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तुर्की में जर्मनी के राष्ट्रपति

२८ अप्रैल २०१४

जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक स्वतंत्रता का विषय लेकर तुर्की पहुंचे हैं. मंगलवार तक गाउक कई मुश्किल राजनीतिक मुद्दों से दो चार होंगे. वह सबसे पहले सीरियाई शरणार्थियों के शिविर में पहुंचे.

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तस्वीर: Reuters

एलिसा नौ साल की है और एक साल से तुर्की के दक्षिण पूर्वी इलाके में बने शरणार्थी शिविर में रह रही है. अपने माता पिता के साथ वह सीरिया के इडलिब से भाग कर आई थी. एलिसा को लगता है कि यहां सब अच्छा है, लोगों को डर नहीं है. अपने घर वह तब तक लौटना नहीं चाहती, जब तक हिंसा और बमबारी खत्म नहीं होती.

शिविर की हालत

कारामानमाराश नाम के शिविर में गाउक के पहुंचने से रोजमर्रा में तब खलल पड़ गई, जब वे बड़े से कारवां के साथ गाड़ियों में शिविर से गुजरे. आस पास करीब 16,000 शरणार्थी चुपचाप खड़े थे. बाड़े वाला यह शिविर शहर के बीचोंबीच है. तुर्की का प्रशासन इसकी देखभाल करता है. हफ्ते में एक बार संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था के लोग आकर शरणार्थी शिविर की जांच करते हैं.

यहां पहले से ही क्षमता से ज्यादा लोग हैं. 16 वर्गमीटर के टेंट में पांच लोग रह रहे हैं. एक टॉयलेट 30 लोग इस्तेमाल करते हैं. यहां दो स्कूल, एक दवाई की दुकान और एक छोटा सा अस्पताल भी है, जिसमें शिविर लगाए जाने से अब तक डेढ़ हजार बच्चे पैदा हुए हैं.

Gauck besucht Flüchtlingslager in der Türkei
तस्वीर: picture alliance/AA

तुर्की की तारीफ

इस शरणार्थी शिविर में रह रहे लोगों को हर महीने का सामान खरीदने के लिए 80 लीरा का कूपन दिया जाता है. दूसरे शिविरों से शिकायतें आई हैं कि सामान इतना महंगा है कि कूपन कम पड़ जाता है. लेकिन कारामानमाराश के सुपरमार्केट में सब लिखा हुआ है. कीमतें कम हैं और इसलिए शिकायतें भी.

जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने कारामानमाराश से तुर्की यात्रा की शुरुआत इसलिए कि वह तुर्की की क्षमता के प्रति आदर दिखाना चाहते थे कि उन्होंने इतने अच्छे से शरणार्थियों को रखा है. हालांकि तुर्की के राष्ट्रपति अब्दुल्ला गुल और प्रधानमंत्री रिचेप तैयप ऐर्दोआन से बातचीत के दौरान उन्होंने तुर्की की कड़ी आलोचना भी की, खासकर अभिव्यक्ति की आजादी और भ्रष्टाचार के मामले में.

जर्मनी से मदद

तुर्की में शरणार्थी शिविरों में चार में से एक सीरियाई ही रह रहा है, बाकी लोग रिश्तेदारों या फिर दोस्तों के यहां रह रहे हैं. लेकिन कई ऐसे भी हैं जो सड़कों पर हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब आठ लाख सीरियाई तुर्की पहुंचे. अनौपचारिक आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या दुगनी भी हो सकती है. सीरिया से भागे इन लोगों के लिए काम नहीं के बराबर है.

मार्च में तुर्की सरकार ने बताया कि शरणार्थियों के लिए वे अब तक करीब दो अरब यूरो खर्च कर चुके हैं. इनमें से ज्यादातर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए थे. हालांकि दानदाता देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी आर्थिक मदद की है. जर्मनी ने रेड क्रॉस प्रोजेक्ट के लिए तुर्की को 59 लाख यूरो की मदद दी थी. शिविर में घूमने के बाद उन्होंने कहा कि वहां की हालत से वे दुखी हुए और जर्मनी लौट कर वे ज्यादा आर्थिक मदद की मांग करेंगे. जर्मनी ने भी पांच हजार सीरियाई लोगों को अपने यहां जगह दी है.
रिपोर्टः आलेक्स मैन्स/एएम

संपादनः ईशा भाटिया