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पेसमेकर की जगह इंजेक्शन

१८ जुलाई २०१४

अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि हृदय की मांसपेशियों में एक खास तरह के जीन का इंजेक्शन लगा कर कमजोर पड़ गई दिल की धड़कन को बेहतर किया जा सकता है. हालांकि अभी इस रिसर्च में कई सवालों के जवाब बाकी हैं.

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तस्वीर: Fraunhofer MEVIS, Bremen

इस जीन इंजेक्शन का असर अगर इंसानों पर सुरक्षित और मददगार हुआ तो पेसमेकर यानि दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाली इलेक्ट्रिॉनिक मशीन की छुट्टी हो सकती है. रिसर्च में मुख्य भूमिका निभाने वाले एडुआर्डो मारबन सीडार सिनाई हृदय संस्थान के निदेशक हैं. उनके मुताबिक, "इस जानकारी से जीन थेरेपी के नए युग की उम्मीद जगी है. जहां जीन का इस्तेमाल सिर्फ किसी शारीरिक अनियमितता को पूरा करने के लिए ही नहीं, बल्कि एक प्रकार की कोशिका को दूसरे प्रकार में बदलने में भी हो सकेगा, ताकि बीमारी का इलाज हो सके."

जीन थेरेपी का विकास

जीन थेरेपी की संभावनाओं पर बरसों से वैज्ञानिकों की उम्मीदें टिकी हैं लेकिन इसे कई मामलों में खतरनाक भी माना जाता रहा है. खास कर 1990 के दशक में जब इसके इस्तेमाल की कोशिशों के बाद पाया गया कि यह जानलेवा भी हो सकता है. मारबन ने बताया कि यह पहला मौका है जब किसी जिंदा जीव में हृदय कोशिकाओं को प्रोग्राम किया गया हो.

विज्ञान पत्रिका साइंस ट्रांसलेशन मेडीसिन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस थेरेपी में टीबीएक्स18 जीन को हृदय के पंपिंग चैम्बर में इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है. यह जीन कुछ सामान्य हृदय कोशिकाओं को सीनोआट्रियल सेल कही जाने वाली नई कोशिकाओं में बदल देता है. फिर ये नई कोशिकाएं हृदय की पंपिंग की जिम्मेदारी ले लेती हैं.

जानवरों पर टेस्ट

मारबन ने बताया, "इस थेरेपी से हम हृदय के एक छोटे से हिस्से में जो सीनोआट्रियल नोड तैयार करते हैं वह सामान्य धड़कन को बढ़ाता है, नई धड़कन पैदा नहीं करता. इस तरह हृदय का यह हिस्सा पेसमेकर की तरह काम करने लगता है." पहले यह परीक्षण पशुओं पर किया गया. इस विधि को ऐसे सुअरों पर आजमाया गया जिनका हृदय बुरी तरह ब्लॉक था. यह ऐसी स्थिति होती है जब हृदय सामान्य धड़कन पैदा नहीं कर पाता.

पशु में बिना ऑपरेशन के कैथीटर की मदद से जीन इंजेक्ट किया गया. अगले दिन उसके दिल की धड़कन बेहतर पाई गई. रिसर्च टीम अब इस बात पर काम कर रही है कि इसका असर कितने दिन तक रहता है. जानवरों पर दो हफ्ते के शोध के दौरान इसका असर देखा गया. एक अन्य चिंता इस बात की भी है कि इस थेरेपी में जीन डिलिवरी में संक्रमण की संभावनाओं का ठीक ठीक पता हो.

न्यूयॉर्क के लेनॉक्स हिल हॉस्पिटल की उप निदेशक तारा नरूला तो मानती हैं कि यह साइंस फिक्शन का सच होना है, "यह बेशक एक काबिले तारीफ कदम है जिससे एक दिन दिल के मरीजों को पेसमेकर से छुटकारा मिल सकेगा." अमेरिका में हर साल करीब तीन लाख पेसमेकर लगाए जाते हैं.

एसएफ/एजेए (एएफपी)