ब्रिटिश साम्राज्य की है मिली जुली विरासत
कभी लगभग आधी दुनिया पर कायम ब्रिटिश हुकूमत का 20वीं सदी में अंत तो हो गया, लेकिन उस हुकूमत की विरासत आज भी कई देशों में जिंदा है. आइए एक नजर डालते हैं इसी विरासत के कुछ अच्छे और कुछ बुरे पहलुओं पर.
कानून
ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद भी दंड संहिता, कंपनी एक्ट, बैकिंग एक्ट और मोटर एक्ट जैसे सैकड़ों कानून हैं, जो आज भी कई देशों में जारी हैं. समय समय पर इनमें सुधार जरूर किया गया, लेकिन इन कानूनों की नींव वही पुरानी है.
संसदीय लोकतंत्र
भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत कॉमनवेल्थ के 40 से ज्यादा देशों ने आजादी के बाद भी ब्रिटेन की संसदीय लोकतंत्र की परंपरा अपनायी. इन देशों की संसदीय प्रणाली आज भी ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली जैसी है.
संगठित सेना
ब्रिटिश राज को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए स्थानीय लोगों को सेना में भर्ती किया गया. दूसरे विश्वयुद्ध की तैयारी के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी संगठित सेना बनायी गयी. ऐसी ही सेना अमेरिका और कनाडा में विद्रोह को दबाने के लिए भी थी. ब्रिटिश राज के पतन के बाद भी इन देशों को सेना का संगठित ढांचा मिला.
अंग्रेजी
ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने अलग अलग देशों में अपनी भाषा अंग्रेजी का प्रसार किया. शासन, न्याय और उच्च शिक्षा के गलियारों में अंग्रेजी ने अपनी जगह पक्की कर ली. आज भी भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के शासन और सर्वोच्च न्यायालय की भाषा अंग्रेजी है.
बैंकिग सेक्टर
दुनिया भर में फैले अपने उपनिवेशों को वित्तीय रूप से ब्रिटेन से जोड़ने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने वहां बैकिंग सेक्टर की नींव रखी. भारत में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में बैंक खोले गये. ऐसे ही वित्तीय संस्थान अन्य देशों में भी अस्तित्व में आये.
रेलवे
विस्तारवादी और कारोबारी नजरिये से ब्रिटिश साम्राज्य ने अपने उपनिवेशों में रेलवे पर काफी जोर दिया. भारत, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटिश अमेरिका और कनाडा में उन्होंने रेलवे को खासी तवज्जो दी. ब्रिटिश काल में बना रेलवे ढांचा आज भी इन देशों की जीवनरेखा है.
डाक विभाग
भारत, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे बड़े भूभाग पर संवाद को सुचारू रूप से चलाने के लिए ब्रिटिश शासन ने डाक व्यवस्था शुरू की. सामान्य पत्र, रजिस्ट्री और तार जैसी सेवाएं ब्रिटिश काल में ही शुरू हुईं. ज्यादातर पोस्ट ऑफिस भी उसी दौरान बनाये गये.
क्रिकेट
क्रिकेट अब भारत की रग रग में बस चुका है. दो बार वनडे में और एक बार टी20 में भारत विश्वविजेता बन चुका है. लेकिन यह खेल भारत में अंग्रेज ही लेकर आये. सन 1959 में अंग्रेजों को मद्रास टेस्ट में हराकर भारत ने साबित कर दिया कि भविष्य में वह इस खेल में इक्कीस साबित होगा.
चाय
आज भारत के बड़े इलाके में किसी से मिलने उनके घर जायें तो पहली चीज चाय ही पूछी जाती है. अंग्रेजों ने भारतीय टी का प्रचार व प्रसार किया. गांव देहातों तक पहुंची टी में दूध पड़ने लगा और देखते ही देखते स्वादिष्ट चाय बन गई.
सीमा विवाद
इक्का दुक्का देशों को छो़ड़ दें तो ब्रिटिश हुकूमत ने जिन जिन इलाकों पर राज किया, वहां आज भी गंभीर सीमा विवाद बने हुए हैं. एशिया में भारत-पाकिस्तान, भारत-चीन और पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच सीमा विवाद बरकरार है. वहीं कांगो और सेंट्रल अफ्रीका समेत अफ्रीका में कई देश सीमा विवाद में उलझे हैं.
जातीय संघर्ष
"फूट करो और राज करो" इस नीति ने लंबे वक्त तक ब्रिटिश हूकूमत की शासन चलाने मदद की. लेकिन दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब ज्यादातर देश आजाद हुए तो वहां फैलाया गया जातीय संघर्ष ज्यादा हिंसक हो उठा. एशिया और अफ्रीका के कई देशों में सांप्रदायिक और जातीय संघर्ष आज भी जारी है.
रंगभेद
गोरा रंग श्रेष्ठता की पहचान है. ब्रिटिश साम्राज्यवाद का पतन भले ही हो गया हो, लेकिन उसका ये मनोवैज्ञानिक संदेश उनके पूर्व उपनिवेशों में आज भी मौजूद है. दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में आज भी मूल निवासी हाशिये पर दिखते हैं.
वन्य जीवों का सफाया
ब्रिटिश हूकूमत ने अपने उपनिवेशों में प्राकृतिक संसाधनों का जमकर दोहन किया. अंग्रेज अधिकारियों ने अपने शौक के लिए भारत में जमकर बाघों का शिकार किया. अफ्रीका में बेतहाशा शेर और हाथी मारे गये. हालांकि बाद में संरक्षण की कोशिशों में भी ब्रिटेन की बड़ी भूमिका रही.