अंतरिक्ष में बगैर नहाए काटते हैं दिन
१ फ़रवरी २०१५अंतरिक्ष यात्री पूरी तैयारी के साथ धरती के बाहर जाते हैं. कई महीनों का खाना, कसरत करने और सफाई का सामान भी उनके साथ जाता है. लेकिन गुरुत्व बल के ना होने से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, खास कर साफ सफाई के मामले में. हाल ही में रूस के एक अंतरिक्ष यात्री की टॉयलेट की मरम्मत करने की तस्वीरों ने लोगों का ध्यान स्पेस स्टेशन में होने वाली दिक्कतों की ओर खींचा. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन आईएसएस पर जो दिक्कत नजर आई, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वह कोई नई बात नहीं है.
1969 में अमेरिकी वैज्ञानिक रसल श्वाइकर्ट अपोलो 9 में सवार हो कर अंतरिक्ष की यात्रा पर निकले. उन्हें और उनके साथियों को पेशाब करने के लिए नलीनुमा डब्बों का इस्तेमाल करना पड़ा. टीम तीन अलग अलग आकार के डब्बे साथ ले कर गयी थी. अधिकतर वे सबसे बड़ा डब्बा ही उठा लेते, पर बाद में उन्हें अहसास होता कि छोटे डब्बे से भी काम चल सकता था. श्वाइकर्ट ने अंतरिक्ष मिशन से लौट कर इस बारे में कहा था, "यह गलती अब दोहराई नहीं जाएगी."
बेल्ट लगा कर टॉयलेट सीट पर
तब से तकनीक में कई बदलाव हुए हैं. अंतरिक्ष यात्रियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए काफी कुछ बदला गया है. अब स्पेस स्टेशन के टॉयलेट भी लगभग आम टॉयलेट जैसे ही बनने लगे हैं लेकिन गुरुत्व बल ना होने के कारण सफाई रखना बेहद कठिन हो जाता है. स्पेस स्टेशन एमआईआर में रह चुके जर्मन अंतरिक्ष यात्री राइनहोल्ड एवाल्ड इस बारे में कहते हैं, "जो लोग सफाई को ले कर बहुत सचेत हैं, उनके लिए यह हरगिज नहीं है."
ताकि वे टॉयलेट सीट पर बैठ सकें, इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों को बेल्ट लगा कर खुद को बांधना पड़ता है. सेक्शन पंप की मदद से वे टिक कर बैठ पाते हैं. स्पेस शिप से बाहर जाते समय डायपर लगाने पड़ते हैं क्योंकि जल्दी से वापस आने की कोई गारंटी नहीं होती.
पानी की कीमत
संसाधनों की असली कीमत का पता भी अंतरिक्ष में जा कर ही चलता है. पानी सीमित होता है, इसलिए बर्बादी से बचना जरूरी है. साथ ही मूत्र को रिसाइकिल कर पीने का पानी बनाया जाता है. जर्मन अंतरिक्ष एजेंसी डीएलआर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ रूपर्ट गेर्त्सर बताते हैं, "स्पेस स्टेशन में पसीने और नहाने के लिए इस्तेमाल हो चुके पानी को भी रिसाइकिल किया जाता है." गेर्त्सर बताते हैं कि नमी और तापमान के कारण सूक्ष्म जीवाणुओं को स्पेस स्टेशन में जल्दी फैलने का मौका मिलता है, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरनाक है. इससे बचने के लिए स्टेशन को लगातार साफ किया जाता है.
एमआईआर में रह चुके राइनहोल्ड एवाल्ड बताते हैं कि चोट लगने पर उसे ठीक होने में भी सामान्य से ज्यादा वक्त लगता है, "मुझे याद है मेरे माथे पर एक दाना हो गया था जो जाने का नाम ही नहीं ले रहा था."
पानी बर्बाद ना हो इसलिए कपड़े नहीं धोए जाते. कई दिन तक पहन कर आखिरकार गंदे कपड़ों को फेंक दिया जाता है. और रोज रोज नहाना भी नसीब नहीं होता. अधिकतर तो उन्हें पानी की कुछ बूंदों से खुद को पोंछ लेने का ही मौका मिल पाता है. एवाल्ड बताते हैं कि स्पेस स्टेशन से लौट कर उन्होंने काफी देर तक गर्म पानी में स्नान किया, "मेरे पेट में गुदगुदी हो रही थी, अद्भुत अहसास था वह."