चमार पॉप: दलितों की नई आवाज
पंजाब की गिन्नी माही उभरती हुई गायिका हैं. लेकिन उनके गीत खास हैं जो भारत में जातिवाद पर चोट करते हैं और दलितों के हक की आवाज उठाते हैं.
संगीत बना माध्यम
17 साल की गिन्नी का नाता पंजाब से है और अपने गीतों के जरिए वह निचली कही जाने वाली चमार जाति के लोगों के अधिकारों की आवाज को बुलंद कर रही हैं.
बिरादरी का मान
माही कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि मेरी बिरादरी का मान बढ़े और उसे पूरी दुनिया में जाना जाए.”
प्रेरणा
दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ. अंबेडकर को गिन्नी माही अपनी प्रेरणा मानती हैं और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलना चाहती हैं.
लोकप्रियता
यूट्यूब पर उनके वीडियो पसंद किए जा रहे हैं. सितंबर में ही उन्होंने दिल्ली में अपनी पहली परफॉर्मेंस दी, जिसे खूब पसंद किया गया.
भेदभाव
जागरूकता फैलाने के प्रयासों के बावजूद भारत में दलितों के साथ भेदभाव और हिंसा की खबरें अकसर आती रहती हैं.
मीडिया में हिस्सेदारी
दलित कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यधारा के मीडिया में उन्हें उचित स्थान नहीं दिया जाता. इसलिए इन दिनों दलितों की अपनी कई पत्रिकाएं और पत्र भी प्रकाशित हो रहे हैं.
दलित फूड्स
दलित विचारक चंद्रभान प्रसाद ने हाल में दलित फूड्स के नाम से खाद्य उत्पादों की एक सीरिज शुरू की है. वो दलितों में उद्यमशीलता बढ़ाने पर जोर देते हैं.
बंद हो जुल्म
गिन्नी माही कहती है कि दलितों पर होने वाले जुल्म बंद होने चाहिए. पंजाब में जनसंख्या अनुपात के हिसाब से दलितों की सबसे ज्यादा आबादी है.