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जंगलों को बदलती ग्लोबल वार्मिंग

८ मई २०१७

ग्लोबल वार्मिंग से न केवल दुनिया के वन्य क्षेत्रों में कमी आ रही है बल्कि कुछ ऐसे क्षेत्र भी है जहां वन्य क्षेत्र बढ़ रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग अब नये जंगल भी गढ़ रही है. देखिए कैसे.

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USA Colorado- forest aerial
तस्वीर: DW/B. Berwyn

दुनिया के कुछ हिस्सों में जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है. इसलिये वैज्ञानिकों को चिंता है कि भविष्य में वन अपने बुनियादी कार्यों को पूरा करने में भी सक्षम नहीं रहेंगे, मसलन लकड़ी उत्पादन, भूस्खलन और हिमस्खलन से संरक्षण, साथ ही भोजन, वन्यजीव आवास प्रदान करना.

हाल ही में वैज्ञानिकों ने यूरोपियन जियोसाइंसेज यूनियन के वार्षिक सम्मलेन में इस मसले पर चर्चा करते हुये कहा गया कि लोग अब भी इसके प्रति गंभीर नहीं है. ईटीएच ज्यूरिख के वन परिस्थितिकीविद् माथियास योखनर ने अपने ट्री-रिंग अध्ययन का वर्णन करते हुये बताया कि कैसे पेड़ पौधों के माहौल में बदलाव हो रहा है और अब नये क्षेत्रों में नये पेड़ बढ़ रहे हैं. यह स्टडी पिछले अध्ययनों की पुष्टि करती है जिसके मुताबिक वेजिटेशन क्षेत्र अब 500 से 700 मीटर तक ऊपर की ओर बढ़ रहा है. हालांकि बदलाव मध्य स्तर पर अधिक देखने को मिल रहे हैं और यही कारण है कि अब वन आश्रित समुदाय कृषि और पर्यटन के कामों में लग गये हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक बदलाव इतना गंभीर हो चला है कि अब जल्द ही निचले इलाकों में ओक (बबूल) और अन्य बड़े पेड़ हावी हो जायेंगे और मौजूदा परिदृश्य में बदलाव नजर आयेगा.

Forest change / Wienerwald hiking
तस्वीर: DW/Bob Berwyn

उत्तर अमेरिका

इस सम्मेलन में चर्चा कि गयी कि कैसे वन प्रबंधन से जुड़े सक्रिय कदम ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान को रोक सकते हैं. जैसे कि साल 1990 के दशक में उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग में बार्क बीटल के प्रकोप से बचाने के लिये कदम उठाये गये थे. इसमें तकरीबन 20 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले वन को नष्ट कर दिया गया था. कनाडा में भी कुछ ऐसे ही कारणों के चलते पाइन के वाणिज्यिक उत्पादन को तकरीबन 53 फीसदी तक का नुकसान उठाना पड़ा था. हालिया अध्ययनों के मुताबिक रॉकी पर्वतों पर अब मौसम इतना गर्म हो गया है कि ये पाइन के उत्पादन अनुकूल ही नहीं रहा.

वैज्ञानिकों को डर है कि अगर ये रुख बरकरार रहा तो जल्द ही ये जंगल घास के मैदानों में बदल जायेंगे. जंगलों के इस बदलते व्यवहार को समझने के लिये अब वैज्ञानिक पृथ्वी के फेफड़े कहे जाने वाले अमेजन के जंगलों पर भी नजर बनाये हुये हैं. कुछ अध्ययनों के मुताबिक अमेजन ग्लोबल वार्मिंग के प्रति लचीला रह सकता है लेकिन इसे भी वनों की कटाई के गंभीर प्रभावों को सामना करना पड़ रहा है.

Forest change / Hummingbird in Colorado forest
तस्वीर: DW/Bob Berwyn

यूरोपीय जंगल

यूरोपीय जंगल छोटे छोटे भागों में विकसित होते हैं इसलिये यूरोप के जंगलों पर इसका असर बहुत नहीं होना चाहिये, लेकिन यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता. ऐसा नहीं है कि ग्लोबल वार्मिंग से जंगलों का क्षेत्र बस घट ही रहा है. दरअसल कुछ जंगल ऐसे भी हैं जहां जंगलों के क्षेत्र में वृद्धि हुई है. रूस के साइबेरियन पाइन वाले इलाके में वृद्धि हो रही हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से 50 साल पुराने पेड़ों की वृद्धि दर लगभग दोगुना हो गई है. लेकिन कीटों के प्रकोप के चलते फिलहाल इसमें गिरावट आयी है.

Forest change, Frisco, Colorado
तस्वीर: DW/Bob Berwyn

वैज्ञानिक मानते हैं कि वन क्षेत्रों के लिये ग्लोबल वार्मिंग एक संकट है और इसके चलते आज वनों का मौजूदा रूप बदल रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग अल्पावधि में भी वाणिज्यिक वन्य-उत्पादन के लिये खतरा है और लंबी अवधि में इससे जल संकट, हिमस्खलन, प्रदूषण आदि का खतरा है.

बॉब बेर्विन/एए