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एनआरसी के डर से स्वदेश लौटते अवैध बांग्लादेशी

प्रभाकर मणि तिवारी
६ जनवरी २०२०

पूर्वोत्तर राज्य असम में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस एनआरसी लागू होने और अब नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए पारित होने के बाद भारत में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिक स्वदेश लौटने लगे हैं.

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Indien-Bangladesch Grenze
तस्वीर: DW/P. Mani

पिछले दो महीनों के दौरान अवैध रूप से सीमा पार कर बांग्लादेश जाते समय वहां के सीमा सुरक्षा बल बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड्स (बीजीपी) ने लगभग साढ़े चार सौ लोगों को गिरफ्तार किया है. यह लोग अब भारत में पकड़े जाने के डर से तेजी से लौटने लगे हैं. कोलकाता से सटे बनगांव सीमा से होकर भी काफी लोग दलालों के जरिए वापस जा रहे हैं. बीजीबी के महानिदेशक मेजर जनरल शफीनुल इस्लाम ने बताया है कि अकेले नवंबर और दिसंबर के दौरान 445 लोग भारत से वापसी के दौरान पकड़े गए हैं. इस्लाम के बयान से साफ है कि अवैध तरीके से लौटने वाले लोगों की तादाद हजारों में होगी. इस्लाम बीते सप्ताह भारत दौरे पर आए थे.

बढ़ती घुसपैठ

देश की आजादी के बाद से ही बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा में होने वाली घुसपैठ एक गंभीर समस्या रही है. इस मुद्दे पर असम में लंबा आंदोलन चला है. पश्चिम बंगाल में तो सत्तारुढ़ लेफ्ट फ्रंट और बाद में तृणमूल कांग्रेस ने ऐसे लोगों को बसने में सहायता दी थी. यहां वे अब एक बेहद अहम वोट बैंक बन चुके हैं. लेकिन वर्ष 1971 के बाद भी घुसपैठ की समस्या जस की तस है. बीते साल एनआरसी तैयार होने और सीएए पारित होने के बाद अब ऐसे लोगों में हड़कंप मचा है. एनआरसी से बाहर रहे लोगों को विदेशी घोषित कर डिटेंशन सेंटर में भेजने का प्रावधान है. इसी वजह से अब वे भारी तादाद में बांग्लादेश लौट रहे हैं. पहले जहां हर महीने औसतन 30-35 ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जाता था वहीं अब यह तादाद हर महीने दो सौ के पार पहुंच गई है. खुफिया विभाग और सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ के सूत्रों का कहना है कि अवैध रूप से सीमा पार कर स्वेदश लौटने वाले बांग्लादेशियों की तादाद हजारों में हो सकती है.

खुफिया विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि बीते कुछ सप्ताह से अकेले पश्चिम बंगाल के उत्तर 24-परगना जिले से लगी सीमा से होकर दलालों की सहायता से रोजाना लगभग दो सौ लोग बांग्लादेश लौट रहे हैं. इसके अलावा दक्षिण 24-परगना और नदिया जिले में नदियों से लगी सीमा पार कर भी काफी लोग बांग्लादेश जा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश सीमा में गिरफ्तार ऐसे कई लोगों के पास भारतीय राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड तक बरामद हुए हैं. लोगों को बिना पासपोर्ट के सीमा पार कराने वाले एक गिरोह के सदस्य ने बताया कि बीते दो महीनों के दौरान उनलोगों ने अकेले उत्तर 24-परगना जिले में नदी से लगी सीमा से होकर पांच हजार से ज्यादा लोगों को वापस भेजा है. इन लोगों को नदी पार कराने के लिए दलाल नावों का सहारा लेते हैं. इन नावों का किराया भी बेतहाशा बढ़ गया है. पहले एक व्यक्ति को सीमा पार कराने के लिए दलाल चार हजार रुपए लेते थे. लेकिन अब यह फीस बढ़ कर छह हजार हो गई है.

बांग्लादेश में चौकसी

बांग्लादेश ने सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ रोकने के लिए गांव वालों को लेकर निगरानी समितियों का गठन किया है जो संदिग्ध लोगों पर कड़ी निगाह रखते हैं. इन तेज होती गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए ही बांग्लादेश ने बीते सप्ताह सीमा से लगे एक किमी के दायरे में मोबाइल नेटवर्क स्थगित कर दिया था. बांग्लादेश की सीमा पुलिस के सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश लौटने वालों में बच्चे से बूढ़े तक शामिल हैं. इनमें से कई लोग तो मुंबई और बेंगलुरू जैसे दूरदराज के इलाकों में रहते थे. ये लोग वहां छोटे-मोटे काम करते थे. बीजीबी के एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "वापस लौटने वाले कई लोगों ने अपने साथ घटी डरावनी कहानियां सुनाई हैं. उनको एक खास राजनीतिक दल के लोगों ने भारत छोड़ने की धमकी दी थी. वापसी के दौरान भी उनको दलालों से जूझना पड़ा है. कई जगह तो दलालों ने सीमा पार कराने के एवज में तमाम पैसे छीन लिए और महिलाओं के साथ बलात्कार तक किया.”

बांग्लादेश में महेशपुर उप-जिला के प्रभारी कार्यकारी अधिकारी सुजन सरकार बताते हैं, "सीमावर्ती इलाकों में गांव वालों से चौकस रहने को कहा गया है ताकि संदिग्ध लोगों के बारे में जानकारी मिल सके.” बांग्लादेश के एक अन्य अधिकारी बताते हैं, "गिरफ्तार लोगों के बांग्लादेशी होने की पुष्टि के बाद उनके खिलाफ हल्के-फुल्के आरोप लगाए जाते हैं ताकि वह आसानी से जमानत पर छूट कर अपने पैतृक गांव जा सकें.”

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सिलसिला तेज होने के आसार

पश्चिम बंगाल या असम सरकार ने इस बाबत कोई टिप्पणी नहीं की है. बीएसएफ के मेघालय फ्रंटियर के आईजी कुलदीप सैनी बताते हैं, "हमें मिली खबरों के मुताबिक अवैध रूप से भारत में घुसने वाले बांग्लादेशी अब वापस जा रहे हैं. उनमें से कई लोगों को वहां बीजीबी ने गिरफ्तार भी किया है.” बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि हमारे जवान हमेशा की तरह सीमा पर मुस्तैद हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि कई जगह सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ नहीं होने और सीमा नदियों से सटी होने की वजह से लोगों के लिए उसे पार करना आसान है. संभव है बांग्लादेश से अवैध तरीके से आने वाले लोग पकड़े जाने के डर से स्वदेश लौट रहे हों.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि असम में एनआरसी लागू हो गया है. पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी व सीएए पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच जुबानी जंग चल रही है. इसी डर से हाल के वर्षों में अवैध रूप से यहां आने वाले लोग भाग रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर सुनील दासगुप्ता कहते हैं, "एनआरसी और सीएए पर होने वाले देशव्यापी बवाल के बाद घुसपैठ के मामले में अब उल्टी गंगा बहने लगी है. लोग सीमा पार से यहां आने की बजाय यहां से लौट रहे हैं.” वह कहते हैं कि आने वाले दिनों में यह सिलसिला और तेज होने की संभावना है.

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