जर्मनी की वर्ल्ड कप में धमाकेदार शुरुआत
१४ जून २०१०और पूरे 90 मिनट तक यही खेल चलता रहा. जर्मन खिलाड़ी एक एक करके चार बार ऑस्ट्रेलिया के जाल को झांक आए. इस बार के विश्व कप की सबसे बड़ी जीत और अब तक के सबसे एकतरफा मुकाबले में तीन बार की चैंपियन जर्मनी ने गेंद को ज्यादा से ज्यादा अपने पास बनाए रखा. जब भी वक्त मिलता, ऑस्ट्रेलिया की रक्षा पंक्ति को भेद कर जर्मन खिलाड़ी गोलकीपर के सिर पर सवार हो जाते.
युवा कोच और युवा कप्तान के साथ जर्मनी की अब तक की सबसे युवा टीम ने धमाकेदार तरीके से वर्ल्ड कप की शुरुआत की. हालांकि पिछले छह बार से जर्मनी हर बार जीत के साथ ही विश्व कप की शुरुआत करता है. ज्यादातर गैर जर्मन मूल के खिलाड़ियों से सजी टीम ने शायद कोच योआखिम लोएव के नुस्खों को अच्छी तरह समझ लिया था. जर्मनी हर बार एक बेहद मजबूत और खिताब की दावेदार टीम रहती है.
जर्मन खेल पूरी तरह जर्मन तकनीक की तरह मशीनीकृत रहता है. वे लातिन अमेरिकी फुटबॉल की तरह समां नहीं बांधते और न ही उनकी तरह कलात्मक खेल दिखाते हैं. लेकिन जर्मन खिलाड़ियों में गजब का ताल मेल रहता है और किसी विशालकाय मशीन को स्टार्ट करने के बाद उसके पुर्जों की तरह खिलाड़ी अपना अपना काम कर जाते हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में भी यही हुआ. मैच शुरू होने के बाद उन्हें इंजन स्टार्ट करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा और इसके बाद तो गाड़ी फर्राटे के साथ दौड़ने लगी.
स्टार स्ट्राइकर लुकास पुडोल्स्की ने टीम के लिए आठवें मिनट में ही श्रीगणेश कर दिया और इसके बाद टीम के स्ट्राइकरों पुडोल्स्की और क्लोजा ने कम से कम चार मौके गंवाए. लेकिन 26वें मिनट में लगभग उड़ते हुए क्लोजा ने गेंद को जाल में ठूंस दिया और इस गोल के साथ आलोचकों के मुंह पर भी ताला जड़ दिया कि अब उनमें अच्छा फुटबॉल नहीं बचा है. क्लोजा ने मैच में बेहतरीन प्रदर्शन किया.
माइकल बलाक के बाद क्लोजा को टीम का स्वाभाविक कप्तान समझा जा रहा था लेकिन उनके फॉर्म की आड़ में उन्हें कप्तान नहीं बनाया गया. यह जिम्मा रक्षा पंक्ति के 26 साल के फिलिप लाम के कंधों पर दे दिया गया. हालांकि लाम टीम को लामबंद करने में कामयाब रहे. मैच के बाद लाम ने कहा, "मैच के शुरू में हमें कुछ मौके मिले. देखिए, हम युवा खिलाड़ियों से भरी टीम हैं और एक बार लय पकड़ लेने के बाद हमने अच्छा खेल दिखाया."
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में जर्मन टीम में अनुभव की कमी साफ देखी जा रही थी. ज्यादातर वक्त गेंद को अपने पास बनाए रखने के बाद भी खिलाड़ी उसे मुकाम तक नहीं पहुंचा पा रहे थे. मिडफील्ड में म्यूलर, खेदिरा, श्वान्सटाइगर और ओइजिल के अलावा पोडोल्स्की और क्लोजा का जलवा बना हुआ था. लेकिन बार बार गोल के पास पहुंच कर वे गलती कर बैठते. तुर्क मूल के ओइजिल ने पीला कार्ड देखने से पहले दो निश्चित गोल के मौके गंवा दिए. खेदिरा भी एक से ज्यादा बार नाकाम रहे.
आधे वक्त तक 2-0 से आगे होने के बाद जर्मनी की टीम मजबूत स्थिति में पहुंच चुकी थी और खिलाड़ियों का तालमेल भी बिलकुल फिट हो चुका था. इसी दौरान 55वें मिनट में ऑस्ट्रेलिया के टिम कैहिल ने 55वें मिनट में अपनी टीम का पूरी तरह सत्यानाश कर दिया. खतरनाक खेल की वजह से उन्हें सीधा रेड कार्ड दिखा दिया गया और 10 खिलाड़ियों पर सिमट गई टीम इसके बाद चकनाचूर हो गई. म्यूलर ने 68वें मिनट में एक और गोल करके ऑस्ट्रेलिया को पस्त कर दिया, जबकि इसके दो मिनट बाद ही ब्राजीली मूल के ककाऊ ने आसानी से गोल जाल में डाल दी. चौथा गोल खाने के बाद ऑस्ट्रेलिया पूरी तरह पस्त हो गया. जर्मनी ने इस विश्व कप में अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल कर ली. मैच के बाद ऑस्ट्रेलिया के कोच ने कहा कि जर्मनी निश्चित तौर पर खिताब की दावेदार है.
जर्मन कोच योआखिम लोएव ने मैच के बाद कहा, "जीत अच्छी रही और हमने बहुत कुछ अच्छा किया. लेकिन यह सिर्फ एक जीत है. अभी लंबा सफर बाकी है." जर्मनी के युवा टीम पर फुटबॉल के कई पंडितों ने शक जताया था लेकिन डरबन में 55000 दर्शकों के सामने जर्मन खिलाड़ियों ने इन पंडितों को धता बता दिया. अब जर्मनी का अगला मुकाबला सर्बिया से है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः ओ सिंह