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आनंद भवन को चार करोड़ रुपये के बकाया गृहकर का नोटिस

समीरात्मज मिश्र
२१ नवम्बर २०१९

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आज़ादी की लड़ाई का प्रमुख केंद्र समझे जाने वाले आनंद भवन और उससे जुड़े कुछ भवनों को प्रयागराज नगर निगम ने चार करोड़ रुपये से भी ज़्यादा के गृहकर बकाए का नोटिस भेजा है.

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Indien | Anand Bhawan und Swaraj Bhawan, Stammhaus des späten indischen Premierministers Jawahar Lal Nehru in Prayagraj
तस्वीर: DW/J. Tripathi

 

 

आनंद भवन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है, जो कि अब प्रयागराज हो गया है. इस भवन की अहमियत साल 1920 के बाद आजादी की लड़ाई के प्रमुख केंद्र के रूप में है. इसी जगह कांग्रेस पार्टी की कई ऐतिहासिक बैठकें हुई हैं और इस भवन को बाद में नेहरू परिवार ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था.

जवाहर लाल नेहरू स्मारक निधि ट्रस्ट के अधीन आनंद भवन, संग्रहालय और तारामंडल (नेहरू प्लेनेटोरियम) पर ब्याज समेत करीब चार करोड़ पैंतीस लाख रुपये गृहकर बकाया का नोटिस जारी हुआ है. इन स्मारकों के संरक्षक मंडल की ओर से इस टैक्स के पुनरीक्षण करने का अनुरोध किया गया है. नगर निगम से नोटिस मिलने के बाद स्मारक निधि के नई दिल्ली के दफ्तर से मेयर के नाम चिट्ठी आई है जिसमें अनुरोध किया गया है कि इस टैक्स का पुनर्मूल्यांकन कराकर बढ़ा हुआ गृहकर माफ किया जाए.

इलाहाबाद का आनंद भवन और स्वराज भवन नेहरू परिवार के घर रहे हैं. स्वराज भवन अब नेहरू परिवार की स्मृतियों के एक संग्रहालय के तौर पर संचालित होता है, जबकि आनंद भवन भी संग्रहालय में तब्दील हो चुका है जहां भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ीं निशानियां रखी गई हैं. इसके अलावा आनंद भवन परिसर में ही तारामंडल है. इन तीनों इमारतों का रखरखाव जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड करता है जिसकी अध्यक्ष कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं.

Indien | Anand Bhawan und Swaraj Bhawan, Stammhaus des späten indischen Premierministers Jawahar Lal Nehru in Prayagraj
तस्वीर: DW/J. Tripathi

नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, नोटिस इस आधार पर दिया गया है कि आनंद भवन और आस-पास की इमारतों का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है और इसलिए बढ़ाए गए हाउस टैक्स का भुगतान किया जाना चाहिए. संग्रहालय में कुछ स्थानों पर जाने के लिए और तारामंडल देखने के लिए ट्रस्ट की ओर से टिकट के पैसे वसूले जाते हैं और इसीलिए इसे एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान बताया जा रहा है.

प्रयागराज नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्र कहते हैं, "करीब दो सप्ताह पहले हमने आनंद भवन, स्वराज भवन और जवाहर तारामंडल को हाउस टैक्स का एक नोटिस भेजा था. जवाब में हमें दिल्ली से जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव एन. बालकृष्णन का पत्र मिला है. पत्र को एक विस्तृत सर्वेक्षण और बकाया राशि के संबंध एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ क्षेत्रीय कार्यालय को भेज दिया गया है. रिपोर्ट मिलने के बाद आगे कोई निर्णय लिया जाएगा.”

इस मामले में सोमवार को नगर निगम में बैठक के दौरान काफी हंगामा भी हुआ. कुछ पार्षदों ने इन भवनों को देश की सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए गृहकर लगाने की निंदा की जबकि नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि ट्रस्ट को सारे कागजात प्रस्तुत करने होंगे, उसके बाद ही गृहकर माफ किया जाएगा.

प्रयागराज नगर निगम की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी कहती हैं, "यह हमें भी मालूम है कि आनंद भवन शहर का एक महत्वपूर्ण धरोहर है और इसका आजादी के इतिहास में अमूल्य स्थान है. लेकिन अगर वहां ट्रस्ट के जरिए व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं तो टैक्स लगना स्वाभाविक है. अगर ट्रस्ट संबंधी उचित दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए जाएं तो हम तुरंत गृहकर माफ कर देंगे.”

Indien | Anand Bhawan und Swaraj Bhawan, Stammhaus des späten indischen Premierministers Jawahar Lal Nehru in Prayagraj
तस्वीर: DW/J. Tripathi

कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्र बताते हैं, "साल 2003 से गृहकर बकाया है. हर साल बिल भेजा जाता है और इनकी ओर से कुछ हिस्से का पेमेंट भी होता है. साल 2003 से चूंकि पूरा बिल नहीं जमा किया गया इसलिए धनराशि बढ़ते हुए चार करोड़ के ऊपर हो गई है. साल 2003 में जब गृहकर का पुनरीक्षण हुआ तो उसे ट्रस्ट की ओर से पुनरीक्षण के लिए न्यायालय में चुनौती दी गई. साल 2014 में फिर से टैक्स का पुनरीक्षण हुआ था. तो 2003 से अब तक का टैक्स बकाया है.”

दरअसल, आनंद भवन, संग्रहालय व तारामंडल का गृहकर पहले मात्र 600 रुपये था और साल 2003 तक यही धनराशि जमा की जाती रही. जब टैक्स बढ़ाया गया तो उसके पुनरीक्षण के लिए अदालत की शरण ली गई. इस बीच नगर निगम टैक्स भेजता रहा और ट्रस्ट की ओर से सिर्फ छह सौ रुपये जमा किए जाते रहे. यही बकाया राशि अब साढ़े चार करोड़ के आस-पास पहुंच गई है.

इस मामले में आनंद भवन की देख-रेख करने वाले कुछ भी कहने से मना कर रहे हैं जबकि नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड के सचिव एन. बालकृष्णन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 2003-04 में ट्रस्ट को 3,000 रुपये का बिल मिला था, जिसका विधिवत भुगतान किया गया था. उनके मुताबिक, साल 2005 में करीब पचीस लाख रुपये का बिल भेजा गया था. साल 2013-14 तक 12.34 लाख रुपये का वार्षिक बिल भेजा जाता रहा, लेकिन 2014-15 से इसे घटाकर 8.27 लाख रुपये कर दिया गया.

एन. बालाकृष्णन कहते हैं कि जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड एक धर्मार्थ ट्रस्ट है और किसी भी व्यावसायिक गतिविधियों में यह शामिल नहीं है. इसलिए ट्रस्ट को नगर निगम अधिनियम के तहत इस तरह के करों से छूट दी गई है.

बताया जा रहा है कि इस पूरे परिसर में पिछले चार दशक से कोई नया निर्माण नहीं किया गया. बावजूद इसके हाउस टैक्स कई गुना बढ़ा दिया गया. ट्रस्ट के अधिकारियों के मुताबिक, हाउस टैक्स की गणना ठीक से नहीं की गई और यहां तक कि इसमें खाली जमीन भी शामिल कर दी गई है.

प्रयागराज नगर निगम इससे पहले हिन्दी की जानी-मानी साहित्यकार रहीं महादेवी वर्मा को भी उनकी मृत्यु के करीब तीन दशक बाद भारी-भरकम बकाया गृहकर का नोटिस भेज चुका है. साल 1987 में दुनिया छोड़ चुकीं महादेवी वर्मा के नाम पर करीब 64 हजार रुपये बकाया गृहकर का नोटिस पिछले साल दिया गया था. चौतरफा विरोध के बाद फैसला हुआ कि इसे माफ कर दिया जाएगा.

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