लोकप्रियता के रिकॉर्ड बना रही है.
इसी साल राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप पर अमेरिका के महज 30 फीसदी लोग भरोसा करते हैं दूसरी तरफ ब्रिटेन है जो ब्रेक्सिट के कारण लगातार चर्चा में बना हुआ है. वहां की प्रधानमंत्री टेरीजा मे को देश के 41 फीसदी लोगों का विश्वास हासिल है. मे ने ब्रिटेन में ब्रेक्सिट यानी यूरोपीय संघ से बाहर जाने के मसले पर हुई रायशुमारी के बाद देश की कमान संभाली है. पार्क ग्वेन हई के महाभियोग ने दक्षिण कोरिया की सरकार के प्रति भी लोगों में अविश्वास जगा दिया है. हालांकि फिर भी 25 फीसदी लोग सरकार पर यकीन रखते हैं.
किसी देश के लोग अपनी सरकार पर कितना भरोसा करते हैं इसको मापने का उनका अपना तरीका है. आमतौर पर लोगों का भरोसा इस बात से तय होता है कि सरकार कितनी स्थिर और भरोसेमंद है. यह सार्वजनिक सुविधाओं को कितने असरदार तरीके से लागू कर सकती है और साथ ही मुसीबतों से बचाने में सरकार कितनी सक्षम है.
भारत सरकार के कई कदमों की लगातार आलोचना होती रही है, खासतौर से गौरक्षा और हिंदुत्व के मुद्दों को लेकिन बहुत से लोग जीएसटी, नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदमों के कारण मौजूदा नेतृत्व को पसंद भी करते हैं. भारत में अगला आम चुनाव दो साल बाद होना है.
एनआर/एके (फोर्ब्स)