इतिहास में आजः 18 मई
१८ मई २०१३
सेना के मुताबिक अंतिम लड़ाई में 250 विद्रोही मारे गए. 72,000 लोग युद्ध से ग्रस्त इलाकों को छोड़कर सुरक्षित जगह पहुंचे. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2009 में 20 जनवरी और 7 मई के बीच 7,000 लोग मारे गए थे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने वहां युद्ध अपराधों के जांच की मांग की है.
हाल ही में मानवाधिकार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि श्रीलंका में मानवाधिकार की स्थिति काफी खराब है. रिपोर्ट में कुमार नाम के एक लड़के का अनुभव बताया गया है जिसे 16 साल की उम्र में लिट्टे का सैनिक बना दिया गया.
मई 2011 में उसने अपने वकील को बताया, "मुझे अपने परिवारवालों से संपर्क करने से रोका गया और हमसे कोई भी मिलने नहीं आता था." लिट्टे बाल सैनिकों को शामिल करने के लिए जाना जाता था. लेकिन श्रीलंका की सरकार पर भी युद्ध अपराधों का साया है. लड़ाई के दौरान श्रीलंका की सरकार कई लोगों को बिना सबूत के अपनी हिरासत में ले लेती थी.
एमनेस्टी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार की आलोचना करने वाले ज्यादातर लोगों को सजा दी जाती है. सरकार आतंकवाद निरोधी कानून का भी इस्तेमाल करती है. इसके तहत लोगों को शक के आधार पर 18 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. 2009 में पत्रकार जेएस तिस्सईनायगम को इस कानून के तहत 20 साल की सजा दी गई. उन्होंने लड़ाई के दौरान श्रीलंकाई सेना के बर्ताव की निंदा की थी. 2010 में उन्हें माफ कर दिया गया और वे देश से बाहर चले गए.
नवंबर में कॉमनवेल्थ बैठक कोलंबो में होने वाली है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय चाहता है कि श्रीलंकाई सरकार युद्ध अपराध के मामलों को गंभीरता से ले और इनपर जांच शुरू हो.
रिपोर्टः एमजी/एएम(एमनेस्टी, एपी)