ऑस्ट्रेलिया में जेलीफिश का 'आक्रमण'
७ जनवरी २०१९अत्यधिक विषैली जेलीफिश मछलियों ने कुछ ही दिनों में ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी तटों पर तीन हजार से अधिक लोगों को डंक मार दिया है. इनकी वजह से कई समुद्र तटों को लोगों के लिए बंद कर करना पड़ गया है.
बहुत बड़ी संख्या में ऑस्ट्रेलिया के तटों पर पुर्तगाल की मैन ओ'वॉर जेलीफिश आ पहुंची है, जिसका डंक बेहद दर्दनाक होता है. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में स्थानीय मीडिया ने इसे जेलीफिश के "आक्रमण" का नाम दिया है.
कोस्टगार्ड एसोसिएशन सर्फ लाइफ सेविंग का कहना है, "मैन ओ'वॉर जेलीफिश जिसको ब्लूबॉटल के नाम से भी जाना जाता है, वो अभी तक 3,595 लोगों को डंक मार चुकी हैं. इसकी वजह से इन लोगों को दर्दनाक जलन महसूस हो रही है."
कम से कम और चार समुद्र तटों को भी बंद रखा गया क्योंकि कोस्टगार्ड एसोसिएशन 'सर्फ लाइफ सेविंग' का मानना है कि और भी जेलीफिश तट की तरफ आ रही हैं. सर्फ लाइफ सेविंग की कई चेतावनियों में से एक रेनबो बीच पर लगी हुई हैं. इसमें कहा गया है कि "पानी से दूर रहिए. बीच को बंद किया जा रहा है क्योंकि और भी ब्लूबॉटल जेलीफिश तट की तरफ आ रही हैं."
ब्लूबॉटल जेलीफिश का काटना कोई नई बात नहीं है और दक्षिणी गोलार्ध की गर्मियों के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी समुद्र तटों पर ऐसा होता आया है. मगर इस साल इतने ज्यादा लोगों को ब्लूबॉटल जेलीफिश का डंक लगा है जिसको देख कर अधिकारी हैरान हैं.
रॉयल ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर्स के मुताबिक हर साल ब्लूबॉटल जेलीफिश के काटने के कोई दस हजार मामले ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर होते हैं. पिछले कुछ दिनों में ब्लूबॉटल जेलीफिश के काटने की वारदातें बहुत ज्यादा बढ़ी हैं और उसका सबसे बड़ा कारण है उत्तर-पूर्व से आने वाली तेज हवाएं, जिन्होंने इन जेलीफिश मछलियों को तैराकों के संपर्क में ला दिया है.
डॉक्टरों का कहना है कि डंक मारने के कारण तेज दर्द और त्वचा में सूजन होती है. त्वचा में दर्द कुछ मिनटों से ले कर कुछ घंटों तक रह सकता है. डंक की वजह से मितली, उल्टी और बेचैनी भी हो सकती है.
इलाज के लिए घाव को 45 डिग्री सेल्सियस के पानी से साफ करना चाहिए या फिर घाव पर आइस पैक लगाना चाहिए. हालांकि जेलीफिश की एक इससे भी डरावनी किस्म 'इरुकंदजी' के डंक से मुकाबले ब्लूबॉटल जेलीफिश के डंक का इलाज आसान है. उन खतरनाक बॉक्स जेलीफिश के डंक से मांसपेशियों में दर्द, भयंकर उल्टी, दिल का दौरा पड़ना और मिनटों में मौत भी हो सकती है. यह किस्म उंगली के एक नाखून से भी छोटी हो सकती है.
सरकारी मी़डिया एबीसी ने बताया कि इस सीजन में क्वींसलैंड में इरुकंदजी स्टिंग के शिकारों की संख्या अस्पतालों में 20 तक पहुंच गई है, जो सामान्य वार्षिक औसत से दोगुनी है.
एनआर/आरपी (एएफपी, डीपीए)