कमल नाथ के तंज से तिलमिलाए मोंटेक का पलटवार
११ जुलाई २०१०पांच जुलाई को ट्रांसपोर्ट मंत्री कमल नाथ ने योजना आयोग को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इसमें आरामदेह कुर्सी पर बैठकर सिर्फ सलाह देने वाले लोग काम करते हैं जिन्हें सड़क बनाने में पेश आने वाली मुश्किलों और जमीनी सच्चाई का पता नहीं है. कमल नाथ ने तंज भरे लहजे में यहां तक कह दिया कि एक किताब को लिखने में और सड़क बनाने में बहुत अंतर है.
लेकिन कमल नाथ के ये उदगार योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को खटक गए. करारा जवाब देते हुए मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि किसी भी सरकार को वो लोग नहीं चला सकते जिन्हें सिर्फ सड़क बनाना आता है. हालांकि अहलूवालिया यह तो मान ही गए कि सड़क बनाना और दिशानिर्देश जारी करना दो अलग अलग बातें हैं.
"यह ठीक है कि हमारा काम सिर्फ सलाह देना है, काम करना नहीं. लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मंत्रालयों को सलाह की भी जरूरत नहीं. एक अकाउंटेंट सड़क तो नहीं बनाएगा लेकिन उसके बगैर सड़क निर्माण का हिसाब किताब कैसे तय होगा." मोंटेक के मुताबिक सरकार के विभिन्न मंत्रालय अपनी भूमिका निभाते हैं.
कमल नाथ ने आरोप लगाया है कि प्रतिदिन 20 किलोमीटर सड़क निर्माण के उनके लक्ष्य में योजना आयोग अडंगे लगा रहा है. लेकिन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इससे इनकार करते हुए कहा कि फंड की उपलब्धता के हिसाब से ही लक्ष्य तय किए जाने चाहिए. योजना आयोग का लक्ष्य ही मंत्रालयों की मांग को कम करना है क्योंकि कई बार उपलब्ध फंड से 100 फीसदी ज्यादा की मांग की जाती है और लक्ष्य पहले ही तय कर लिए जाते हैं.
यह पहली बार नहीं है जब यूपीए सरकार के विभिन्न नेताओं में खटपट के स्वर गूंज रहे हैं. पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कह चुके हैं कि चीन के मुद्दे पर गृह मंत्रालय कुछ ज्यादा ही संवेदनशील है. इस बयान के बाद उनकी खासी फजीहत हुई और वह बचाव की मुद्रा में आ गए.
माओवादियों से निपटने के सवाल पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिगविजय सिंह और चिदंबरम में मतभेद दिखाई दिए. पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर तो जब तक मंत्रालय में रहे विवादों में घिरे रहे और कई बार तो कांग्रेसी नेताओं ने मीडिया में उनका बचाव अनमने ढंग से किया.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह