खतरनाक खेलों के शौकीन
खेल के कई शौकीन ऐसे खेलों में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं जो जोखिम से भरे हों. देखें दुनिया के एक्सट्रीम स्पोर्ट्स तस्वीरों में..
सर नीचे पैर ऊपर
क्लिफ डाइविंग: किसी चट्टान से पानी में कूदते समय भी खिलाड़ी को उन्हीं पैमानों पर परखा जाता है जैसा कि ओलंपिक जैसे खेलों में होता है. डाइव करने के बाद खिलाड़ी करीब तीन सेकंड तक हवा में रहता है. क्रोएशिया के ओरलांडो डूकी कहते हैं कि ये चंद सेकंड भी बहुत लम्बे महसूस होते हैं.
जोश या जूनून?
फ्री डाइविंग: यह खेल है तो स्कूबा डाइविंग जैसा, लेकिन इसमें ऑक्सीजन सिलिंडर ले जाना मना है. खिलाड़ी को सांस रोक कर नीचे जाना पड़ता है. अब तक का रिकॉर्ड 214 मीटर है.
पैर को पंख
स्काइ फ्लाइंग: इंसानों को पंख तो नहीं लग सकते, लेकिन इस खास तरह के स्की बोर्ड की मदद से उड़ने का सपना जरूर पूरा हो सकता है. नॉर्वे के योहान रेमेन एवेनसेन ने हवा में 246.5 मीटर की छलांग लगा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है. ऐसे में हवा का एक हल्का सा झोंका भी उनकी जान ले सकता था.
साइकल वाला सुपरमैन
फ्री राइड बाइक: ब्रिटेन के सैम पिलग्रिम अपने इस स्टंट के लिए मशहूर हैं. इसे बैकफ्लिप सुपरमैन कहते हैं. लेकिन इस टशन का नतीजा यह है कि सैम तस्वीरों में बिना दांतों के मुस्कुराते हुए नजर आते हैं. इस खतरनाक स्टंट के कारण उनके आगे के दांत टूट चुके हैं.
बिन किसी सहारे
फ्री क्लाइम्बिंग: चट्टानी पहाड़ों पर चढ़ने का शौक कई लोगों को होता है, लेकिन चढ़ाई इतनी मुश्किल होती है कि रस्सियों का सहारा लिया जाता है. पर फ्री क्लाइम्बिंग में किसी भी तरह की मदद की इजाजत नहीं है. बस गिरने से बचने के लिए रस्सी लगाई जा सकती है. सोलो रॉक क्लाइम्बिंग में तो यह भी नहीं होता.
एक यह भी परिंदा
अमेरिका के जेब कॉर्लिस दुनिया की मशहूर इमारतों से छलांग लगा चुके हैं. वह पैरिस के आइफल टावर, कुआला लम्पुर के पेट्रोनास ट्विन टावर्स और रियो दे जनेरो के क्राइस्ट स्टैचू से कूद चुके हैं. लेकिन दक्षिण अफ्रीका में कूदना उन्हें महंगा पड़ा. उनकी दोनों टांगे टूट गयी.
ब्रेक लगी, साइकल पलटी
माउन्टेन बाइकिंग: डिसेंट ऑफ द कॉनडोर को दुनिया की सबसे खतरनाक साइकल रेस माना जाता है. इस रेस के लिए केवल दो ही किलोमीटर का फासला तय करना होता है, लेकिन बोलिविया की पहाड़ियों में अच्छे अच्छों की हालत खराब हो जाती है.
गर्मी, धूल और प्यास
सैंड मैराथन: मोरक्को के रेगिस्तान में होने वाला यह मैराथन छह मैराथन के बराबर है. खिलाड़ियों को छह दिनों तक कुल 250 किलोमीटर चलना होता है. सहारा मरुस्थल में 40 डिग्री से ज्यादा तापमान में उन्हें पानी की बोतलें भी खुद ही संभालनी पड़ती हैं.
सबसे ऊंची छलांग
ऑस्ट्रिया के फेलिक्स बाउमगार्टनर ने बीते साल 39 किलोमीटर की ऊंचाई से कूद कर दुनिया को अचरज में डाल दिया. वह 1342.87 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से नीचे आए, जो की ध्वनि की गति से भी तेज है.
हिमालय की चोटी पर
एवरेस्ट एक्सपीडिशन: जापान के 71 साल के कातसुसुके यानागिसावा एवरेस्ट पर चढ़ने वाले दुनिया के सबसे अधिक उम्र के व्यक्ति बन गए हैं. हिमालय की चोटी को छूने का सपना जितना खूबसूरत है उतना ही खतरनाक भी. पिछले साल पर्वतारोहण के दौरान 10 लोगों की जान चली गयी.
हर कदम पर मौत
टाइट रोप वॉकिंग: चीन के आदिली वुक्सर 1.35 किलोमीटर लम्बी रस्सी पर चले. हाथ में एक लम्बी सी छड़ी पकड़े वह संतुलन बनाते चलते रहे. इस रोमांचक खेल में यदि जरा भी चूक होती तो वह 350 मीटर गहरी खाई में जा गिरते.
बर्फीली चट्टानें
एक्सट्रीम फ्री राइड: स्कीइंग के दौरान बर्फ में फिसलने का खतरा तो रहता ही है, लेकिन इस खेल में पहाड़ों से सरकती हुई बर्फ का भी सामना करना पड़ता है. अर्जेंटीना के निकोलास सालेंकोन के लिए यह सामान्य सी बात है.
दिन रात चलती रेस
रेस अक्रॉस द एल्प्स: इस रेस के आगे टूअर दे फ्रांस मजाक लगता है. 532 किलोमीटर का फासला तय करने के लिए खिलाड़ियों को दिन रात साइकल चलानी पड़ती है. जर्मनी के योखेन डेमबेक ने आल्प पहाड़ियों की इस दौड़ को 28.30 घंटों में पूरा किया.