आयर्टन सेना हादसे के 20 साल
इतालवी ग्रां प्री की वह एक शांत और गंभीर दोपहर थी. एक मई, 1994. ब्राजीली ड्राइवर सेना आदतन पहले नंबर पर भाग रहे थे. उस वक्त युवा शूमी उनसे पीछे थे. विलियम्स रेनां की कार चलाते अचानक सेना का संतुलन बिगड़ा और सैकड़ों मील की रफ्तार से दौड़ती कार पास की दीवार से टकरा गई. एक जबरदस्त धमाका और फिर बिलकुल शांति. फर्राटा की ट्रैक पर दर्जनों रेस जीत चुके सेना जिंदगी की रेस हार गए. जिस फर्राटेबाज की रेस देखने ब्राजील के लोग अपना काम छोड़ दिया करते थे, उसकी मौत की खबर ने उन्हें सन्न कर दिया. लोग फिर ठहर गए.
शूमाखर ने हादसे के बाद कभी कहा था, "इमोला (जहां रेस हो रही थी) एक त्रासदी थी. इससे खराब कुछ हो ही नहीं सकता था. इसके बाद के कुछ दिन बहुत मुश्किल थे." घटना के चार घंटे बाद डॉक्टरों ने सेना को मृत घोषित कर दिया. शूमाकर का कहना है, "मैंने हादसा होते हुए देखा था क्योंकि मैं उनके ठीक पीछे चल रहा था. मुझे नहीं लगा था कि इसका नतीजा इतना बुरा होगा."
बाद के आंकड़ों से पता चला कि सेना की कार 214 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी और समझा जाता है कि स्टीयरिंग में कुछ गड़बड़ी होने की वजह से हादसा हुआ. आगे का एक पहिया निकल कर उछला और सेना के सिर से टकराया. इसी चोट ने बाद में उन की जान ले ली.
तीन विश्व चैंपियनशिप, 41 रेस में जीत और 65 पोल पोजीशन के साथ सेना उस वक्त फॉर्मूला वन के सबसे कामयाब रेसर थे. उन्हें इतिहास के सर्वश्रेष्ठ ड्राइवरों में भी गिना जाता है. पूर्व फॉ़र्मूला वन रेसर निकी लाउडा का कहना है, "वह एक करिश्माई शख्सियत थे. वह बारिश में अद्भुत तरीके से गाड़ी चला सकते थे. वह दूसरों से बिलकुल अलग थे." उनके साथ कार चला चुके गेरहार्ड बेर्गर उन्हें "करिश्माई और सबसे अच्छा ड्राइवर" बताते हैं, "अब तक उनकी चतुराई से गाड़ी चलाने वाला कोई नहीं है. उतना महत्वाकांक्षी, बिलकुल लक्ष्य को ध्यान में रखने वाला."
यह ऐसा हफ्ता था, जो फॉर्मूला वन के इतिहास में सबसे मनहूस हफ्ते के रूप में याद किया जाता है. शुक्रवार को प्रैक्टिस वाले दिन रुबेन्स बारिकेलो एक हादसे में बाल बाल बचे. अगले दिन शनिवार को पोल पोजिशन वाली रेस में रोलान्ड रात्सेनबर्गर जब अपनी तीसरी रेस में हिस्सा ले रहे थे, हादसे का शिकार हो गए और उन्होंने बाद में दम तोड़ दिया.
एक बड़ा हादसा और एक मौत देखने के बाद रविवार को रेस शुरू हुई. सेना शनिवार के हादसे से बुरी तरह आहत थे. बताया जाता है कि शनिवार को वह बहुत परेशान और गंभीर थे. वह रात्सेनबर्गर के शव को देखने अस्पताल जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया. फिर वह रात्सेनबर्गर की हादसे वाली जगह पर गए, उसे देखा, परखा. पता नहीं कि क्या देखना चाहते थे.
रेस की शुरुआत भी इतनी खराब कि पुर्तगाल के पेद्रो लामी की कार जेजे लेहतो की कार से टकरा गई और कारों के परखच्चे दर्शकों तक पहुंच गए. इससे नौ दर्शक घायल भी हो गए. फिर सेना की कार दीवार से टकरा गई, जिसकी प्रतिगूंज आज भी दिल को दुखा जाती है. रेस रोक दी गई. फिर दोबारा शुरू की गई. शूमाखर ने रेस जीत ली लेकिन जश्न नहीं मनाया, "मैं इस जीत से कतई खुश नहीं हो सकता. दुआ करता हूं कि दोबारा ऐसा कभी न हो."
रेस की शुरुआत से पहले सेना दबाव में थे क्योंकि पिछले दो रेस में उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी. उन्होंने रेस शुरू होने से पहले कहा था, "मैं समझता हूं कि इमोला में मेरे लिए सीजन शुरू होगा." लेकिन सीजन शुरू होने से पहले सब कुछ खत्म हो गया. इतिहास में कुछ रह गया, तो सेना की शानदार यादें.
एजेए/एमजे (डीपीए)