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पांव पसार रहे हैं लैब में बने हीरे

क्रिस्टियान काउर्ला
६ अप्रैल २०२१

पृथ्वी के भीतर 150 किलोमीटर की गहराई में भारी दबाव और उच्च तापमान में कार्बन के अणु ऐसे जुड़ते हैं कि चमकीला हीरा बन जाता है. लेकिन डायमंड उद्योग के जानकारों के मुताबिक भविष्य में हीरे फैक्ट्रियों में बनाए जाने लगेंगे.

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Rosa Diamant wird versteigert bei Sotheby's
तस्वीर: Salvatore Di Nolfi/KEYSTONE/dpa/picture alliance

हीरे आभूषण उद्योग की जान और शान हैं. खूबसूरत, खरे और बेशकीमती हीरे धरती की सतह पर नहीं बनते. उनका असली घर धरती के खोल के अंदर गहराई में नरक जैसी आग की भट्टी में है. 150 किलोमीटर से ज्यादा की गहराई में 800 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान और हालात ऐसे कि उन्हें और कहीं भी तैयार ना किया जा सके. इस गहराई का दबाव और गर्मी कहां से लाएंगे. लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है कि हीरे धरती के गर्भ के बाहर न बनाए जा सकें. डॉमंड उद्योग में अनेलिस्ट के तौर पर काम करने वाले पॉल सिमनिस्की का कहना है कि इंसान हीरे बना सकता है. वैज्ञानिक लैब में हीरे बनाने की हालत में हैं.

और इस क्षमता का इस्तेमाल कैसे किया जाए, ये अमीश शाह से पूछिए. उनका परिवार 85 साल से हीरों के कारोबार में है. वे परंपरागत हीरे और उसके आकर्षण को जानते हैं लेकिन उनकी कंपनी एएलटीआर नया हीरा बना रही है, लैब में. तकनीक की अपनी जानकारी के साथ उन्होंने पारिवारिक कारोबार को नई दिशा देने के कदम उठाए. हालांकि नकली हीरे पहले से बनाए जा रहे थे लेकिन अमीश शाह ने ग्राहकों को नकली और असली हीरों का विकल्प दिया. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "लैब में बने हीरे भी वैसे ही होते हैं जैसे खाने से निकले हीरे."

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हीरों की पॉलिशिंगतस्वीर: Ankita Mukhopadhyay/DW

लैब में बने हीरे को बना रहे हैं लोकप्रिय

अमीश शाह बेबाक कारोबारी हैं. उनका कहना है, "डायमंड कभी भी कीमती नहीं थे." वे बताते हैं कि हीरों का कारोबार ग्राहकों को ये सपना बेचने पर टिका है कि हीरे नायाब और बेशकीमती हैं क्योंकि वे दुर्लभ थे. लेकिन इस बीच ग्राहकों की उत्सुकता बढ़ती जा रही है और वे खरीदने से पहले ये भी जानना चाहते हैं कि हीरों का खनन किन परिस्थितियों में हुआ है. करीब 15 साल पहले शुरू हुआ नकली हीरों का छोटा सा कारोबार इस बीच बहुत से ग्राहकों को आकर्षित कर रहा है क्योंकि उन्हें पता चला कि वे भी हीरा खरीद सकते हैं.

अमीश शाह का परिवार तीन पीढ़ियों से हीरों के कारोबार में लगा है. वे बताते हैं, "यदि आप इस कारोबार में पैदा हुए हैं तो आपको इसी कारोबार में रहना है, यही बात मेरे दादा ने मुझसे कही थी, जब मैं 20-25 साल का था." उन्होंने पढ़ाई की और इसी उद्योग में रहे. लेकिन उनकी कंपनी उद्योग की वर्जनाओं को तोड़ रही है. अमीश शाह का कहना है कि हीरा दुर्लभ है, ये मिथक है. और ये मिथक तैयार किया था डे बियर्स ने. उनके फार्म पर हीरे की पहली खान थी. आज ये कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी हीरे के आभूषणों की निर्माता है.

डायमंड उद्योग में अनेलिस्ट का काम करने वाले पॉल सिमनिस्की कहते हैं, "जहां तक इंसान द्वारा बनाए जाने वाले हीरे का सवाल है तो यह तकनीक 50 और 60 के दशक से मौजूद है." लेकिन हीरे को सपने की तरह बेचने वाले उद्योग ने काफी समय तक इस संभावना की इस्तेमाल नहीं किया. कोई चार पांच साल पहले इस तकनीक में प्रगति दिखनी शुरू हुई और जवाहरात की क्वॉलिटी के हीरों का उत्पादन शुरू हुआ. अब उसकी क्वालिटी इतनी अच्छी थी कि उसका इस्तेमाल  गहनों में किया जा सकता था.

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तंजानिया में हीरे की खानतस्वीर: DW/V. Natalis

गहनों में ही नहीं उद्योग में भी इस्तेमाल

ये हीरे लैब में बनते हैं. अमीश शाह बताते हैं कि हीरे के बीज को बिस्किट की तरह प्रोप्राइटरी चैंबर में रखा जाता है. चैंबर में टेम्परेचर को 13 से 15 सौ डिग्री सेंटीग्रेड तक ले जाने पर मीथेन गैस स्प्लिट कर जाती है और उससे निकला कार्बन एक दूसरे से जुड़ने लगता है." ये कार्बन चैंबर में रखे बीज के साथ कनेक्ट करने लगता है और परत दर परत डायमंड बनने लगता है. हीरे कार्बन से बने होते हैं, लेकिन उसके एटम एक टाइट क्रिस्टल स्ट्रक्चर में बंधे होते हैं. इसलिए ये धरती पर सबसे सख्त और सबसे ज्यादा संवाहक तत्व होता है.

हीरा इतना सख्त होता है कि कहते हैं कि हीरा ही हीरे को काटता है. और ये बात इसे इंजीनियरों के लिए खास बनाती है. ये स्क्रीन को ज्यादा रेसिस्टेंट, सोलर पैनलों को ज्यादा कुशल, लेजर को ज्यादा ताकतवर, हार्ड ड्राइव को और छोटा बना सकता है, और साथ ही ज्यादा बेहतर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाने में भी काम आ सकता है. अच्छे सेमी कंडक्टरों को हाइ वोल्टेज और तापमान को रोकने की हालत में होना चाहिए. आजकल वे ज्यादातर सिलिकन से बनाए जाते हैं. लेकिन डायमंड की थर्मल कंडक्टीविटी 14 गुना और इलेक्ट्रिक रेसिस्टेंस 30 गुना ज्यादा है. अमीश शाह भी मानते हैं कि ये सिलिकन से बेहतर है.

इसलिए भविष्य हीरे का इस्तेमाल हाइटेक उद्योग में बढ़ेगा. अनालिस्ट पॉल सिमनिस्की कहते हैं, "इस समय हीरे हायर टेक एप्लिकेशन उद्योग का बहुत बहुत छोटा हिस्सा हैं. हम आने वाले दिनों में रोजमर्रा में दिखने वाली और ज्यादा चीजों में डायमंड का इस्तेमाल देखेंगे." अच्छी बात ये है कि ये हीरे गंदी खानों से नहीं बल्कि साफ सुथरे लैब से आएंगे. भले ही डायमंड की हाइ टेक एप्लिकेशन विकसित होने में थोड़ा वक्त लगे, पर ये जरूर है कि हीरों का भविष्य उनके ही जैसा चमकीला है.