खोते द्वीप की खूबसूरती
प्रशांत सागर में बसा ऑनतोंग जावा द्वीप जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर है. ऊंची उठती लहरें और नियमित तूफान इस द्वीप के अस्तित्व पर संकट पैदा कर रहे हैं. लोग अपनी मातृभूमि खोने का खतरा झेल रहे हैं.
अलग थलग द्वीप
ऑनतोंग जावा सिर्फ 12 वर्ग किलोमीटर बड़ा है जिसकी जमीन समुद्र स्तर से केवल 3 मीटर ऊंची है. सोलोमन द्वीप से 500 किलोमीटर दूर बसे इस द्वीप के चारों ओर पश्चिमी प्रशांत सागर की गहराइयां हैं. यहां के लोग हमेशा ही लहरों और तूफान के साये में जिए हैं लेकिन मुश्किलें बढ़ रही हैं.
परंपराओं का पालन
यह द्वीप सैकड़ों सालों से बसा है. पोलीनेशिया के लोग इस द्वीप पर 2000 साल पहले बसे. सदियों पुराने नृत्य ताकतवर प्राकृतिक शक्तियों की कथा कहते हैं. ये नृत्य स्थानीय संस्कृति का अहम हिस्सा तो हैं ही, वे स्थानीय आबादी की पहचान का भी अभिन्न अंग हैं.
प्रकृति का साथ
परंपरागत रूप से घर नारियल और पंडाना के पेड़ों से बनाए जाते हैं. आजकल इन झोपड़ियों में सौर ऊर्जा की मदद से आधुनिक रोशनी की जाती है. इस द्वीप के दुनिया से कटे होने का एक फायदा यह भी है कि रात के आसमान का अंधेरा पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त दिखता है.
कहां जाएंगे बच्चे
यदि समुद्र स्तर का बढ़ना जारी रहता है तो जल्द ही यह द्वीप समुद्र में डूब जाएगा. 8 वर्षीय विल्सन आयुंगा जैसे ऑनतोंग जावा के बच्चों के लिए इस द्वीप को छोड़कर कहीं और ऊंची जगह पर बसने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा. लोगों को डर है कि उनकी जन्मभूमि छिन जाएगी.
अप्रतिबद्ध सरकार
लुआनिउआ की अनछुई खूबसूरती ऊपर से साफ दिखती है. यह ऑनतोंग जावा के उन दो द्वीपों में शामिल है जहां लोग रहते हैं. ताड़ के इन खूबसूरत पेड़ों के पीछे एक प्रतिबद्ध सरकार की कमी दिखती है. ऑनतोंग जावा सोलोमन द्वीप समूह का हिस्सा है, लेकिन नागरिक सुविधाओं के अभाव में समस्याएं पैदा हो रही हैं.
बंटता द्वीप
ऑनतोंग जावा के लोगों को जलवायु परिवर्तन के नतीजे साफ होने लगे हैं. समुद्र का जलस्तर बढ़ने की वजह से हेनुआ आइकू द्वीप दो हिस्सों में बंटने लगा है. समुद्र का पानी द्वीप के बीच से घुसने लगा है और उसने खाद्य सुरक्षा और भूस्खलन की समस्या सबके सामने ला दी है.
जलवायु परिवर्तन
समुद्री जलस्तर बढ़ने से द्वीप के हिस्से डूब रहे हैं. उनसे होने वाले नुकसान के अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण तेज हवाओं और कभी भी आने वाले तूफानों का खतरा बढ़ गया है. ये द्वीप के तटीय इलाकों के अलावा वहां बसे गांवों को भी खतरे में डाल रहे हैं.
फसल में कमी
समुद्र का पानी द्वीप पर घुसने का एक नुकसान यह भी हो रहा है कि वह जमीन को खराब कर रहा है. मिट्टी के धूसर होने के कारण खेती ठीक से नहीं हो रही है. पैट्रन लालियाना का तारो गार्डन धरती की उर्वरा शक्ति कम होने के कारण उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है.
बदलता समय
सैरा अबोरा ने अपनी सारी जिंदगी ऑनतोंग जावा पर बिताई है. उन्हें वह समय भी याद है जब द्वीप पर आज जहां गांव है वहां झाड़ियां हुआ करती थी. उन्हें यह भी याद है कि पहले जहां लोग रहा करते थे, वह जगह इस बीच पानी में डूब चुकी है. पानी के बढ़ने से गांव छोटा हो गया है.
डूबा गांव
ऑनतोंग जावा के लोगों के लिए समुद्री जलस्तर बढ़ने के खतरों के सबूत द्वीप पर हर कहीं दिखते हैं. आज जहां सफेद रेत दिखती है, वहां कभी सुंदर रमणीक गांव हुआ करता था. बढ़ते समुद्री पानी ने 40 घरों और एक कब्रगाह को लील लिया है.
धरती बिन संस्कृति नहीं
ऑनतोंग जावा के लोगों को पता नहीं कि अपनी धरती के बिना वे अपनी संस्कृति कैसे बचा पाएंगे. अपने द्वीप को छोड़ना उनके लिए पहचान खोने जैसा है. लेकिन जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन के नतीजे लोगों को विस्थापित करने का खतरा पैदा कर रहे हैं ऑनतोंग जावा की संस्कृति का भविष्य धूमिल हो रहा है.
उम्मीद की किरण
ऑनतोंग जावा से लोगों के विस्थापन की संभावना बढ़ती जा रही है, लेकिन अभी भी लोग आशावान हैं कि वे अपनी परंपरागत भूमि पर रह सकेंगे. वह भूमि जिसने उन्हें 2000 साल से पनाह दी है और खुशहाली में जिंदा रखा है.