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अर्जेंटीना पर भारी जर्मनी

१२ जुलाई २०१४

सामने रोनाल्डो हों या करीम बेंजेमा या फिर मेसी, जर्मन टीम के पास वन मैन आर्मी टाइप की टीमों का बढ़िया इलाज होता है. ऐसी कई वजहें हैं जिनके आधार पर खेल के ज्यादातर पंडित मान रहे हैं कि इस बार का वर्ल्ड कप बर्लिन आएगा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

एक तरफ फुटबॉल का मसीहा है तो दूसरी तरफ आग के गोलों की तरह धधकते 11 खिलाड़ी. वर्ल्ड कप में जर्मनी और अर्जेंटीना की आखिरी मुलाकात 2010 में हुई थी. तब भी मेसी और माराडोना की ही चर्चा हो रही थी. लेकिन तभी जर्मन इंजन घनघनाया और अर्जेंटीना को 4-0 से रौंदकर रख दिया.

इसके बाद 2012 में एक दोस्ताना मैच में अर्जेंटीना ने जर्मनी को 3-1 से हराया. हालांकि वो जीत बहुत प्रभावित करने वाली नहीं थी. उस टीम को जर्मनी की बी टीम कहा जा रहा था. नए खिलाड़ियों वाली जर्मन टीम के गोलकीपर को 30वें मिनट में रेड कार्ड मिला. नया गोलकीपर बनाने के लिए स्टार स्ट्राइकर थोमस मुलर को बाहर कर दिया गया. इसके बावजूद 10 खिलाड़ियों वाली जर्मन टीम ने पूरी ताकत से उतरे अर्जेंटीना को कस कर रख दिया. जर्मनी का एक गोल आत्मघाती था.

लेकिन मौजूदा वर्ल्ड कप में उतरी टीम जर्मनी की बी टीम नहीं है. यह फायरब्रांड युवा और कुशल वरिष्ठ खिलाड़ियों को बढ़िया मिक्स है. वहीं आंखेल डी मारिया और मेसी के बढ़िया मिक्स से अर्जेंटीना इस बार कुछ मजबूत दिखाई पड़ रहा है. लेकिन कुछ कमियां अब भी दूर नहीं हुई है. मेसी की तमाम कोशिशों के बावजूद अर्जेंटीना के बाकी मुख्य स्ट्राइकर गोल ही नहीं कर पा रहे हैं.

अर्जेंटीना बढ़िया डिफेंस और तेज काउंटर अटैक की रणनीति अपना रही है. लेकिन काउंटर अटैक में मौके बार बार नहीं मिलते. कभी कभार मिलते हैं और उन्हें भुनाना पड़ता है. अब तक के नतीजों से पता चला है कि अर्जेंटीना ऐसे मौकों को चैंपियन की तरह भुना ही नहीं पाया है.

वहीं दूसरी तरफ जर्मनी के तेज तर्रार खिलाड़ी हैं. टीम के ज्यादातर खिलाड़ी बायर्न म्यूनिख और बोरुसिया डॉर्टमुंड से आते हैं. बायर्न के जेरोम बोआतेंग, बास्टियान श्वाइनश्टाइगर, फिलिप लाम, मानुएल नॉयर और थोमस मुलर ने बीते चार सालों में बार्सिलोना के मेसी और खावियर मसकेरानो के खिलाफ कई मैच खेले हैं. उन्हें पता है कि मेसी और मसकेरानो को कैसे साधना है.

रियाल मैड्रिड के स्टार डी मारिया की क्षमताओं से भी बायर्न और डॉर्टमुंड अच्छी तरह परिचित हैं. जर्मन टीम में उन्हीं के साथी सेमी केदीरा और पूर्व साथी मेसुत ओएजिल हैं. जर्मनी के लिए खेलने वाले डॉर्टमुंड के डिफेंडर माट्स हुमेल्स भी मेसी और डी मारिया से निपटना अच्छी तरह जानते हैं. कुल मिलाकर इस मैच में मेसी और डी मारिया से चमत्कार की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए.

वैसे भी जर्मनी हमेशा अकेले स्टार खिलाड़ी वाली बड़ी टीमों को हराने में माहिर माना जाता है. चाहे वो पुर्तगाल हो, ब्राजील हो या फ्रांस. ऐसे में नतीजा तय करने का दारोमदार बाकी खिलाड़ियों पर होगा और यहां जर्मनी भारी दिखता है.

ग्रुप स्टेज के बाद कहा जा रहा था कि फ्रांस, नीदरलैंड्स और ब्राजील मजबूत टीमें हैं. अर्जेंटीना ने इनमें से नीदरलैंड्स को हराया, वो भी 120 मिनट बाद हुई पेनल्टी में. वहीं जर्मनी ने फ्रांस और ब्राजील जैसी टीमों को शुरुआत में ही हार की तरफ धकेल दिया. उसके बड़े मुकाबले एक्स्ट्रा टाइम तक पहुंचे ही नहीं. इस वर्ल्ड कप में शानदार खेल दिखाने वाले नीदरलैंड्स के स्टार स्ट्राइकर आर्यन रोबेन कहते हैं, "मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि जर्मन विश्वविजेता बनेगा. अर्जेंटीना के पास जीत का कोई मौका नहीं है."

ये समीकरण और संभावनाएं हैं. फुटबॉल में बहुत कुछ भाग्य से भी तय होता है. रविवार को जर्मनी और अर्जेंटीना को बेहतर खेल के साथ अच्छी किस्मत की भी जरूरत होगी.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी

संपादन: महेश झा