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समाज

जर्मन स्कूल में लड़कों के साथ सामूहिक दुर्व्यवहार के आरोप

१९ जुलाई २०१७

जर्मनी के एक विश्व प्रसिद्ध कैथोलिक कॉयर स्कूल में 500 से भी ज्यादा लड़कों के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार और यौन शोषण के आरोप लगे हैं. आरोप स्कूल प्रशासन पर लगे हैं लेकिन उन्हें सजा नहीं हो सकती.

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Deutschland Regensburger Domspatzen
तस्वीर: picture alliance/dpa/D. Ebener

दक्षिण जर्मनी के रेगेन्सबुर्गर डोमशापात्सेन स्कूल की काफी प्रतिष्ठा रही है. यहां बच्चों को कायर सिखाया जाता है. कैथोलिक कॉयर स्कूल से पढ़ कर निकलने वाले कम से कम 547 लड़कों के साथ हुई शारीरिक हिंसा और कुछ मामलों में यौन हिंसा की खबरों ने सबको चौंका दिया है. कई लड़कों ने इस स्कूल में बीते अपने वक्त को "डर, हिंसा और असहाय छवि वाला, जीवन का सबसे खराब समय" बताया. कॉयर एक खास तरह का संगीत है जिसे सामूहिक रूप से यानी कोरस में गाया जाता है.

मुख्य जांचकर्ता और वकील उलरिष वेबर को दो साल पहले कैथोलिक गिरजे के पादरी ने ही इस स्कूल परिसर में कथित तौर पर हुए दुर्व्यवहारों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. उलरिष ने बोर्डिंग स्कूल में ऐसे दुर्व्यवहारों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम ना उठाने के कारण चर्च के उच्च पदों पर विराजमान प्रतिनिधियों की निंदा की है.

Deutschland Abschlussbericht zu Missbrauchskandal bei Regensburger Domspatzen
स्कूल में शारीरिक और यौन शोषण कांड की जांच करने वाले वकील उलरिष वेबर अपनी अंतिम रिपोर्ट के साथ.तस्वीर: picture alliance/dpa/A. Weigel

बवेरिया के रेगेन्सबुर्ग में मौजूद इस स्कूल में पूर्व पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के बड़े भाई गेऑर्ग रात्सिंगर लंबे समय तक कॉयरमास्टर रहे हैं. अब 93 साल के हो चुके रात्सिंगर ने करीब 20 सालों तक इस पद पर काम किया. जांचकर्ता ने इस कांड पर पर्दा डालने के लिए स्कूल के पूर्व बिशप गेरहार्ड म्यूलर की भी आलोचना की है. 69 साल के म्यूलर की पदोन्नति कर उन्हें अब कार्डिनल बनाया जा चुका है.

म्यूलर ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में इन मामलों में चर्च की तरफ से लचर रवैया अपनाये जाने से इनकार किया और कहा कि पुराने मामलों पर ध्यान दिया गया और पीड़ितों से सामने आने को कहा गया. यह शिकायतें सबसे पहले 2010 में सामने आयीं जब तक घटनाएं कई दशक पुरानी हो चुकी थीं. कार्डिनल म्यूलर ने अपनी सफाई में कहा कि यह सब उनके पद संभालने से पहले हुआ था और उनमें से "ज्यादातर अपराधियों की पहले ही मौत हो चुकी थी."

दुर्व्यवहार की यह सारी घटनाएं सन 1945 से 1990 के दशक के बीच हुईं. इनकी जांच पर वेबर ने अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी है, जिससे हजार साल लंबे इतिहास वाले प्रसिद्ध कैथीड्रल कॉयर की छवि को धक्का लगा है. वेबर को यौन दुर्व्यवहार के 67 मामले और शारीरिक हिंसा के 500 मामलों का पता चला. कुछ पूर्व छात्रों के साथ यह दोनों ही घटनाएं हुईं.

इसके पहले जनवरी 2016 में वेबर ने पीड़ितों के साथ बातचीत के आधार पर ऐसे 231 मामलों का पता लगाया था, जो तादाद अब दोगुनी हो चुकी है. तब पीड़ितों ने अपने साथ बलात्कार होने, भारी पिटाई किये जाने, खाना ना दिये जाने और दूसरे तरीकों से यौन दुर्व्यवहार की बातें बतायी थीं. अब भी वेबर सभी पीड़ितों से बात नहीं कर सके हैं लेकिन उनका अनुमान है कि पीड़ितों की संख्या 700 के आसपास हो सकती है.

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2014 में सेंट पेटर डोम में संगीतमय प्रस्तुति देता कॉयर रेगेन्सबुर्गर तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Weigel

इन अपराधों को अंजाम देने वाले 49 कथित अपराधियों की पहचान हो गयी है. इनमें से लगभग सभी स्कूल के टीचर और एजुकेटर थे. लेकिन इन लोगों पर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है क्योंकि यह कथित अपराध बहुत पहले हुए थे. कानूनी दायरे में इतनी पुरानी शिकायतों को लेकर उन पर अब आरोप तय नहीं किये जा सकते हैं.

रिपोर्ट में छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार किये जाने के पीछे संस्था की मंशा को "बच्चों की इच्छाशक्ति को तोड़ना" बताया गया. इसके अलावा विस्तृत तौर पर पसरी एक "मौन की संस्कृति" की ओर भी इंगित किया गया है जिससे कॉयर की साख बरकरार रहे. पीड़ितों को हर्जाने के तौर पर अब 20,000 यूरो (करीब 23,000 डॉलर) मिलने का अनुमान है. इसके अलावा गिरजे के प्रमुख ने एक बयान जारी कर सभी पीड़ितों से माफी मांगी है और कहा कि "हम सबसे गलतियों होती हैं और हमने बहुत कुछ सीखा है."

वेबर ने भी माना है कि इन कैथोलिक संस्थानों में पहले से चली आ रही ऐसी संस्थागत कमजोरियों को काफी हद तक दूर कर लिया गया है और पुराने दुर्व्यवहारों को लेकर अब यहां "कहीं ज्यादा जागरुकता" है. हाल ही में आयरलैंड में भी एक पादरी पर 100 से अधिक बच्चों का यौन शोषण करने का आरोप लगा है. हालांकि जर्मन चर्च संस्थाओं के लिए यह हाल के सालों का सबसे बड़ा कांड है. इस स्कूल के अलावा बर्लिन में स्थित एलीट यीशु स्कूल में भी एक पुराना मामला सामने आया है. यहां भी दो पादरियों के 1970 और 80 के दशक में 100 से भी अधिक बच्चों के साथ नियमित यौन शोषण करने का आरोप है.

आरपी/एनआर (एएफपी)