धारावी नहीं मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती
झुग्गी बस्ती धारावी, जिससे प्रेरित होकर हिट फिल्म "स्लमडॉग मिलियनेर" बनी है, अब मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती नहीं रही. भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में गरीबों की और कई बस्तियां बढ़ और एक दूसरे से जुड़ गई हैं. वास्तुकार पी के दास ने शहर का एक सर्वे सैटेलाइट मैप और विकास योजना अध्ययन के आधार पर किया है. उनके मुताबिक उत्तरी नगर परिसर में स्थित छोटी बस्ती पिछले कुछ सालों में बढ़ी हैं और दूसरी बस्तियों से जा मिली हैं.
वास्तुकार पी के दास कहते हैं, "बस्तियां धारावी से भी बड़ी हैं. सैकड़ों बस्ती एक साथ आ गई हैं जिससे एक बड़ी मिली हुई बस्ती बन गई है."
मुंबई की 63 फीसदी आबादी झुग्गियों में
धारावी मुंबई की 535 एकड़ कीमती जमीन पर फैली हुई है. धारावी के एक तरफ अमीरों के बंगले हैं तो दूसरी तरफ गरीब बस्तियों में लोग रहते हैं. एशिया की सबसे बड़ी झोपड़ पट्टी के रूप में भी धारावी मशहूर है. लेकिन शोधकर्ता इससे सहमत नहीं है. 2009 में यूएन की एक रिपोर्ट ने कहा था कि कराची की उरंगी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि धारावी के अलावा मुंबई में कई और बस्तियां हैं जो धारावी जैसी घनी आबादी वाली है. धारावी में ज्यादातर घर बांस और ईंट पत्थर के बने हुए हैं. पक्की छत की जगह टिन की चादर लगी हुई है. यहां छोटे छोटे कई उद्योग भी चलते हैं.
"उत्पादन का बड़ा कारखाना"
ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी धारावी की समुदाय भावना की तारीफ कर चुके हैं. विकास स्वरूप का उपन्यास "क्यू एंड ए" भी धारावी की झुग्गियों पर लिखा गया है. इसी किताब के आधार पर हिट फिल्म "स्लमडॉग मिलियनेर" बनी थी. जिसने भारत को पहली बार ऑस्कर दिलाया है.
दास कहते हैं मुंबई की अर्थव्यवस्था में धारावी एक अहम भूमिका निभाती है. वह इसे "उत्पादन का बड़ा कारखाना" कहते हैं. दास के मुताबिक झुग्गी पुनर्विकास योजना बनाते वक्त लोगों को इस बस्ती की समस्याओं को ध्यान में रखना होगा. जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक 90 लाख या मुंबई की 63 फीसदी आबादी झुग्गी बस्तियों में रहती हैं.
रिपोर्ट: एएफपी/ आमिर अंसारी
संपादन: महेश झा