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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

कैंसर का इलाज ढूंढने वाले को ब्रेकथ्रू पुरस्कार

१४ अप्रैल २०२४

फ्रेंच-कनाडाई वैज्ञानिक मिषेल साडेलेन को कैंसर से लड़ने वाली जीन संवर्धित प्रतिरक्षी कोशिकाओं पर रिसर्च के लिए इस साल का "ऑस्कर्स ऑफ साइंस" पुरस्कार दिया गया है.

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पुरस्कार समारोह में मिषेल साडेलेन और कार्ल एच जून
30 लाख अमेरिकी डॉलर का यह पुरस्कार साडेलेन को जून के साथ बांटना हैतस्वीर: Jon Kopaloff/Breakthrough Prize/Getty Images

शनिवार को लॉस एंजेलेस में पुरस्कार देने के लिए हुए भव्य समारोह में इलॉन मस्क, बिल गेट्स, जेसिका चास्टेन और ब्रैडली कूपर समेत कई मशहूर हस्तियां मौजूद थीं. मिषेल साडेलेन के रिसर्च ने एक नई तरह की थेरेपी का विकास संभव किया जिसे सीएआर-टी कहा जाता है. ब्लड कैंसर के कुछ प्रकारों के इलाज में यह असाधारण रूप से कारगर है. ऑस्कर्स म्यूजियम में रेड कार्पेट पर साडेलेन ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह पुरस्कार एक असाधारण मान्यता है, यह सम्मान से कहीं ज्यादा है... क्योंकि मेरे वैज्ञानिक साथियों ने बहुत पहले मुझसे कहा था कि यह काम नहीं करेगा."

ऑस्कर्स ऑफ साइंस

2010 में शुरू हुआ ब्रेकथ्रू प्राइज दुनिया के "बेहद प्रतिभाशाली दिमागों" को हर साल जीवविज्ञान, भौतिकी और गणित के क्षेत्र में दिया जाता है. यह पुरस्कार खुद को सिलिकन वैली की ओर से 'नोबेल' के जवाब की तरह दिखाता है. इसे "ऑस्कर्स ऑफ साइंस" कहा जाता है. इसके शुरुआती प्रायोजकों में सर्गेइ ब्रिन, प्रिसिला चान और मार्क जकरबर्ग भी शामिल हैं.

वैक्सीन ला सकती है कैंसर के इलाज में बड़ा बदलाव

30 लाख अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि को साडेलेन अमेरिकी प्रतिरक्षाविज्ञानी कार्ल जून के साथ बांटेंगे, जिन्होंने स्वतंत्र रूप से इस क्षेत्र में रिसर्च किया है.

 लॉस एंजेलेस में ब्रेकथ्रू पुरस्कार लेने पहुंचे मिषेल साडेलेन
मिषेल साडेलेन को इस साल का ब्रेकथ्रू पुरस्कार मिला हैतस्वीर: Etienne Laurent/AFP/Getty Images

साडेलेन ने यह भी कहा, "सबसे बड़ी खुशी हालांकि मरीजों को देख कर होती है...जिनके पास अब मौका नहीं बचा था और जो हमारा आभार जताते हैं, वे आज सीएआर-टी की वजह से जीवित हैं. साडेलेन ने पेरिस में मेडिसिन की पढ़ाई की, उसके बाद इम्यूनोलॉजी की पढ़ाई करने कनाडा गए. इसके बाद उन्होंने 1989 में मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पोस्टडॉक्टरोरल रिसर्च की.

सीएआर-टी कोशिका

उस वक्त प्रतिरक्षा तंत्र को कैंसर कोशिकाओं की पहचान और उन्हें खत्म करने के लिए सक्षम बनाने वाली वैक्सीनों के विकास पर बहुत जोर था. शरीर जिस तरह बैक्टीरिया और वायरस जैसे बाहरी तत्वों से लड़ना सीख जाता है, उसी तरह से इसके लिए भी उसे तैयार करने की कोशिश की जा रही थी. न्यूयॉर्क के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में आने के बाद साडेलेन ने एक निष्क्रिय वायरस को जेनेटिकली रिप्रोग्राम ह्यूमन टी-सेल के रूप में इस्तेमाल करने का एक तरीका विकसित किया. इसके जरिए वह पंजे जैसी रचनाएं विकसित करने में सफल हुए जिन्हें एंटीजेन रिसेप्टर कहा गया. इसके जरिए टी-कोशिकाएं खास कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती हैं.

शिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर यानी सीएआर-टी
सीएआर-टी कोशिकाओं के जरिए कैंसर के इलाज में अच्छी सफलता मिली हैतस्वीर: SWR

कैंसर की पहचान करने के अलावा शिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर यानी सीएआर-टी कोशिकाओं को मारक अवस्था में जाने और मल्टीप्लाई करने के भी जेनेटिक इंसट्रक्शन दिए जाते हैं. इसका मतलब है कि शरीर के भीतर बाहरी शत्रु से लड़ने के लिए एक पूरी सेना तैयार हो जाती है. शिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर को यह नाम साडेलेन ने ही दिया था. साडेलेन और जून के जमीनी स्तर पर काम की वजह से ही आधे दर्जन सीएआर-टी सेल थेरेपी को अमेरिका ने मंजूरी दे दी है. इसके अलावा सैकड़ों और थेरेपियों के लिए परीक्षण चल रहे हैं.

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कैंसर का इलाज

इस इलाज में मरीजों के अपने टी-सेल्स जमा किये जाते हैं फिर उन्हें शरीर के बाहर जीन संवर्धित किया जाता है और फिर खून में वापस डाल दिया जाता है. इन्हें "लिविंग ड्रग्स " कहा जाता है. इस इलाज ने लिम्फोमा, ल्यूकेमिया के कुछ प्रकार और बेहद गंभीर और जटिल माइलोमा पर अपनी सफलता साबित की है. साडेलेन को उम्मीद है कि रिसर्चों के जरिए दूसरे कैंसरों के इलाज में भी इस का उपयोग हो सकेगा. एक बड़ी चुनौती इलाज के खर्च को घटाने की है. फिलहाल यह खर्च करीब 5 लाख अमेरिकी डॉलर है जो आमतौर पर इंश्योरेंस कंपनियां उठाती हैं.

शनिवार को ब्रेकथ्रू प्राइज में अलग-अलग वर्गों क्षेत्रों के करीब 20 और लोगों को सम्मानित किया गया. 

एनआर/आरएस (एएफपी)