घर के भीतर डेड जोन की खोज
२७ जनवरी २०१६फोन की घंटी बजी नहीं कि दूसरे कमरे या बाहर जाने की तैयारी होने लगी, कई इमारतों में कुछ जगहों पर मोबाइल पर सिग्नल पूरे आ रहे होते हैं लेकिन बात ठीक से नहीं हो पाती. मोबाइल सिग्नल की ताकत का सटीक पता लगाने के लिए भी कई ऐप्स बाजार में हैं. सिग्नल फाइंडर, नेटवर्क सिग्नल इंफो, फोन रिसेप्शन मॉनिटर और स्पॉटी जैसे ऐप तो मुफ्त हैं. इनकी मदद से पता लगाया जा सकता है कि अहम बातचीत के दौरान घर के किन कमरों में नहीं जाना चाहिए. साथ ही अंजान स्थान में भी ऐसी जगह का पता लगाया जा सकता है जहां सबसे अच्छे सिग्नल हैं.
इंटरनेट के मामले में भी कुछ ऐसा ही होता है. वाई फाई जोन में रहने के वावजूद कई बार वाई फाई काम नहीं करता. कंप्यूटर या मोबाइल पर वाई फाई के सिग्नल दिखाई पड़ते हैं लेकिन कनेक्शन नहीं चलता. अब कुछ ऐसे ऐप आ गये हैं जो इस वाई वाई सिग्नलों की ताकत का बेहद सटीक विश्लेषण कर सकते हैं.
विडोंज कंप्यूटर में वाई फाई संबंधी दिक्कत का पता इकाहुआ हीटमैपर ऐप से लगाया जा सकता है. मैक यूजर नेटस्पॉट के जरिये अपनी परेशानी हल कर सकते हैं. इन ऐप्स को कंप्यूटर या मोबाइल पर चलाने के बाद अगर आप धीरे धीरे एक जगह से दूसरी जगह जाएंगे तो साफ साफ पता चलेगा कि वाई फाई की सिग्नल स्ट्रेंथ कैसे बदल रही है. इन ऐप्स में सिग्नल स्ट्रेंथ को एक रंगीन मैप के जरिए दिखाया जाता है. हरे रंग का मतलब है बढ़िया सिग्नल और लाल रंग का मतलब है खराब सिग्नल.
दोनों ऐप्स का बेसिक वर्जन मुफ्त है. इनकी मदद से वाई फाई के रूटर के लिए इमारत में एकदम मुफीद जगह चुनी जा सकती है. ऐप डेवलपरों के मुताबिक कई बार वाई फाई के सिग्नल लीक करते हैं. एक और समस्या चैनल कॉन्फ्लिक्ट की होती है. असल में हर वाई फाई नेटवर्क के कुछ खास ऑपरेटिंग चैनल होते हैं. रूटर इन्हीं चैनलों के जरिए काम करता है. ऐसे में कभी कभार एक ही इमारत के कई घरों में लगे रूटर एक दूसरे की सिग्नल स्ट्रेंथ को प्रभावित करते हैं. इससे वाई फाई सिग्नल की स्ट्रेंथ भी कमजोर होती हैं. हालांकि आधुनिक रूटर ऑटोमैटिक तरीके से खुद को सेट कर लेते हैं लेकिन इसके बावजूद भी कभी कभार यह समस्या बनी रहती है.