प्रतिबंध से झल्लाया बार्सिलोना
यूरोप की अमीर फुटबॉल अकादमियां और क्लब दूसरे देशों में जाकर प्रतिभाशाली किशोर खिलाड़ियों को खरीदते हैं. उन्हें कुछ साल ट्रेनिंग देकर तैयार करते हैं. फिर वो खिलाड़ी या तो अपने क्लब के लिए खेलते हैं या महंगे दामों में दूसरे क्लबों को ट्रांसफर कर दिये जाते हैं.
अंतरराष्ट्रीय ट्रांसफर के लिए फीफा के नियम बेहद साफ है, जिनमें कहा गया है कि 18 साल के कम उम्र के खिलाड़ी का अंतरराष्ट्रीय ट्रांसफर खास शर्तों पर ही हो सकता है. एक शर्त यह है कि अगर किशोर खिलाड़ी के अभिभावक किसी कारण से दूसरे देश में रहने लगें. यह कारण फुटबॉल से जुड़ा नहीं होना चाहिए. फीफा की जांच में पता चला है कि बार्सिलोना ने 2009 से 2013 के बीच में इन नियमों को तोड़ते हुए कई किशोर खिलाड़ियों को अपने कैंप का हिस्सा बनाया.
बार्सा को नियमों के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ ने क्लब पर साढ़े चार लाख फ्रांक का जुर्माना ठोंका है. उस पर ट्रांसफर बैन भी लगाया है जिसके तहत 2015 की गर्मियों तक बार्सिलोना खिलाड़ियों को नहीं खरीद सकेगा. बार्सिलोना की ला मासिया अकादमी में अभी 18 साल से कम उम्र के 18 विदेशी खिलाड़ी हैं. इनमें सात कैमरून के, तीन गिनी-बिसाऊ के, दो मोरक्को के, दो दक्षिण कोरिया के और एक एक खिलाड़ी नाइजीरिया, सेनेगल, फ्रांस और जर्मनी का है.
फीफा ने स्पेनिश फुटबॉल संघ को भी 10 नियमों के उल्लंघन का दोषी करार दिया है. उस पर पांच लाख फ्रांक का जुर्माना ठोंका गया है.
बार्सिलोना के अध्यक्ष जोसेप मारिया बार्तोमेऊ ने फीफा के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने जुर्माने और प्रतिबंध को "बड़ा अन्याय" करार दिया, "इस प्रतिबंध के साथ ही फीफा उस मॉडल को सजा दे रहा है जो बीते 35 साल से चल रहा है और हमारे क्लब का अहम हिस्सा है. फीफा जानता है कि हम अच्छी चीजें कर रहे हैं और ऐसे बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं और उनकी देख रेख कर रहे हैं जो उनके देश में उन्हें नहीं मिलती." बार्सिलोना अर्जेंटीना से लियोनल मेसी को ऐसे ही लेकर आया था.
क्लब फीफा के फैसले को खेल अदालत में चुनौती देने का मन बना रहा है. बार्तोमेऊ कह रहे हैं कि उन्हें अपने वकीलों पर पूरा भरोसा है.
ओएसजे/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)