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ऑटिज्म के लिए आवाज

२९ मई २०१४

आवाज तस्वीरों वाला आईपैड और एक एंड्रॉयड ऐप है और यह भारत में संवर्धित और वैकल्पिक कम्यूनिकेशन सॉफ्टवेयर है. यह उन बच्चों की मदद के लिए बनाया गया है जिन्हें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर और बोलने में परेशानी है.

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Indien AVAZ app Autismus
तस्वीर: M. Krishnan

राजधानी नई दिल्ली में बच्चे जगदंबा गोसैन की क्लास का इंतजार कर रहे हैं. वह जैसे क्लास में आते हैं अपने बैग से कई आईपैड निकालते हैं. कई बच्चे यहां पक्षाघात से ग्रस्त हैं जबकि कई ठीक से बोल नहीं सकते. गोसैन कहते हैं कि आईपैड पर इंस्टॉल किए गए एक ऐप की मदद से बच्चे कम्यूनिकेट कर सकते हैं, "यह उन बच्चों की मदद करता है जिनको बोलने में परेशानी है लेकिन वे अच्छे से सुन सकते हैं. इनमें सुधार हो रहा है और अगर बच्चों के पास खुद का आईपैड हो, पूरे दिन. उन्हें ये शेयर नहीं करना पड़े, तो बहुत अच्छा होगा."

आवाज तस्वीरों का इस्तेमाल करता है और बढ़िया क्वालिटी वाले वाइस सिंथेसिस का इस्तेमाल कर संदेश बनाता है और भाषा को बेहतर बनाता है. स्पीच थेरैपी ऐप अजीत नारायणन ने विकसित किया है. इन्वेंशन लैब्स में उन्होंने और उनकी टीम ने विजुअल ग्रामर इंजिन इन्वेंटर बनाया.

Indien AVAZ app Autismus
तस्वीर: M. Krishnan

क्रांतिकारी बदलाव लाता ऐप

अजीत नारायणन का कहना है कि आईपैड और एंड्रॉयड आधारित टैबलेट जैसे उपकरण विशिष्ठ जरूरतों वाले बच्चों के संचार की प्रक्रिया में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहे हैं. वे कहते हैं, "यह प्रोडक्ट तस्वीरों और हाथ के संकेतों के जरिए एक दूसरे से बात करने में बच्चों की मदद करता है. वे अलग अलग तस्वीर लेते हैं, उन्हें क्रमबद्ध करते हैं, फिर ये क्रम वाक्य में बदल जाता है और फिर उसे पढ़ा जाता है."

इस ऐप का विकास 25 स्कूलों और 500 बच्चों के साथ मिलकर सिर्फ एक मकसद को ध्यान में रखकर किया गया है. और यह मकसद था ऑटिस्ट बच्चों की प्रभावी और इंटरएक्टिव संवाद में मदद करना. इस समय यह तीन ग्रेड वाला रिसर्च आधारित शब्दकोश ऑफर करता है जिसमें मूल और अतिरिक्त शब्द विभिन्न कोटियों में इकट्ठा किए गए हैं. फिलहाल यह अंग्रेजी और छह भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, लेकिन इसे और भाषाओं में भी लाने की योजना है.

महंगी है बोलचाल की जांच

नारायणन कहते हैं कि ऐप का डेनिश और इटली भाषा संस्करण बाजार में उपलब्ध है और इसे दूसरी भाषाओं में भी लाने पर काम चल रहा है. विशेष जरूरत वाले बच्चों के स्कूल अक्षय प्रतिष्ठान की कार्यकारी निदेशक वैदेही सुब्रमणि कहती हैं, "ऑटिस्ट बच्चे और सुनने में दिक्कत का सामना करने वाले बच्चे खुद को अभिव्यक्त करने में बहुत मुश्किलों का सामना करते हैं. हालांकि उनके माता-पिता, रिश्तेदार और विशेष स्कूलों के शिक्षक संकेतों के जरिए उनकी अभिव्यक्ति को समझ सकते हैं, लेकिन यह उपकरण इस मुश्किल का हल करने में बहुत उपयोगी है."

स्पीच सिंथेसाइजर बहुत महंगे हो सकते हैं. आवाज भी 70 यूरो की कीमत के साथ सस्ता कतई नहीं है. नारायणन का कहना है कि इस ऐप को और डेवलप करने के लिए उन्हें अतिरिक्त धन की जरूरत है. वे कहते हैं, "मैं फ्री स्पीच नाम की एक नई तकनीक पर काम कर रहा हूं. फ्री स्पीच एक ऐसा सिस्टम है जहां आप शब्दों को तस्वीरों से नहीं बदलते, बल्कि पूरे वाक्य को तस्वीरों के नक्शे से बदलते हैं."

ऑटिज्म कोई दुर्लभ बीमारी नहीं है. यह तीसरा सबसे आम डेवलपमेंट डिसऑर्डर है. कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार हर 10,000 लोगों में से 20 लोग ऑटिस्टिक होते हैं या उनमें इसके सिंपटम पाए जाते हैं. यह रुझान साल में 10 से 17 फीसदी की दर से बढ़ रही है. आवाज ऐप को नई नई भाषाओं में बनाने के साथ वह दुनिया भर के ऑटिस्ट लोगों की मदद में और बड़ी भूमिका निभा सकता है. दूसरी परियोजनाओं की ही तरह फिलहाल उसकी सबसे बड़ी चुनौती पूंजी का अभाव है.

रिपोर्ट: मुरली कृष्णन/एएम

संपादन: ईशा भाटिया