अब बैक्टीरिया की खोज दिनों में नहीं मिनटों में होगी
७ मई २०१९मरीज की बीमारी का कारण बैक्टीरिया है या नहीं अकसर डॉक्टर को भी यह ठीक से पता नहीं होता. लेकिन एहतियातन डॉक्टर एंटीबायोटिक दे देते हैं और फिर लैब की रिपोर्ट आने का इंतजार करते हैं ताकि बैक्टीरिया की मौजूदगी को सुनिश्चित किया जा सके. बहुत जल्द एक नया उपकरण बाजार में होगा जो बैक्टीरिया की खोज कई कई दिनों की बजाय कुछ मिनटों में ही कर लेगा.
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस उपकरण का आविष्कार किया है. सोमवार को नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की प्रोसीडिंग्स में इसका ब्योरा दिया गया है. इसे विकसित करने वाली टीम में शामिल पाक किन वोंग बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और मेकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं. यह उपकरण माइक्रोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बैक्टीरिया की कोशिकाओं को फंसा लेता है जिसे इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है.
इस तरीके का इस्तमाल कर उपचार करने वाले महज 30 मिनट में ही यह पता लगा लेंगे कि बैक्टीरिया मौजूद है या नहीं. फिर यह भी तुरंत ही पता चल जाएगा कि इस पर दवा असर करेगी या नहीं. इस काम में फिलहाल 3-5 दिन का समय लग जाता है. वोंग ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "फिलहाल हम बैक्टीरिया ना होने पर भी एंटीबायोटिक्स दे देते हैं. हमने इसी का हल निकालने की कोशिस की है. क्या हम जल्द से जल्द पता लगा सकते हैं कि इंफेक्शन बैक्टीरिया के कारण है या नहीं?"
रिसर्च पेपर में कहा गया है कि बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाने के साथ ही यह उपकरण उनका वर्गीकरण करने में भी सक्षम है जैसे कि कोशिका बेलनाकार है, किसी छड़ जैसी या फिर सर्पिल. वोंग ने कहा, "यह उपकरण बैक्टीरिया के अस्तित्व का पता लगा सकता है लेकिन यह नहीं कि बैक्टीरिया किस तरह का है. हम कॉम्प्लिमेंटरी मॉलिक्यूलर पर काम कर रहे हैं, जिससे कि हम जीवों की पहचान कर सकें."
बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगने के बाद नमूने पर एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है, उसकी प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाने के लिए या फिर यह देखने के लिए कि किन मामलों में एंटीबायोटिक बेकार साबित होगा. वोंग का कहना है, "मूत्राशय के आस पास के हिस्से में सबसे ज्यादा बैक्टीरिया का संक्रमण होता है. हालांकि 75 फीसदी से ज्यादा मूत्र के नमूनों में लैब बैक्टीरिया की खोज नहीं कर पाते."
प्रोफेसर वोंग ने कहा कि उनकी टीम ने प्रोविजनल पेटेंट के लिए आवेदन किया है और 3 साल में इस उपकरण को बाजार में ले आएंगे. इसके साथ ही उन्होंने इसका आकार छोटा करने की भी उम्मीद जताई है जिससे कि इसे अस्पतालों और डॉक्टरों के क्लिनिक में आसानी से इस्तेमाल किया जा सके.
एनआर/आईबी (एएफपी)