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उत्तराखंड के तपोवन इलाके में हिमालयी ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूट कर नदी में गिर गया. इससे इलाके में बाढ़ आ गई है और अधिकारी 150 लोगों के मारे जाने की आशंका जता रहे हैं.
यह घटना चमोली जिले के रिणी गांव की है जहां नालंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर धौलीगंगा नदी में जा गिरा. अब इसकी धारा के पास पड़ने वाले गांवों को बाढ़ की वजह से खाली कराया जा रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ट्टवीट कर यह जानकारी दी.
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, ""वास्तविक संख्या की अभी पुष्टि नहीं हुई है," लेकिन 100 से 150 के बीच लोगों के मारे जाने की आशंका है.
एक चश्मदीद ने बताया जैसे ही ग्लेशियर का हिस्सा नदी घाटी में आकर गिरा तो उसने धूल, चट्टान और पानी की एक दीवार सी देखी. बाढ़ प्रभावित रिणी गांव के ऊपरी इलाके में रहने वाले संजय सिंह राणा ने टेलीफोन पर बताया, "यह बहुत ही तेजी से आया. किसी को सचेत करने का भी समय नहीं था. ऐसा लगा कि जैसे हमें भी बहाकर ले जाएगा."
स्थानीय लोगों का डर है कि पास के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर काम करने वाले लोग बाढ़ में बह गए होंगे. राना कहते हैं कि कई स्थानीय लोग नदी के आसपास अपने मवेशियों को चराते हैं या फिर ईंधन के लिए लकड़ी भी जमा करने के लिए भी वहां जाते हैं. उन्होंने कहा, "हमें कुछ नहीं पता है कि कितने लोग लापता हैं."
उधर सरकार ने कई उत्तरी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है. इलाके में खोज और बचाव का काम जारी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी गंगा के आसपास पड़ने वाले जिलों में अलर्ट जारी किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि ग्लेशियर टूटने की वजह से ऋषिगंगा और अलकनंदा नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है. उन्होंने ट्टवीट कर कहा है कि उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर स्थिति से निपटने का हर संभव प्रयास हो रहा है.
पुलिस अधिकारी ऋषि खेमका का कहना है कि बाढ़ की वजह से ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को काफी नुकसान हुआ है. सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे वीडियोज में देखा जा सकता है कि ग्लेशियर गिरने से कैसे बांध से पानी उठा है और वहीं मौजूद उपकरणों को अपने साथ बहाकर ले गया.
उत्तराखंड में अकसर बाढ़ और भूस्खलन की खबरें आती हैं. 2013 में राज्य में विनाशकारी बाढ़ आई थी जिसमें लगभग छह हजार लोग मारे गए थे.
एके/एमजे (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)
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