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खूबसूरती और आकर्षण के नियम

१७ अप्रैल २०१४

एक नई स्टडी का दावा है कि औरों से अलग दिखकर विपरीत सेक्स के लिए ज्यादा आकर्षक बना जा सकता है. बुधवार को जारी इस स्टडी के नतीजों से यह भी समझा जा सकता है कि फैशन क्यों बदलता रहता है.

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Mann mit einem halben Bart
तस्वीर: Fotolia/eevl

ऑस्ट्रेलिया के रिसर्चरों ने मिसाल के तौर पर पुरुषों की दाढ़ी को चुना. वह इस परिकल्पना को टेस्ट करना चाहते थे कि क्या अगर किसी खास तरह का चेहरा मोहरा या नाक नक्श कम लोगों के पास हो तो वह विपरीत लिंग के लिए ज्यादा वांछित बन जाता है. इसे परखने के लिए उन्होंने औरतों को कई तरह के चेहरे वाले पुरूषों की तस्वीरें दिखाईं. तस्वीर में दिखाए गए कुछ पुरूषों ने दाढ़ी साफ कर रखी थी तो किसी ने हल्की या पूरी दाढ़ी रखी थी. उन महिलाओं से कहा गया कि वे तस्वीरों के आधार पर आकर्षक लगने वाले उन पुरूषों की एक श्रेणी बनाएं.

रॉयल सोसाइटी जरनल 'बायोलॉजी लेटर्स' में प्रकाशित इस स्टडी में पाया गया कि जिन मामलों में दाढ़ी वाले पुरूषों को कई बिना दाढ़ी के लोगों के बीच रखा गया, उनमें महिलाओं ने दाढ़ी वालों को आकर्षण की श्रेणी में कहीं ऊपर रखा. इससे भी दिलचस्प बात यह रही कि जिन औरतों को दाढ़ी वाले कई लोगों की फोटो के साथ, बिना दाढ़ी वाले कुछ पुरूषों की फोटो दिखाई गई, उसमें उन्होंने बिना दाढ़ी वालों को ज्यादा पसंद किया. रिसर्चरों का मानना है कि इस टेस्ट से क्रमिक विकास के क्रम की जटिल पहेली को समझने में मदद मिल सकती है. न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के बार्नबी डिक्सन के नेतृत्व में हुए इस स्टडी पेपर में लिखा है कि "कई बार, साज सजावट के मामले में अलग दिखना बहुत फायदेमंद हो सकता है."

कई पुराने रिसर्च बताते हैं कि यूरोपीय देशों में ज्यादातर लोगों के बाल हल्के रंग के होने के कारण पुरूष गहरे भूरे बालों वाली महिलाओं को ज्यादा आकर्षक मानते हैं. इसी तरह किसी भी जगह पर वहां के स्थानीय गुणों से अलग दिखने नैन नक्श वाली महिलाओं के चेहरे कहीं ज्यादा आकर्षक लगते हैं. इस स्टडी से एक बार फिर इन धारणाओं की पुष्टि होती है कि अलग दिखने का कैसे असर पड़ता है. शायद अलग दिखने की इस अंतर्निहित होड़ के कारण ही फैशन की दुनिया में नई नई स्टाइलों का आना नहीं थमता.

Junge Menschen Kreis Gesichter
तस्वीर: Fotolia/Syda Productions

लैंगिक चुनाव के सिद्धांत के अनुसार मादा जानवर भी अपने मनचाहे गुणों वाले साथी का ही चुनाव करती है. मिसाल के तौर पर मोर पक्षी की मादा खूबसूरत रंगबिरंगे पंखों वाले नर को चुनती है. इस तरह तो धीरे धीरे किसी भी प्रजाति के जीन पूल में ज्यादातर वही चुनिंदा गुण बचने चाहिए जो एक लंबे समय तक ज्यादा पसंद किया जाए और बाकी को मिट जाना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है. बल्कि, होता यह है कि जेनेटिक स्तर पर विविधताएं पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रहती हैं क्योंकि इस तरह आम के मुकाबले कुछ खास 'अच्छे जीन' बचे रहते हैं. इस विरोधाभास से वैज्ञानिक बहुत लंबे समय तक हैरान रहे हैं. वे अब मानते हैं कि सभी प्रजातियों में पाए जाने वाले कुछ चुनिंदा लक्षण इनकी उत्तरजीविता के मामले में खास भूमिका निभाते हैं. मछलियों में सामूहिक सेक्स का उदाहरण लें तो आप पाएंगे कि जिस मछली का रंग औरों से अलग था उसे सबसे अधिक सेक्स पार्टनर मिले और वही मछली सबसे ज्यादा लंबे समय तक जिंदा भी रही.

आरआर/एएम (एएफपी)