केरल बलात्कार कांड में दोषियों की तलाश जारी
३ मई २०१६केरल में 30 वर्षीया कानून की छात्रा के साथ हुई बर्बर हिंसा और बलात्कार मामले ने दिल्ली के 2012 निर्भया कांड की याद दिला दी है. 28 अप्रैल को घर में घुसकर इस महिला के साथ कुछ लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया. मृतका की मां ने घर लौटने पर अपनी बेटी का खून से सना शरीर देखा.
मामले की जांच कर रहे केरल पुलिस दल की अगुवाई कर रहे आईजी महिपाल यादव ने मीडिया को बताया, "संदिग्ध ने बहुत बर्बर तरीके से उस पर हमला किया और फिर उसे जान से मार कर तुरंत वहां से भाग गया."
समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में यादव ने कहा, "किसी बाहरी चीज के घुसेड़े जाने के कारण उसकी अंतड़ियां भी बाहर निकली पाई गईं." पुलिस को शक है कि पीड़िता के साथ बलात्कार भी किया गया लेकिन इसकी पुष्टि के लिए मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार है. पुलिस को ऐसा लगता है कि पीड़िता अपने हमलावरों को पहचानती थी. केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से करीब 220 किलोमीटर दूर स्थित शहर पेरुंबवूर की रहने वाली पीड़िता के घर में जबरन घुसने के कोई निशान नहीं मिले हैं.
भारत भर के मीडिया में इस क्रूर हत्याकांड की तुलना 2012 के दिल्ली कांड से की जा रही है. तब एक मेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने बेहद क्रूर तरीके से हिंसा और सामूहिक बलात्कार किया था. गंभीर रूप से घायल होने के कारण पीड़िता की मौत हो गई थी. देश ही नहीं दुनिया भर का ध्यान खींचने वाली उस घटना के बाद महिला सुरक्षा को और गंभीरता से लेने, मामले की त्वरित सुनवाई करने और कानूनों को सख्त बनाए जाने पर खासा ध्यान दिया गया.
इन कदमों के बावजूद महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा के मामलों में कमी नहीं दिखी. हाल के सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि केवल साल 2014 में ही देश में 36,735 बलात्कार के मामले दर्ज हुए. सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि ऐसे अपराधों की असली संख्या इससे कहीं ज्यादा है क्योंकि सामाजिक कलंक के डर से कई मामले दर्ज ही नहीं कराए जाते. एक बार फिर केरल के इस कांड के कारण भारत में महिलाओं के साथ होने वाले यौन अपराधों पर चर्चा छिड़ी है. विधान सभा चुनावों से पहले केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने भी इस मामले को सक्रिय रूप से उठाया है.
केरल बीजेपी के प्रमुख के राजशेखरन ने राज्य सरकार पर महिलाओं को सुरक्षा देने में असफल रहने का आरोप लगाया है. राज्य के मुख्यमंत्री ओमन चंडी ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. महिला संगठनों और विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी मामले पर सरकार की प्रतिक्रिया को नाकाफी बता रहे हैं.
16 मई को राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं. सीपीआई-एम की अगुवाई में विपक्षी वामपंथी दल इस मामले को बढ़ाचढ़ा कर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार में मुख्यमंत्री ओमन चंडी के खिलाफ एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकता है.