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गर्भवती महिलाएं कराएं थाइरॉयड की जांच

३ जनवरी २०१२

गर्भावस्था के दौरान कई बातों का ध्यान रखना होता है. सही मात्रा में नमक लेना भी इन में से एक है. आयोडीन की कमी से थाइरॉयड की समस्या होती है जो शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है.

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गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर जांच में इस बात पर ध्यान देते हैं कि शरीर में आयरन सही मात्रा में जा रहा है या नहीं. लेकिन आयोडीन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता. अमेरिका में हो रही एक रिसर्च के अनुसार गर्भवती महिलाओं में थाइरॉयड की जांच बेहद जरूरी है, क्योंकि इस से गर्भपात या समय से पहले जन्म जैसे मामलों से बचा जा सकता है. साथ ही इस से बच्चे के बौद्धिक स्तर पर भी असर पड़ता है. हालांकि थाइरॉयड की जांच किसे करानी चाहिए और किसे नहीं इस पर डॉक्टरों की एक राय नहीं बन पा रही है.

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तस्वीर: DW-TV

कौन कराए जांच?

कुछ डॉक्टरों का मानना है कि आयोडीन की कमी के लक्षण दिखने पर ही जांच के लिए आना चाहिए, जबकि कई दूसरे मानते हैं कि कई बार लक्षण पहचान में ही नहीं आते. इन डॉक्टरों की राय है कि तीस साल से अधिक की उम्र में गर्भ धारण करने वाली हर महिला को थाइरॉयड की जांच करानी चाहिए. ऐसे में अमेरिका की 25 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं अपनी जांच करा रही हैं.

अमेरिका के 'क्वेस्ट डायग्नॉस्टिक्स' ने टेस्ट करने वाली पांच लाख महिलाओं के रिकॉर्ड्स देखे. जांच में पता चला के केवल पंद्रह प्रतिशत महिलाओं को ही थाइरॉयड की समस्या थी. हालांकि यह संख्या चौंका देने वाली थी, क्योंकि रिसर्चरों के अनुमान से यह केवल तीन प्रतिशत ही होनी चाहिए थी. विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ समय में जांच के तरीके बदले हैं जिन के कारण जांच बेहतर रूप से हो पा रही है.

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क्या हैं लक्षण?

लेकिन इन में से अधिकतर मामले संजीदा नहीं हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामलों में जांच कराना पैसे की बरबादी है. दरअसल थाइरॉयड के गंभीर मामलों में ही डॉक्टर आयोडीन की गोलियां लेने की सलाह देते हैं, लेकिन आम मामलों में वे इन से बचना पसंद करते हैं. बॉस्टन की डॉक्टर एलिजाबेथ पीयर्स का इस बारे में कहना है, "हमारे पास अभी भी सारे जवाब नहीं हैं." इसी तरह न्यूयॉर्क की डॉक्टर डेना गॉफमैन का कहना है, "अगर आप यही नहीं जानते कि नतीजों के साथ करना क्या है तो आपको टेस्ट कराना ही नहीं चाहिए.

अमेरिका में करीब दो करोड़ महिलाओं को थाइरॉयड की समस्या है. डॉक्टरों के अनुसार यह समस्या पुरुषों में उतनी नहीं देखी जाती जितनी महिलाओं में. इसके कारण हृदय रोग और हड्डियों की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है. अधिकतर लोग थाइरॉयड में होने वाली समस्याओं की अलग अलग किस्म के बारे में भी नहीं जानते. थाइरॉयड जब अधिक सक्रिय हो जाए तो उस से वजन घट सकता है, दिल की धडकनें बढ़ सकती हैं और आंखें खराब हो सकती हैं. लेकिन अगर थाइरॉयड कम सक्रिय हो तो वजन बढ़ सकता है, थकावट महसूस हो सकती है और डिप्रेशन भी हो सकता है. उम्र के साथ साथ यह समस्या बढ़ती रहती है.

रिपोर्टः एपी / ईशा भाटिया

संपादनः एन रंजन

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