1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चर्चा करने चीन चले रक्षा मंत्री

४ जुलाई २०१३

सात साल बाद भारत का कोई रक्षा मंत्री चीन जा रहा है और दोनों देश सीमा विवादों को नए नजरिए और गंभीर प्रयासों के साथ सुलझाने की कोशिश में हैं, पर सबसे पहले कवायद भरोसा कायम करने की है.

https://p.dw.com/p/191zJ
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी का चीन दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी चीन में होंगे. भारत और चीन की बातचीत में सीमा विवादों के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा का मसला भी बेहद खास है. हिमालय के इलाके में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों ने इसी साल दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ा दिया था.

भारत ने आरोप लगाया कि चीनी सेना भारत के अधिकार वाले इलाके में 20 किलोमीटर तक अंदर घुस आई. इसके बाद तीन हफ्ते तक दोनों देशों के बीच रस्साकसी चलती रही और इलाके में सैन्य गतिविधियां तेज हो गईं. स्थानीय सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद भारत चीन ने अपने सैनिकों को वहां से हटाया. भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कभी खींची ही नहीं गई हालांकि 1962 की जंग के बाद दोनों देशों ने शांति समझौते पर दस्तखत किए और तब से मोटे तौर पर इलाके में शांति है.

Grenzkonflikt Indien China Ladakh
तस्वीर: Getty Images/Daniel Berehulak

रक्षा मंत्री एके एंटनी दक्षिण पश्चिमी चीन में शेंगदू रीजन कमांड के दौरे पर जाने की उम्मीद की जा रही है. भारत के साथ सीमा के कुछ इलाकों की जिम्मेदारी इसी कमांड पर है. चीन ने पिछले साल सीमा पर सुरक्षा बेहतर करने के लिए एक नए तंत्र, सीमा रक्षा सहयोग समझौते का प्रस्ताव रखा है. एंटनी इस समझौते पर चीन के अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे. एंटनी के साथ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और रक्षा सचिव भी चीन पहुंच रहे हैं और बातचीत में शामिल होंगे. भारत के रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि चीन के रक्षा मंत्री के साथ एंटनी की मुलाकात होगी और इसमें "उम्मीद है कि दोनों मंत्री कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे इनमें सीमा पर शांति बनाए रखने और इलाके के साथ ही दुनिया की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी शामिल होंगे." भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन पहले ही बीजिंग का दौरा कर सीमा से जुडे मामलों में बातचीत कर आए हैं.

भारत के रक्षा मंत्री का दौरा भले ही सात साल बाद हो रहा हो लेकिन दोनों देशों के बीच इस दौरान सुरक्षा मामलों में काफी कुछ हुआ है. बड़ी बात यह है कि दोनों देशों ने सहयोग का रास्ता या कम से कम सहयोग के बारे में बात करना जारी रखा है. चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग पिछले दिनों जब भारत आए तो भारत के साथ भरोसा मजबूत करने की शपथ ली और एलान किया किया कि एशिया के दो बड़े देशों के बीच सहयोग दुनिया की शांति के लिए बेहद जरूरी है. बीते हफ्ते चीन ने यह भी कहा कि वह भारत के साथ सीमा विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत का स्तर बढ़ाना चाहता है और बाधाओं को दूर करने के लिए नए सिरे से कोशिशें की जाएंगी.

एनआर/एजेए (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी