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बच्चों के बलात्कारियों को नपुंसक बनाने की सलाह

२६ अक्टूबर २०१५

मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह बच्‍चों से बलात्‍कार करने वालों को सजा के तौर पर नपुंसक बनाने के प्रस्‍ताव पर गौर करे. अदालत ने कहा ऐसा करने से इस अपराध के खिलाफ जादुई नतीजे सामने आएंगे.

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Symbolbild Kindesmissbrauch Missbrauch sexuelle Gewalt
तस्वीर: Fotolia/Kitty

कोर्ट ने तमिलनाडु के एक किशोर के यौन शोषण के आरोपी एक ब्रिटिश नागरिक द्वारा मामला रद्द करने के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया. जस्टिस एन किरुबकरण ने अपने आदेश में कहा, "बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम पोक्सो (प्रोटेक्‍शन ऑफ चिल्‍ड्रेन फ्रॉम सेक्‍सुअल ऑफेंसेज एक्‍ट) जैसा सख्‍त कानून होने के बावजूद बच्‍चों पर जुल्‍म बढ़ रहे हैं." उन्होंने कहा अदालत इन मामलों को खामोशी से बैठ कर नहीं देख सकती.

जस्टिस किरुबकरण ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से भी भी सख्त लहजे में कहा कि वे बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने वालों के साथ सहानुभूति ना रखें, "अगर कानून बुराई से निपटने में बेअसर और असमर्थ हो तो, यह अदालत हाथ बांधकर देश भर में हो रहे बच्चों के गैंग रेप के मामलों को बेखबर रहते हुए मूकदर्शक बनी नहीं देख सकती."

साल 2012 और 2014 के बीच ऐसे अपराधों की संख्या 38,172 से बढ़कर 89,423 तक पहुंच गई है. पिछले हफ्ते दिल्ली में दो नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार की घटना सामने आई. सोशल मीडिया पर इस प्रस्ताव को मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है. कुछ इसे सही फैसला ठहरा रहे हैं तो कुछ का मानना है कि आरोपी के बेगुनाह होने की स्थिति में यह उस पर जुल्म होगा.

बीते सालों में बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामले ज्यादा खबरों में आए हैं. बच्चों को यौन अपराधों के प्रति जागरुक करने और यौन शिक्षा को लेकर खास ध्यान दिए जाने पर जोर दिया जा रहा है. मशहूर टीवी शो सत्यमेव जयते में एक खास अंक इसी विषय पर आधारित था जिसमें बच्चों के साथ एक वर्कशॉप भी की गई. टीवी और इंटरनेट पर बच्चों को जागरुक करने के कई वीडियो भी निकाले गए.

जज ने सरकार से हाई स्कूल की शिक्षा प्रणाली में सेक्स एजुकेशन को भी शामिल करने को कहा है. उन्होंने कहा, "युवाओं को सही और वैज्ञानिक जानकारी ना देने से वे अन्य स्रोतों की मदद से आधी अधूरी और गलत जानकारी की तरफ बढ़ सकते हैं जैसे इंटरनेट, दोस्त और फिल्में. इनसे गलत धारणाएं और संदेह पैदा हो सकते हैं."

इससे पहले 2011 में भी दिल्ली के एक जज ने बलात्कारियों को केमिकल के जरिए नपुंसक बनाए जाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन 2013 में जस्टिस वर्मा कमिटी ने इस प्रस्ताव को मानव अधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए खारिज कर दिया था. कहा गया था कि मानव अंग की विकृति की अनुमाति भारतीय संविधान नहीं देता.

समरा फातिमा