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परमाणु हथियार नहीं होने देंगे भारत-पाक जंग?

पेटर श्टुर्म२३ सितम्बर २०१६

उड़ी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी फिर बढ़ गई है. लेकिन जर्मन पत्रकार पेटर श्टुर्म को उम्मीद है कि परमाणु हथियार लड़ाई नहीं होने देंगे.

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Pakistan Cricket-Fans aus Pakistan und Indien demonstrieren Freundschaft
तस्वीर: Getty Images/S. Barbour

भारत और पकिस्तान जब एक बार फिर एक दूसरे के सामने सामने हैं तो हमें यही उम्मीद करनी चाहिए परमाणु हथियार वही भूमिका निभाएंगे जो माना जाता है कि उन्होंने शीतयुद्ध के दौरान निभाई थी. भूमिका दोनों पक्षों को लड़ाई से दूर रखने की.

मध्यपूर्व, कोरिया और दत्रिण चीन सागर जैसे बहुत से संकटों ने एक विवाद को साए में रका है जिसमें बड़ा युद्ध बनने की क्षमता है. ये नहीं भूलना चाहिए कि परमाणु हथियारों से लैस दो देश कश्मीर के मुद्दे पर एक दूसरे के आमने सामने हैं. भारत और पाकिस्तान में होने वाली बयानबाजी से अच्छे संकेत नहीं मिलते, जैसा कि अभी दिख रहा है, जब तनाव फिर बढ़ा हुआ है. लगता है कि दोनों ही देशों में कुछ ऐसे तत्व हैं जिन्हें सरकारें नियंत्रित नहीं कर सकती हैं.

एक और बात जो इस स्थिति को और मुश्किल बनाती है, वह यह है कि कोई भी पक्ष ये दावा नहीं कर सकता है कि उसे ‘हाथ पाक-साफ' हैं. पाकिस्तान को इन आरोपों के साथ जीना होगा कि जब आतंकवादी कश्मीर या भारत के दूसरे हिस्सों में खूनी हमला करने के लिए नियंत्रण रेखा को पार करते हैं तो पाकिस्तान नजरें हटा लेता है. वहीं भारतीय सुरक्षा बल कभी कभी जिस तरह की लापरवाही दिखाते हैं, उससे भारतीय मुसलमानोंको यह अहसास नहीं हो पाता है कि वो भी देश के पूरी तरह नागरिक हैं जिसे भारतीय ‘दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र' कहना पसंद करते हैं.

और उसके बाद मामला प्रतिष्ठा का भी है. दोनों ही देशों में सत्ता की बागडोर भले ही किसी के हाथ में रही हो, उन्होंने कभी अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रखी है. ऐसी स्थिति में समझौता करने के छोटे से संकेत को भी एक बड़े देशद्रोह की तरह देखा जाता है. जो भी राजनेता इस तरह की कोशिश करता है, वो सबके निशाने पर आ जाता है. विवाद में लिप्त पक्षों पर असर डालने के बाहरी प्रयासों को भारत और पाकिस्तान में, दूसरे उपनिवेशों की ही तरह, आंतरिक मामलों में अवैध दखल के तौर पर देखा जाता है और तत्काल खारिज कर दिया जाता है.

इस तरह की स्थिति में, इस बात को लेकर खुश होना चाहिए कि अब तक विवाद छोटी मोटी झड़पों तक ही सीमित रहा है. लेकिन अतीत में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाईयों की वजह से सावधान रहने की जरूरत है. पूर्व-पश्चिम विवाद में परमाणु हथियारों को इस बात की गारंटी माना जाता था कि चीजें कभी नियंत्रण से बाहर नहीं निकलेंगी. बहुत संभव है कि ये हथियार दक्षिण एशिया में यही भूमिका अदा कर रहे हैं. अगर ऐसा सचमुच हो पाए तो.

पेटर श्टुर्म जर्मन अखबार फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने साइटुंग में संपादक हैं.

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